समायोजन

समायोजन

अर्थ – व्यक्ति वातावरण में अपनी आवश्यकताओं के साथ तालमेल बैठता है।

स्किनर के अनुसार – समायोजन एक अधिगम प्रक्रिया है।

कोलमेन के अनुसार – समायोजन अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने तथा दबाव से निपटने के लिए किए गए प्रयासों का परिणाम है।

समायोजन के प्रकार

1- जैविकीय समायोजन – जीवन जीने के लिए वातावरण से तालमेल – जैसे- भूख लगने पर भोजन, ठंड लगने पर कपड़ा

2- सामाजिक समायोजन– समाज के साथ तालमेल बिठाना

3- स्वयं के साथ समायोजन – स्वयं के साथ तालमेल बिठान

समायोजन की प्रकृति

  • समायोजन एक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति और वातावरण दोनों प्रभावित होते हैं।
  • आवश्यकताओं और दबावों के मध्य तालमेल बिठाने की प्रक्रिया।
  • समायोजन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
  • समायोजन एक द्बि-ध्रुविय प्रक्रिया है।
  • समायोजन गत्यात्मक होती है।
  • समायोजन एक उपलब्धि है।
  • समाज की उन्नति समायोजित लोगों पर निर्भर करती है।

समायोजन के प्रतिमान

व्यवहारवादी प्रतिमान – व्यवहारवादीयो ने मानव शरीर को मशीन यंत्रवत माना है।

मनोविश्लेषणवादी प्रतिमान – सिगमंड फ्रायड

अच्छे समायोजन की विशेषताएं

  • अनुकूलन और लोच शीलता
  • समाज के प्रति जागरूकता
  • अपने व्यवहार के प्रति सुझ और मूल्यांकन दर्शाते हैं।
  • आत्म सम्मान के साथ दूसरों का सम्मान करते हैं।
  • लक्ष्य स्पष्ट होता है।
  • संवेदी समझ होता है।
  • आकांक्षा स्तर को पर्याप्त बनाकर रखते हैं।

कुसमायोजन के तत्व

1- तनाव – जब व्यक्ति वातावरण या समय की मांग के अनुरूप कार्य नहीं कर पाता है तो वह तनाव का शिकार होो जाता।

2- चिंता – सिगमंड फ्रायड – विश्लेषण वाद

3- दबाव – दबाव प्रतियोगिता के कारण होता है। व्यक्ति अपने आत्म सम्मान के लिए दवाव महसूस करता है।

4- भग्नाशा – भग्न + आशा – किसी इच्छा या आवश्यकता में बाधा पड़नेेे पर व्यवहार में उत्पन्न होने वाला संवेगात्मक तनाव भग्नासा कहलाता है।

5- द्बन्द्ब – एक ही समय में विरोधी तथा समान शक्तियां जागृत हो जाती होती है।

समायोजन तंत्र / मनो रचनाएं की विशेषताएं

  • यह इगो/अर्द्ब चेतन मन/अहम् के और सुरक्षित होने पर रची जाती है।
  • अचेतन मन और चेतन मन स्तर पर मनो रचनाओं का निर्माण होता है।
  • मनोरचनाएं प्रतिक्रिया करने की एक प्रक्रिया है।
  • मनो रचनाओं के निर्माण से व्यक्ति में उपयुक्तता की भावना पाई जाती है।

मनोरचनाओं के प्रकार

प्रधान / प्राथमिक मानोरचनाऐ

  • दमन- वह मनोरचना जिसमें घातक इच्छाएं, स्मृतियां, भावनाएं, कष्टदायक आवेग, चेतना सेेेे अपने आप अलग हो जाते हैं।
  • समन – वह मनोहर रचना जिसमें घातक इच्छाएं, स्मृति, भावना, कष्ट आवेग आदि चेतन मन से जानबूझकर अलग करना।
  • अन्तरबाधा – वह मनोरचना है जिसमें एक कार्य/परिस्थितियां दूसरे कार्य को रोकती है।
  • प्रतिगमन – अर्थ पीछे की ओर लौटना। किसी समस्याा का हल निकालने के लिए बाल्यावस्थाा की ओर लौटना।
  • रूपांतरण
  • उन्नयन – सर्जनशील कार्य करना।
  • प्रतिक्रिया/निर्माण – व्यवहार केे विपरीत व्यवहार करना।
  • युक्तिकरण- तर्क,बहाना, प्रतिक्रिया निर्माण करना।

गौण मनोरचनाएं

  • तादात्मीकरण– तादात्म्य स्थापित करना। कोई व्यक्ति अपनी क्रिया / व्यवहार से दूसरेे व्यक्ति
  • अन्त:क्षेपण
  • प्रक्षेपण
  • कल्पनाथ तरंग
  • विस्थापन
  • स्थानांतरण
  • क्षतिपूर्ति – प्रत्येक व्यक्तिति में कुछ ना कुछ कमियां होती हैं। और उन कमियों को दूसरी जगह पूर्ति करना।
  • वास्तविकता /अस्वीकार्यता

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