10 April 2021 Current affairs

कार्बन न्यूट्रैलिटी 

चर्चा में क्यों?

     गैर-लाभकारी ऊर्जा और जलवायु खुफिया इकाई (ECIU) ने जानकारी दी है कि हाल ही में 32 देशों ने मध्य शताब्दी या उसके आस पास कार्बन तटस्थता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है ।

  प्रमुख बिन्दु

  • 2050 तक कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने के लिये संकल्पित देशों की सरकारों और व्यवसायों की संख्या तो बढ़ रही है।

   कार्बन न्यूट्रैलिटी (कार्बन तटस्थता)

कार्बन न्यूट्रैलिटी या नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का तात्पर्य है कि जितनी कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जित की जाएगी, उतनी ही कार्बन डाईऑक्साइड वातावरण से हटाई जाएगी।

वैश्विक स्तर पर कार्बन तटस्थता की स्थिति

  • भूमि उपयोग और भूमि उपयोग परिवर्तन एवं वन संबंधित उत्सर्जन पर गंभीरता से विचार विचार नहीं किया है।
  • 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने के लिए एक कानून बनाया गया है।
  • यह सौदा यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है। 
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक़, कार्बन उत्सर्जन के मामले में चीन सबसे ऊपर है।

    भारत कीपरतिबद्धता

  • भारत ने अप्रैल 2016 में औपचारिक रूप से पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। 
  • भारत का लक्ष्य 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन को 33-35 फीसद तक कम करना है।
  • इसके साथ ही भारत का लक्ष्य 2030 तक अतिरिक्त वनों के माध्यम से 2.5-3 अरब टन कार्बन डाई ऑक्साइड के बराबर कार्बन में कमी लाना है।

AI आधारित पोर्टल : SUPACE

चर्चा में क्यों

हाल ही में मुख्य न्यायाधीश ने एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित पोर्टल ‘SUPACE’ लांच किया है। जिसका उद्देश्य कानूनी अनुसंधान के लिए न्यायाधीशों की सहायता करना है।

तथ्य

  • SUPACE का पूर्ण रूप है- सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी
  • यह उपकरण प्रासंगिक तथ्यों और कानूनों को एकत्र करता है उन्हें न्यायाधीशों के लिए उपलब्ध कराता है।
  • इससे समय की काफी बचत होगी, जिससे लंबित मामलों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।
  • AI न्याय तक पहुंचने के मौलिक अधिकार के लिए अधिक सुव्यवस्थित, लागत प्रभावी और समयबद्ध साधन प्रस्तुत करेगा।
  • यह सेवा वितरण तंत्र को पारदर्शी और लागत प्रभावी बनाएगा।

चुनौतियां:-

‘SUPACE’ की शुरुआत के बाद न्याय प्रणाली में कुछ विशिष्ट पदों की आवश्यकता नहीं रहेगी और उन्हें समय के साथ समाप्त कर दिया जाएगा।

ई-कोर्ट परियोजना

  • ई-कोर्ट परियोजना को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी(ICT) के माध्यम से भारतीय न्यायपालिका में बदलाव लाने की दृष्टि से संकल्पित किया गया था।
  • ई-कोर्ट परियोजना, एक पैनइंडिया परियोजना है, जिसकी निगरानी और वित्त पोषण न्याय विभाग कानून एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार द्वारा की जाती है।

World Economic Outlook : IMF

चर्चा में क्यों

हाल ही में आईएमएफ द्वारा World Economic Outlook Report जारी की गई जिसके अनुसार भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021 में 12.5% रहने का अनुमान है इससे पहले जनवरी 2021 में इसे 11.5% अनुमानित किया गया था।

तथ्य
• भारतीय अर्थव्यवस्था 2021 में 12.5% और वर्ष 2022 में 6.9% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। भारत की अर्थव्यवस्था में 2020 में 8% का संकुचन देखा गया।
• वर्ष 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था को चीन की अर्थव्यवस्था से अच्छा दिखाया गया है।

सुझाव

स्वास्थ्य देखभाल:-

• टीकाकरण, उपचार और स्वास्थ्य देखभाल के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च को प्राथमिकता देकर स्वास्थ्य संकट से बचा जा सकता तथा राजकोषीय खर्च प्रभावित परिवारों पर अच्छी तरह से लक्षित होना चाहिए।

उदार मौद्रिक नीति

• स्थाई उपायों द्वारा वित्तीय जोखिम दूर किया जाए।
• अवसंरचनात्मक विकास एवं आर्थिक सुधार के प्रति कठोर दृष्टिकोण।

प्राथमिकताएं:-

• जलवायु परिवर्तन को कम करना, उत्पादन क्षमता को बढ़ाना, असमानता कम करना इत्यादि।

IMF

• 1945 में स्थापित
उद्देश्य– अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली को स्थिरता प्रदान करना
रिपोर्ट– वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रत्यक्ष भुगतान

चर्चा में क्यों

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के नवीनतम आदेशों के बाद फार्म यूनियनों ने चेतावनी दी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रत्यक्ष भुगतान पर केंद्र का आग्रह फसल खरीद प्रक्रिया में बाधक बन सकता है।

FCI का आदेश:-

  • एमएसपी का प्रत्यक्ष भुगतान मध्यस्थों को प्रक्रिया से हटाने के लिए केंद्र सरकार ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए सीधे किसानों के बैंक खाते में एमएसपी का भुगतान करना चाहती है।

जमाबंदी प्रणाली:- एफसीआई के आदेश में कहा गया है कि पट्टेदार किसानों और अंश धारकों को एक जमाबंदी समझौता को एक जमाबंदी समझौता जमाबंदी समझौता प्रस्तुत करना होगा।

  • जमाबंदी एक कानून समझौता है जो साबित करता है कि उन्हें पट्टे की समय अवधि तक उस जमीन पर अधिकार है ताकि खरीद की गई फसलों का भुगतान किया जा सके।
  • एफसीआई ने गेहूं और धान की खरीद के लिए उनके गुणवत्ता को प्रभावी बनाए जाने का प्रस्ताव किया है।

एफसीआई के आदेशों को चुनौती:-

  • पंजाब सरकार के साथ-साथ किसानों के एक बड़े वर्ग ने इसका विरोध किया।
  • हजारों शेयरधारकों के पास इस तरह की जमाबंदी समझौता नहीं है और वे इस आदेश से बहुत प्रभावित होंगे।
  • गेहूं और धान की खरीद के लिए गुणवत्ता की आवश्यकताओं को प्रभावी बनाने के एफसीआई के प्रस्ताव का विरोध किया जा रहा है।
  • प्रत्यक्ष भुगतान प्रणाली किसानों को उनकी फसल की कीमत पाने पाने से बाहर कर देगी।

ओपियम पॉपी स्ट्रॉ

पॉपी स्ट्रॉ:-

  • अफीम को बीज कोष से निकाले जाने के बाद इसके खसखस को पॉपी स्ट्रॉ कहा जाता है।
  • इसमें बहुत कम मात्रा में ‘मार्फिन’ होती है।
  • पॉपी स्ट्रॉ का भंडारण, बिक्री, उपयोग आदि राज्य सरकारों द्वारा ‘स्टेट नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस रूल्स’ के तहत विनियमित किया जाता है।

साझेदारी मॉडल

• भारत में केवल अफीम के गोद का उत्पादन किया जाता है। अब भारत सरकार ने निर्णय किया है कि भारत को CPS (कंसंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ) का उत्पादन शुरू किया जाना चाहिए।

महत्व

  • अफीम फसल में CPS की अपेक्षा अफीम का गोद अधिक मात्रा में पाया जाता है। यदि CPS किस्मों का उपयोग एक इनडोर ग्रीनहाउस वातावरण में किया जाता है तो 1 वर्ष में दो या तीन फसल चक्रों का होना संभव है।
  • भारत में अफीम क्षेत्र लगातार कम हो रहा है और CPS निष्कर्षण विधि से औषधीय उपयोगो हेतु कोडीन(अफीम से निकाले गए) जैसे उत्पादो के आयात पर सामयिक निर्भरता में कटौती करने में मदद मिलेगी।
  • इसका उपयोग होम्योपैथी और आयुर्वेद या स्वदेशी दवाओं के यूनानी प्रणालियों में भी किया जाता है।
  • इसके बीज को खाद्य तेल के रूप में उपयोग किया जाता है एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में भी यह कार्य करती है।

 टीम रूद्रा –

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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