वायुमंडल का संघटन एवं संरचना

वायुमंडल का संघटन एवं संरचना

वायुमंडल का संघटन एवं संरचना- पृथ्वी के चारों तरफ कई सौ किलोमीटर से हजारों किलोमीटर की मोटाई में व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही उसके साथ टीका हुआ है। मूलतः वायुमंडल तीन आधारभूत तत्वों से मिलकर बना है-
वायुमंडल की रचना दो प्रकार की गैसों के द्वारा हुई है जिसमें स्थिर गैसों के अंतर्गत नाइट्रोजन, ऑक्सीजन एवं आर्गन तथा परिवर्तनशील गैसों के अंतर्गत जलवाष्प, ओजोन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि है। वायुमंडल में उपस्थित गैसे जीवो के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
चुकी जहां नाइट्रोजन पर ही अप्रत्यक्ष रूप से सभी जीव भोजन के लिए निर्भर हैं वही ऑक्सीजन प्राण युक्त होने के साथ इंधन को भी जलाने में मदद करती है। इसी प्रकार ओजोन के द्वारा पराबैंगनी किरणों के अवशोषण के कारण ही उसे पृथ्वी का रक्षा कवच कहते हैं।
वायुमंडल में निलंबित कणकीय पदार्थ तथा तरल बूंदों को सम्मिलित रूप से एयरोसाल करते हैं। परिवर्तनशील होने के कारण अर्थात वायुमंडल के निचले भाग में सांद्रता अधिक होने के कारण ऊंचाई बढ़ने के साथ इनका सांद्रण कम हो जाती है। एयरोसाल ही वर्णनात्मक प्रकीर्णन, आद्रता ग्राही नाभिक, प्रत्यावर्तन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जलवाष्प अभी वायुमंडल के निचले भागों में तथा भूमध्य रेखा के पास अधिक मात्रा में सकेंद्रित रहता है। इसके कारण ही वर्षण के विभिन्न रूप संभव हो पाते हैं तथा साथ ही ये विकिरण का अवशोषण करके तथा दीर्घतरंगीय पार्थिव विकिरण का अवशोषण करके हरित गैस प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
वायुमंडल की संरचना

चित्र
वायुमंडल की सबसे निचली परत को परिवर्तन मंडल, विक्षोभ मंडल एवं संवाहनीय मंडल कहते हैं। मौसम एवं जलवायु की दृष्टि से ये मंडल बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मौसम संबंधी सभी परिवर्तन इसी मंडल में होते हैं। इसकी औसत ऊंचाई लगभग 16 किलोमीटर है।

क्षोभ मंडल में तापमान में ऊंचाई के साथ कमी आती है।
क्षोभ मंडल एवं समताप मंडल को अलग करने वाली मिश्रित परत को ट्रोपोपॉज कहते हैं। ट्रोपोपॉज के ऊपर स्थित समताप मंडल में तापमान में नगण्य दर से परिवर्तन होने के साथ स्ट्रेटोस्पांस तक पहुंचते 2 डिग्री हो जाता है।
वायुमंडल दशाएं शांत होने के कारण ये वायुयान के उड़ान के लिए आदर्श स्थिति उत्पन्न करती है। इसी में पृथ्वी की रक्षा कवच ओजोन का सर्वाधिक संकेंद्रण होता है।
स्ट्रेटोस्पास के ऊपर स्थित मध्य मंडल में तापमान में गिरावट होकर माइनस में चली जाती है और यह मेसोपास पा ही जाकर बंद होती है। मध्य मंडल एवं ताप मंडल के मध्य तापीय प्रतिलोमन की स्थिति होने के साथ नक्टीलुसेंट बादलों का निर्माण भी इसी मंडल में होता है।
मेसोपाज के ऊपर स्थित ताप मंडल में फिर ताप बढ़ने लगता है लेकिन हवा के विरल होने के कारण ताप का एहसास नहीं हो पाता है। ताप मंडल को आयन एवं आयतन मंडल में बांटा गया है। यह मंडल लघु, मध्यम एवं उच्च आवृत्ति वाली तरंगों के पृथ्वी के तरफ प्रत्यावर्तन के कारण ही बहुत महत्वपूर्ण है साथ में आयन मंडल में औरोरा आस्ट्रालिस एवं औरोरा वोरियालिस की घटनाएं होती हैं।
रासायनिक विशेषताएं- रासायनिक विशेषताओं के आधार पर वायुमंडल को सम एवं विषम मंडल में बांटा गया है। सम मंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, ओजोन आदि गैसों के अनुपात में परिवर्तन नहीं होने के कारण ही इसे सम मंडल नाम दिया गया है। लेकिन वर्तमान समय में इसके अनुपात में परिवर्तन होने के कारण ही अनेक प्रकार की वायुमंडलीय समस्याएं खड़ी हो रही हैं। इसकी ऊंचाई सागर तल से 90 किलोमीटर माना गया है।

विषम मंडल की ऊंचाई सागर तल से 90 किलोमीटर से 10000 किलोमीटर तक पायी जाती है। इस मंडल की भौतिक एवं रासायनिक गुणो में अंतर पाया जाता है। इस मंडल में गैसों की चार स्पष्ट परते पायी जाती हैं जो निम्न है-
1- आणविक नाइट्रोजन परत- 90-200 किलोमीटर
2- आणविक ऑक्सीजन परत- 200-1100 किलोमीटर
3- हीलियम परत- 1100-3500 किलोमीटर
4- एटॉमिक हाइड्रोजन परत- 3500-10000
इस प्रकार वायुमंडल हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
वर्तमान समय में जीवों के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रतिकूल वायुमंडलीय दशाओं में परिवर्तन के कारण वायुमंडल का अध्ययन करना और भी आवश्यक हो गया है।

Leave a Reply