22&23 July 2021 Current affairs

आईबीबीआई विनियम 2016 में संशोधन

चर्चा में क्यों

हाल ही में भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) विनियम, 2016 में संशोधन किया है।

  • संशोधनों का उद्देश्य कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया में अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है।
  • मार्च 2021 में इनसॉल्वेंसी लॉ कमेटी (ILC) की एक उपसमिति द्वारा ‘दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड’ (IBC), 2016 के मूल ढाँचे के भीतर प्री-पैक ढाँचे की सिफारिश की गई है।

पूर्व नाम और पता का खुलासा:-

  • ● इस संशोधन के तहत कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (CIRP) का संचालन करने वाले दिवाला पेशेवर (IP) के लिये यह आवश्‍यक होगा कि वह कॉर्पोरेट देनदार (CD) के वर्तमान नाम एवं पंजीकृत कार्यालय के पते के साथ दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से दो वर्ष पूर्व तक की अवधि में उसके नाम अथवा पंजीकृत कार्यालय के पते में हुए बदलावों का खुलासा करे और सभी संचार एवं रिकॉर्ड में उसका उल्‍लेख करे ।
  • ◆ CIRP में कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिये आवश्यक कदम शामिल हैं जैसे- ऑपरेशन के लिये नए फंड जुटाना, कंपनी को बेचने हेतु एक नए खरीदार की तलाश करना आदि।
  • सीडी, कॉर्पोरेट संगठन के किसी भी व्यक्ति को कर्ज दे सकता है।
  • कॉरपोरेट देनदार (CD) दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने से पहले अपना नाम अथवा पंजीकृत कार्यालय का पता बदल सकता है। ऐसे मामलों में हितधारकों को नए नाम या पंजीकृत कार्यालय के पते के साथ तालमेल बिठाने में कठिनाई हो सकती है। परिणामस्वरूप वे CIRP में भाग लेने में विफल हो सकते हैं।

पेशेवरों की नियुक्ति:

  • संशोधन में प्रावधान है कि अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) या समाधान पेशेवर (RP) पंजीकृत मूल्यांकनकर्त्ताओं के अलावा किसी पेशेवर को नियुक्त कर सकता है, यदि उसकी राय में ऐसे पेशेवर की सेवाओं की आवश्यकता है और CD के पास ऐसी सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
  • ऐसी नियुक्तियाँ एक उद्देश्यपूर्ण और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करते हुए निष्पक्ष आधार पर की जाएंगी।

लेन-देन से बचना:

  • RP यह पता लगाने के लिये बाध्य है कि क्या CD लेन-देन के अधीन है, अर्थात् तरजीही लेन-देन, कम मूल्य वाले लेन-देन, ज़बरन क्रेडिट लेन-देन, धोखाधड़ी व्यापार, गलत व्यापार से उचित राहत की मांग करने वाले न्यायनिर्णायक प्राधिकरण के पास आवेदन दायर कर सकते हैं।

महत्त्व:

  • यह हितधारकों को अपने पुराने मूल्य को वापस पाने की अनुमति देगा और हितधारकों को इस तरह के लेन-देन करने से हतोत्साहित करेगा।

OBC वर्ग के तहत उप-वर्गीकरण से जुड़े आयोग के कार्यकाल में विस्तार

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के भीतर उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों पर गौर करने के लये गठित आयोग के कार्यकाल को 31 जनवरी, 2022 तक विस्तारित करने को मंज़ूरी दे दी है।
  • यह आयोग का ग्यारहवाँ विस्तार है, जिसे शुरुआत में मार्च 2018 में अपनी रिपोर्ट जमा करनी थी।

विस्तार के बारे में:

  • यह आयोग को विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में सक्षम बनाएगा।
  • इसके उद्देश्यों में OBC समूह के भीतर उप-वर्गीकरण के लिये एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के माध्यम से एक प्रक्रिया, मानदंड, नियम और पैरामीटर तैयार करना तथा OBC की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों या समुदायों या उप-जातियों या समानार्थक शब्दों की पहचान करना एवं उन्हें उनके संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करना शामिल है।

आयोग:

  • 2 अक्तूबर, 2017 को राष्ट्रपति के अनुमोदन के उपरांत संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत गठित इस आयोग को रोहिणी आयोग (Rohini Commission) भी कहा जाता है।
  • इसका गठन केंद्रीय OBC सूची में 5000-विषम जातियों को उप-वर्गीकृत करने के कार्य को पूरा करने के लिये किया गया था ताकि केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अवसरों का अधिक समान वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
  • वर्ष 2015 में, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Commission for Backward Classes- NCBC) ने सिफारिश की थी कि OBC को अत्यंत पिछड़े वर्गों, अधिक पिछड़े वर्गों और पिछड़े वर्गों के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये।
  • NCBC को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के संबंध में शिकायतों तथा कल्याणकारी उपायों की जाँच करने का अधिकार है।

अब तक किया गया कार्य:

  • आयोग ने अब तक राज्य सरकारों, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों, सामुदायिक संघों आदि के प्रतिनिधियों से मुलाकात की है। इसके अलावा आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों में भर्ती होने वाले OBC छात्रों के जाति-वार डेटा प्राप्त कर उसका विश्लेषण किया है।
  • इस वर्ष की शुरुआत में आयोग ने OBC को चार उप-श्रेणियों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा, जिनकी संख्या 1, 2, 3 और 4 थी और 27% आरक्षण को क्रमशः 2%, 6%, 9% और 10% में विभाजित किया गया था।
  • इसके अलावा आयोग ने सभी OBC रिकॉर्ड के पूर्ण डिजिटलीकरण और OBC प्रमाण पत्र जारी करने की एक मानकीकृत प्रणाली की भी सिफारिश की है।

संभावित परिणाम

  • आयोग की सिफारिशों से OBC की मौजूदा सूची में उन समुदायों को लाभ मिल सकता है, जो अब तक केंद्र सरकार के पदों पर नियुक्ति और केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिये OBC आरक्षण योजना का कोई बड़ा लाभ प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार, भारतीय राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की दशाओं की जाँच करने के लिये तथा उनकी दशा में सुधार करने से संबंधित सिफारिश प्रदान के लिये एक आदेश के माध्यम से आयोग की नियुक्ति कर सकते हैं।
  • इस प्रकार नियुक्त आयोग राष्ट्रपति को निर्दिष्ट मामलों की जाँच करेगा और राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट पेश करेगा जिसमें उनके द्वारा पाए गए तथ्यों को निर्धारित किया जाएगा और ऐसी सिफारिशें की जाएंगी जो वे उचित समझें।
  • राष्ट्रपति इस प्रकार प्रस्तुत की गई रिपोर्ट की एक प्रति संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखने के लिये एक ज्ञापन के साथ उस पर की गई कार्रवाई को स्पष्ट करेगा।

97 वां संशोधन के प्रावधान रद्द

चर्चा में क्यों
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के वर्ष 2013 के फैसले को बरकरार रखते हुए संविधान (97 वां संशोधन ) अधिनियम 2011 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया है।

प्रमुख प्रावधान

  • इस संशोधन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया भाग – IX(B) सहकारी समितियों के क्रियान्वयन हेतु शर्तों को निर्धारित करता है।
  • संशोधन में प्रावधान, संविधान धारा आवश्यक राज्य विधानसभा द्वारा उनकी पुष्टि किए बिना संसद द्वारा पारित किए गए।
  • यह एक सहकारिता के निर्देशकों की संख्या या उनके कार्यकाल की अवधि और यहां तक कि उसका सदस्य बनने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता का निर्धारण करने की सीमा तक विस्तारित है।

अन्य प्रमुख प्रावधान

  • संविधान संविधान संशोधन अधिनियम 2011 में भारत में काम कर रही सहकारी समितियों के संबंध में भाग – IX(A) के ठीक बाद एक नया भाग- IX(B) जोड़ा है।
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्व में सहकारी समितियों के प्रचार के संबंध में एक नया अनुच्छेद 433 जोड़ा गया था।

नशीली दवाओं के खतरे से लड़ने के लिए समझौता

चर्चा में क्यों
भारत में मादक पदार्थों दवाइयों और मनोज दैहिक पदार्थों की तस्करी तथा बढ़ते प्रयोग को रोकने के लिए 26 वर्षीय समझौता, 15 समझौता ज्ञापन हो तथा दो सुरक्षा सहयोगा का सहारा लिया है।

वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2021 के अनुसार भारत में प्रिसक्रिप्शन दवाओं और उनके अवयवों को मनोरंजक उपयोग के साधनों में तेजी से परिवर्तन किया जा रहा है।

  • भारत के युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है।
  • भारत में लगभग 5 करोड़ भाग तथा ओपिओडइ का प्रयोग करते हैं।
  • लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग का इंजेक्शन लेते हैं।
  • पंजाब, असम, दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों में ड्रग्स का प्रयोग ज्यादा होता है।

नशीली दवाओं को प्रतिबंधित करने के लिए उठाए गए कदम

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो

  • मादक पदार्थों की तस्करी की खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए।
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कोष
  • राष्ट्रीय ड्रग दुरुपयोग सर्वेक्षण।
  • प्रोजेक्ट सनराइज
  • नशा मुक्ति अभियान

इसके अलावा भारत ने

  • नारकोटिक ड्रग पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन 1961
  • साइकॉट्रॉपिक पदार्थों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन 1971

आगे की राह

  • नशीली दवाओं के अवैध व्यापार पर कठोर दंड।
  • जन जागरूकता अभियान।
  • व्याप्त कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन करना चाहिए।
  • rehabilitation centre बनाना चाहिए।

स्माइल योजना

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा स्माइल आजीविका और उन धाम के लिए सीमांत व्यक्तियों हेतु समर्थन नामक योजना तैयार की गई है। इसमें एक उपयोजना भी शामिल है जिसका नाम है भिखारियों के व्यापक पुनर्वास के लिए योजना।

प्रमुख बिंदु

  • यह योजना भिखारियों और के लिए मौजूदा योजनाओं के विलय के बाद की है।
  • इसमें उपलब्ध वर्तमान आश्रय गृहों के उपयोग के लिए भिक्षावृत्ति में लगे व्यक्तियों के लिए पुनर्वास सुनिश्चित किया गया है।
  • इसे राज्य ,संघ राज्य क्षेत्र स्थानीय निकायों, विभिन्न संगठनों के सहयोग से लागू किया जाएगा।
  • अभी यह योजना पायलट आधार पर कुछ शहरों में लागू की गई है जहां भी भारतीयों की संख्या अधिक है।
  • भिखारियों की संख्या में सिर्फ राज्य पश्चिम बंगाल है उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान।
  • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय विभिन्न राज्यों में भिक्षावृत्ति को अपराध की श्रेणी से हटाने की याचिका पर विचार करने की सहमति जताई है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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