गोवा में भूमिपुत्र विधेयक:-
●हाल ही में, गोवा के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा है, कि ‘भूमिपुत्र विधेयक’ राज्यपाल को नहीं भेजा जाएगा।
●गोवा विधानसभा द्वारा 30 जुलाई को ‘गोवा भूमिपुत्र अधिकारिणी विधेयक, 2021’ पारित किया गया था, तब से यह विधेयक राजनीतिक हंगामों का केंद्र बना हुआ है।
विधेयक के प्रमुख बिंदु:
●विधेयक में, 30 साल या उससे अधिक समय से राज्य में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘भूमिपुत्र (मिट्टी का पुत्र)’ के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है।
●इसके तहत, यदि किसी व्यक्ति का अपने ‘छोटे आवास’ पर मालिकाना हक़ अब तक अनिश्चित था, तो उसे अपने आवास पर मालिकाना हक़ देने का प्रावधान किया गया है
●‘भूमिपुत्र’ (Bhumiputra) के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बाद, कोई व्यक्ति 1 अप्रैल, 2019 से पहले निर्मित 250 वर्ग मीटर तक क्षेत्रफल वाले अपने घर पर ‘स्वामित्व’ का दावा कर सकता है।
कार्यान्वयन:
●विधेयक में ‘भूमिपुत्र अधिकारिणी’ नामक एक समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता उप-जिलाधिकारी द्वारा की जाएगी और ‘टाउन एंड कंट्री प्लानिंग’, ‘वन और पर्यावरण विभागों’ के अधिकारी और संबंधित तालुकों के मामलातदार (Mamlatdars) समिति के सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
●कोई भी भूमिपुत्र – यदि उसका घर निर्धारित तिथि से पहले निर्मित किया गया है – समिति के समक्ष अपने घर पर मालिकाना हक़ प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है।
●‘भूमिपुत्र अधिकारिणी’ समिति द्वारा संबधित भूमि के मालिक को – जो एक स्थानीय निकाय भी हो सकता है –आपत्तियां दर्ज करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा, और इसके बाद समिति ‘भूमिपुत्र’ को उस भूमि का स्वामित्व देने का निर्णय लेगी।
●भूमिपुत्र अधिकारी के फैसले के खिलाफ, 30 दिनों के भीतर प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर की जा सकती है।
अमेरिका, भारत, इज़राइल और यूएई का एक ‘नया क्वाड’:–
●हाल ही में, अमेरिका, भारत, इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्रियों का पहला शिखर सम्मेलन आभासी प्रारूप में आयोजित किया गया था।
नए ‘क्वाड‘ समूह के बारे में:
●चतुर्पक्षीय सुरक्षा वार्ता (QSD) की तर्ज पर इस समूह को, इसके औपचारिक गठन से पहले ही ‘नया क्वाड’ या ‘मध्य-पूर्वी क्वाड’ (Middle-Eastern Quad) कहा जा रहा है।
‘नए क्वाड’ के उद्देश्य और फोकस क्षेत्र:
●इस समूह का उद्देश्य “अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंच” के रूप में कार्य करना है, जो चारो सदस्य देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने पर कार्य करेगा।
महत्व:
●विशेषज्ञों का मानना है, कि ‘मिडिल-ईस्ट’ को संतुलित और स्थिर रखने में प्रयासरत देशों के मध्य आपसी सहयोग हेतु यह नया समूह काफी महत्वपूर्ण है।
नए क्वाड के लाभ:
●व्यापार के अलावा, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और इज़राइल के मध्य – सेमीकंडक्टर डिजाइन और निर्माण से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक – कई क्षेत्रों में सहयोग किए जाने की संभवना है।
●इस नए गठबंधन से, भारत द्वारा इस मंच का उपयोग विभिन्न अवसरों जैसे बिग डेटा, क्रत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, अपने उत्पादों को अन्य सदस्य देशों के बाजार में निर्यात करने, आदि के लिए कर सकता है।
●यह समूह, व्यापार, ऊर्जा और पर्यावरण जैसे गैर-सैन्य मुद्दों पर और सार्वजनिक वस्तुओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा।
●यह मंच, भारत को इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर बहु-पक्षीय भागीदारी बनाने में मदद करेगा। फ्रांस, रूस, चीन जैसी प्रमुख शक्तियों के इस क्षेत्र में आने से, यह गठबंधन भारत को इस क्षेत्र की भू-राजनीति को बदलने में अपनी स्थिति को एक आकार देने में मदद करेगा।
UNEP उत्पादन अंतराल रिपोर्ट
• रिपोर्ट का निष्कर्ष:-
- उत्पादन अंतराल में वृद्धि:-
- जलवायु लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में उत्पादन अंतराल कोयले के परिप्रेक्ष्य में सबसे अधिक है क्योंकि सरकारों द्वारा उत्पादन योजनाओं और अनुमानित वैश्विक स्तर की तुलना में वर्ष 2030 में लगभग 240% अधिक कोयला, 57% अधिक तेल और 71% अधिक गैस का प्रयोग होगा जो भारत के एनडीसी लक्ष्य 1.5 डिग्री सेल्सियस के प्रतिकूल है।
- सबसे चिंताजनक बात यह है कि लगभग सभी प्रमुख कोयला, तेल और गैस उत्पादक कम-से-कम वर्ष 2030 या उससे आगे तक अपना उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं|
•भारत की स्थिति:-
- वर्ष 2016 में जारी भारत के पहले एनडीसी (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) ने 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की “उत्सर्जन तीव्रता” में 33%-35% की कमी का वादा किया।
- रिपोर्ट में कोयला उत्पादन बढ़ाने की भारत की योजनाओं पर प्रकाश डालने के लिये भारत सरकार की वर्ष 2020 की प्रेस विज्ञप्ति का हवाला दिया गया है।
- सरकार द्वारा वर्ष 2023-24 तक परिकल्पित महत्त्वाकांक्षी आर्थिक विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कोयले को ऊर्जा के रूप में प्रयोग करने पर ज़ोर दिया जा रहा है जो 2030 तक लक्षित एनडीसी के आदर्शवादी दृष्टिकोण से भिन्न है।
- भारत वर्ष 2019 के 730 मिलियन टन से वर्ष 2024 में 1,149 मिलियन टन कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहा है।
- भारत का लक्ष्य त्वरित अन्वेषण लाइसेंसिंग, अन्वेषण और गैस विपणन सुधारों जैसे उपायों के माध्यम से इसी अवधि में कुल तेल और गैस उत्पादन में 40% से अधिक की वृद्धि करना है।
- जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन को कम करने के लिये भारत द्वारा किये गए उपाय
- भारत ग्रीनहाउस गैस (GHG) कार्यक्रम:- भारत GHG कार्यक्रम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने और प्रबंधित करने के लिये एक उद्योग के नेतृत्व वाला स्वैच्छिक ढाँचा है।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC): NAPCC को वर्ष 2008 में शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य जनप्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग और समुदायों के मध्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे तथा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये जागरूकता पैदा करना है।
• भारत स्टेज-VI मानदंड:-
- भारत द्वारा भारत स्टेज- IV (BS-IV) से भारत स्टेज-VI (BS-VI) उत्सर्जन मानदंडों को अपना लिया गया है।
- अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयास।
काला सागर
• काला सागर की भौगोलिक स्थिति:-
- काला सागर पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच स्थित है।
- यह क्रमशः दक्षिण, पूर्व और उत्तर में पोंटिक, काकेशस तथा क्रीमियन पहाड़ों से घिरा हुआ है।
- काला सागर भी कर्च जलडमरूमध्य द्वारा आज़ोव सागर से जुड़ा हुआ है।
तुर्की जलडमरूमध्य प्रणाली – दर्दनल्स, बोस्पोरस और मरमारा सागर – भूमध्य तथा काला सागर के बीच एक संक्रमणकालीन क्षेत्र बनाती है। - काला सागर के सीमावर्ती देश हैं: रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, तुर्की, बुल्गारिया और रोमानिया।
- काला सागर के जल में ऑक्सीजन की भारी कमी है।
• काला सागर में रूस की रुचि:-
- यह क्षेत्र माल और ऊर्जा के लिये एक महत्त्वपूर्ण पारगमन गलियारा है।
- रूस ने 2014 में यूक्रेन के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण प्रायद्वीप क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया, जो इस सदी में एक संप्रभु राज्य के सबसे ज़्यादा क्षेत्र पर कब्ज़ा है।
- अधिकांश देश इस कब्ज़े को मान्यता नहीं देते हैं और यूक्रेन का समर्थन करते हैं।
•काला सागर में अमेरिका की रुचि:-
- काला सागर बुल्गारिया, जॉर्जिया, रोमानिया, रूस, तुर्की और यूक्रेन से घिरा है। ये सभी नाटो देश हैं।
- नाटो देशों और रूस के बीच इस टकराव के कारण काला सागर सामरिक महत्त्व का क्षेत्र है और एक संभावित समुद्री फ्लैशपॉइंट है।
- नाटो के सदस्य तुर्की, ग्रीस, रोमानिया और बुल्गारिया काला सागर से प्रत्यक्ष रूप से संबद्ध हैं, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य नाटो सहयोगियों के युद्धपोतों ने भी यूक्रेन के समर्थन हेतु लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
- रूस ने अक्सर क्रीमिया के पास नाटो युद्धपोतों की आवाजाही को इस क्षेत्र को अस्थिर करने वाला कदम बताया है।
टीम रूद्रा –
- मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
सुरजीत गुप्ता – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।