अकारामिति

अकारामिति

उच्चावच अकारामिति

अपवाह बेसिन के उच्चावच की अकारामिति बेसिन के त्रियात्मक (त्रिआयामी) आकृति से संबंधित है इसके अंतर्गत स्वरुप  के क्षेत्र विस्तार तथा ऊंचाई का विभिन्न आकारमितिक  विधियों द्वारा अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत हम उच्चावच की ऊंचाई ढाल विस्तार आकार आदि का अध्ययन करते हैं।

  • उच्चावच अकारामिति के प्रमुख विचर
  • उच्चतामितिक विश्लेषण
  • क्षेत्र ऊंचाई वक्र
  • उच्चता दर्शी वक्र
  • प्रक्षेपित एवं वास्तविक क्षेत्र
  • प्रवणता दर्शी विश्लेषण
  • स्ट्रॉलर का औसत ढाल वक्र
  • फिंस्टेवाल्डर का प्रवणता दर्शी वक्र
  • फिंस्टेरवाल्डर का उच्चता प्रवणता दर्शी वक्र
  • हान्स लोभ  का प्रवणता दर्शी वक्र
  • स्टेट का औसत अंतर समुच्च रेखा चौड़ाई वक्र
  • तुंगतामितिक विश्लेषण
  • औसत ढाल
  • सापेक्ष उच्चावच
  • घर्षण  सूचकांक
  • जलमार्ग ढाल का नियम
  • परिच्छेदिका विश्लेषण

उच्चतामितिक विश्लेषण

इसके अंतर्गत अपरदन चक्र की अवस्था का निर्धारण तथा घर्षण के मात्रा के ज्ञान हेतु अपवाह बेसिन के क्षेत्र एवं ऊंचाई का मापन एवं इनमें संबंधों का अध्ययन किया जाता है। क्षेत्र ऊंचाई के संबंधों को व्यक्त करने के लिए।  

  क्षेत्र ऊंचाई वक्र उच्चता दर्शी वक्र

इसके लिए निम्नांकित जरूरी आंकड़े चाहिए होते हैं-

क्रमिक समुच्च रेखाओं के बीच का क्षेत्रफल

ऊंचाई

क्षेत्र का मापन समुंद्र रेखा मानचित्र से प्लैनीमीटर द्वारा किया जाता है। अथवा अंतर खंड विधि द्वारा क्षेत्र का अनुमान प्रतिशत में किया जाता है।

•ऊंचाई समुच्च रेखा मानचित्र से प्राप्त की जाती है।

क्षेत्र ऊंचाई वक्र 

 इसके अंतर्गत संपूर्ण क्षेत्र के संदर्भ में प्रतिशत के रूप में दो क्रमिक समुच्चय रेखाओं के बीच के क्षेत्रफल को क्षैतिज के सहारे तथा लंबवत अक्ष पर ऊंचाई को दिखाते हैं।

 उच्चता दर्शी वक्र

  इसके द्वारा निश्चित डेटम रेखा के ऊपर या नीचे विभिन्न ऊंचाई पर धरातलीय सतह के क्षेत्रफल के अनुपात को प्रदर्शित किया जाता है।

  क्षेत्र के संचयी मान को क्षैतिज रेखा के सहारे प्रायः प्रतिशत के रूप में तथा ऊंचाई को लंबवत रेखा के सहारेे प्रदर्शित करते हैं प्रत्येक दो क्रमिक समुच्च रेखाओं की ऊंचाई के सामने उसका क्षेत्रफल प्रतिशत द्वारा दिखाया जाता है। अंत में सभी को निष्पुर्ण रेखा से मिलाकर वक्र तैयार कर  लिया जाता है इसका प्रयोग भौतिक समता वाले क्षेत्रो तथा समुच्च रेखाओं के बीच का क्षेत्रफल एवं ऊंचाई के सहसंबंधों को  प्रदर्शित करने के लिए ही करना चाहिए। ग्लोब का पहली बार उच्चता दर्शी वक्र लैपरैण्ट ने तैयार किया।

  प्रतिशत उचित आदर्श वाक्य

 प्रक्षेपित एवं वास्तविक क्षेत्र 

 उच्चता दर्शी तथा क्षेत्र उचाई वक्रों में मानचित्र पर अंकित प्रक्षेपित क्षेत्रफल को ही  प्रयोग में लाया गया है। किंतु यह क्षेत्रफल का वास्तविक क्षेत्रफल नहीं होता है क्योंकि इसमें ढाल के कोणों का ध्यान में रखा नहीं गया है।

 दो क्रमिक समुच्चय रेखाओं के बीच के वास्तविक क्षेत्रफल का परिकलन निम्न तरीके से किया जा सकता है।

  वास्तविक क्षेत्रफल = प्रक्षेपित क्षेत्रफल ×औसत ढाल का कोण सिकेण्ट (Sec)

प्रवणतादर्शी विश्लेषण 

 प्रवणता दर्शी वक्र के द्वारा ढाल में परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है। इस वक्र का निर्माण दो क्रमिक समुच्चय रेखाओं के बीच का क्षेत्र उनकी लंबाई तथा चौड़ाई आदि आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। लंबवत अक्ष के सहारे समुच्चय रेखीय अंतराल को दिखाया जाता है तथा  प्रत्येक समुच्चय रेखा की वास्तविक लंबाई को क्षैतिज अक्ष के सहारे अंकित किया जाता है।

प्रवक्ता दर्शी वक्र के निर्माण की विधियां

 1- स्ट्रॉलर का औसत ढाल वक्र

  इसके अंतर्गत दो क्रमिक समुच्चय रेखाओं के क्षेत्रफल को प्लैनीमीटर की सहायता से परी कलित कर लेते हैं तथा ओपिसोमीटर की सहायता से समुच्चय रेखाओं की लंबाई का गणना करते हैं। तत्पश्चात क्षेत्रफल को औसत लंबाई से भाग देकर दो समुच्चय रेखाओं के बीच की औसत चौड़ाई ज्ञात कर लेते हैं। समुच्चय रेखाओं के मध्यांतर को औसत चौड़ाई से विभाजित करने पर ढाल का टैन्जेण्ट मान प्राप्त हो जाता है।

गणितीय सारणी से 

तुंग्तामितिक विश्लेषण 

 प्रारंभिक अपरदन सतह के निर्धारण के लिए क्षेत्र विशेष के उच्चस्त भागों का अध्ययन तुंग्तामितिक के अंतर्गत आता है। यह विश्वास किया जाता है कि सबसे ऊंचे क्षेत्र प्रारंभिक अपरदन सतह के अवशेषों को सुरक्षित रखते हैं तथा यह तब तक नष्ट नहीं होते हैं जब तक उच्चस्त शिखर तल नष्ट ना हो जाए। तुंग्तामितिक के विभिन्न प्राप्त आंकड़ों को आयत चित्र और रेखा चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। स्थानिक ऊंचाई की आवृत्ति ग्रिड के उच्चतम बिंदुओं की आवृत्ति शिखर तल की आवृत्ति शिखर तल का क्षेत्रफल तथा शिखर स्कंध तथा काल की आवृत्ति को आयत चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

 औसतन ढाल

 किसी भी  धरातलीय क्षेत्र में पहाड़ी शिखर तथा घाटी के तली के मध्य धरातल के कोणीय झुकाव को ढाल कहा जाता है। इनका परिकलन या तो भूपत्रको पर समुच्चय रेखाओं के आधार पर अथवा क्षेत्र में  उपर्युक्त उपकरणों द्वारा मापन करके किया जाता है। भूपप्रको से औसत धरातलीय परिकलन के लिए समय-समय पर विद्वानों द्वारा कई विधियों का प्रतिपादन किया गया है। वेन्टवर्थ विधि सर्वाधिक प्रचलित है इसके अंतर्गत क्षेत्र को ग्रेड में विभाजित कर लिया जाता है ग्रिड के चारों रेखाओं (4मील या 4किमी) के सहारे समुच्चय रेखाओं की कटान बिंदु को गिन लिया जाता है।तथा पुनः एक मील पर कटान बिंदु की संख्या ज्ञात कर ली जाती है इस प्रक्रिया की पुनः तिलक ग्रिड बनाकर पुनरावृति की जाती है अब दोनों घटनाओं का औसत मान निकालकर प्रति 1 मील दूरी पर समूचे रेखाओं के कटान बिंदु की संख्या ज्ञात कर ली जाती है। इस प्रक्रिया की पुनः तिर्यक ग्रिड बनाकर पुनरावृति की जाती है अब दोनों गणनाओं का औसत मान निकालकर प्रति 1 मील दूरी पर समुच्चय रेखाओं के कटान बिंदुओं की संख्या ज्ञात कर ली जाती है।

वेंटवर्थ द्वारा प्रतिपादित वास्तविक ढाल कोण का सूत्र

  नोट –इस सूत्र के द्वारा क्लिफ ढाल का परिकलन नहीं किया जा सकता।

इस तरह किसी अफवाह बेसिन की सभी ग्रिडों के लिए प्रकलित ढाल कोणों के मानो का सारणीयन तथा वर्गीकरण कर लिया जाता है।

  जैसे- समतल ढाल- 0 से 2°

          मन्द ढाल -2° से 5°

          मध्यम ढाल- 5° से 15°

           तीव्र ढाल   -15° से 30°

           अति तीव्र ढाल- 30° से अधिक

  सापेक्ष उच्चावच

  प्रति का क्षेत्र में उच्चस्थ एवं निम्नस्थ भागो की ऊंचाई के अंतर को सापेक्ष उच्चावच अथवा स्थानीय उच्चावच कहते हैं। क्षेत्रीय ऊंचाई में ग्रिड वर्ग आयत ग्रिड का उपयोग किया जाता है। मिल्टन के अनुसार सापेक्ष उच्चावच का परिकलन निम्न सूत्र से किया जाना चाहिए ।

सापेक्ष उच्चावच का वर्गीकरण

  1- अति निम्न सापेक्ष उच्चावच – 0 से 15

   2-मध्यम निम्न सापेक्ष उच्चावच – 15 से 30

   3- निम्न सापेक्ष उच्चावच – 30 से 60

   4-मध्यम सापेक्ष उच्चावच -60 से 120

   5-मध्यम उच्च सापेक्ष उच्चावच – 120 से 240

   6-उच्च सापेक्ष उच्चावच – 240 से अधिक

घर्षण सूचकांक

  किसी भी अपवाह बेसिन अथवा किसी धरातलीय क्षेत्र में प्रति का क्षेत्र में अधिकतम एवं न्यूनतम उच्चावच के अनुपात को घर्षण सूचकांक कहते हैं।

  घर्षण सूचकांक ज्ञात करने की विधियां

  घर्षण सूचकांक का वर्गीकरण 

  1- अति निम्न घर्षण सूचकांक -0 से 0.1(0-10%)

   2-निम्न घर्षण सूचकांक -0.1 से 0.2 (10-20%)

   3-मध्यम घर्षण सूचकांक -0.2से 0.3(20-30%)

   4-उच्च घर्षण सूचकांक – 0.3 से 0.4(30-40%)

   5-अति उच्च घर्षण सूचकांक- 0.4से 0.5(40% से अधिक)

अपरदन चक्र के अवस्थाओं के निर्धारण में इस सूचकांक का उपयोग किया जाता है।

 तरुणावस्था – 10%

  प्रौढ़ावस्था -30%

  जीणावस्था-30% से अधिक

जलमार्ग ढाल का नियम

 जल मार्ग ढाल जलधारा के अनुदैर्ध्य मार्ग के सहारे क्षेत्र की दूरी एवं ऊंचाई (लम्बवत) गिरावट के अनुपात को प्रदर्शित करता है इस तरह अपवाह बेसिन के विभिन्न श्रेणियों के सरिता खंडों के जलधारा ढाल का परिकलन किया जाता है।

इस से तात्पर्य तथा श्रेणी के जल धाराओं का औसत ढाल कोण

  हार्टनके अनुसार स्थिर ढाल अनुपात के साथ अपवाह बेसिन की जल धाराओं के औसत ढाल में निचली श्रेणी से प्रारंभ होकर बढ़ती क्रमिक श्रेणी के क्रम में गुणात्मक क्रम में कमी हो जाती है।

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