Roman School Of Thought

Roman School Of Thought

रोमन भूगोलवेत्ता

  • यूनानी साम्राज्य के पतन के पश्चात रोमन साम्राज्य अध्ययन अध्यापन के दृष्टिकोण से विश्व के विद्वानों के लिए आश्रय का केंद्र बना।
  • आगस्ट काल (Augustan Age) रोमन साम्राज्य का स्वर्ण काल था।

प्रमुख रोमन भूगोलवेत्ता निम्न है-

  • स्ट्रैबो
  • प्लिनी
  • टालमी
  • पाम्पोनियस मेला

स्ट्रैबो

  • इन्होंने ज्ञात संसार का वर्णन करने के लिए 17 पुस्तकों की एक ग्रंथ माला बनाई जिसे ज्योग्राफिकल इनसाइक्लोपीडिया के नाम से जाना जाता है।
  • इन्हें समस्त भौगोलिक ज्ञान को एक साथ प्रस्तुत करने का श्रेय दिया जाता है।
  • स्ट्रैबो ने 43 ग्रंथों की रचना ‘ऐतिहासिक स्मृतियां’ नाम से की।
  • स्ट्रैबो को नियतवादी चिंतन का प्रथम महत्वपूर्ण विचारक माना जाता है।
  • उसने पृथ्वी को दीर्घायत माना।
  • अधिवासी प्रदेशों के लिए उसने ओकुमेन (oikoumene) शब्द का प्रयोग किया।
  • उसने विसुवियस को जलता हुआ पर्वत कहा।

प्लिनी

  • पुस्तक- ‘हिस्टोरिया नेचुरलिस’ । इसमें उन्होंने ब्रह्मांड, जीव विज्ञान, मानव विज्ञान का वर्णन किया।

टालमी

  • पुस्तक- ‘अल्मागेस्ट’ (गणित और खगोल विज्ञान से संबंधित), ज्योग्राफिक सिन्टैक्सिस, भूगोल की रूपरेखा, एनेलिमा, ज्योग्राफिया।
  • मानचित्र कला में महत्वपूर्ण योगदान जैसे- प्रक्षेपो का निर्माण

1- शंक्वाकार प्रक्षेप

2- त्रिविमीय प्रक्षेेेेेेेेेेप।

  • इसने सर्वप्रथम मानचित्र प्रक्षेपो के संदर्भ में अक्षांश एवं देशांतर शब्दों का उपयोग किया।
  • टेराइनकागनिटा अर्थात अनजान भूमि की खोज के लिए इन्होंने खोज के महान युग में प्रेरणा प्रदान की।
  • इन्होंने इमैगोमुण्डी (Imegomundi) अर्थात संसार के मानचित्र का निर्माण किया।
  • मानचित्र पर बंगाल की खाड़ी का उल्लेख।
  • इन्होंने हिंद महासागर के दक्षिण में एक महाद्वीप की कल्पना की जिसको बाद में कैप्टन कुक ने 18वीं शताब्दी में खोजा जिसे अंटार्कटिका कहते हैं।

पाम्पोनियस मेला

प्रमुख पुस्तक – कॉस्मोग्राफी (Cosmography), डिकोरोग्राफिया (Dechorographia), स्काईलैक्स (Skylax)

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