शिक्षा एवं मनोविज्ञान (education and psychology)

शिक्षा एवं मनोविज्ञान (education and psychology)

अध्यात्मवादी दार्शनिक मनुष्य के लौकिक जीवन की अपेक्षा उसके पारलौकिक जीवन को अधिक महत्वशाली मानते हैं। अर्थात शिक्षा ऐसी हो, जिस से मुक्ति मिले

मुक्ति दो प्रकार की होती है

1- जीवन मुक्ति

2- विदेह मुक्ति

शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ परिभाषा एवं क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ – वास्तव मेंं शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान का व्यावहारिक पक्ष है क्योंकि मनोविज्ञान के सिद्धांतों का जिस क्षेत्र में उपयोग होनेे लगता है, उसी के नाम सेे उसकी अलग शाखा बन जाती है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की अभिन्न शाखा है। शिक्षा मनोविज्ञान का आरंभ अरस्तु के समय हुआ है और इसकीी उत्पत्ति यूरोप में पेस्टोलॉजी हरबर्ट और फ्रोबेल के कार्यों से हुई है। आज इसे मनोविज्ञान का व्यावहारिक रूप माना जाता रहा है क्योंकि है क्योंकि यह शिक्षकों और छात्रों के अच्छे शिक्षण में सहायता प्रदान करता है। शिक्षा मनोविज्ञान को निम्नलिखित परिभाषाओं के आधार पर भली-भांति समझा जा सकता है।

शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं

सी०ई० स्पिनर के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान उन अनुसंसाधनों का शैक्षिक परिस्थितियों में प्रयोग करता है जो शैक्षिक परिस्थितियों मे मानव तथा प्राणियों से संबंधित है।

कॉलसनिक के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धांतों और उपलब्धियों शिक्षा में प्रयोग है।

जेम्स ड्रेवर के अनुसार – व्यावहारिक मनोविज्ञान की वह शाखा जो शिक्षा समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्ययन के साथ मनोवैज्ञानिक खोजो तथा सिद्धांतों का शिक्षा में प्रयोग करने से संबंधित है शिक्षा मनोविज्ञान कहलाती है।

स्टाउट – मनोविज्ञान द्वारा शिक्षा सिद्धांतों को दिया जाने वाला मुख्य सिद्धांत यह है कि नवीन ज्ञान का विकास पूर्व ज्ञान के आधार पर किया जाना चाहिए।

क्रो एंड क्रो के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक अधिगम का वर्णन एवं व्यवस्था करता है।

स्टीफन के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।

सी०एच० गुड के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर परिपक्व अवस्था तक विभिन्न परिस्थितियों में गुजरते हुए व्यक्तियों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या है।

शिक्षा मनोविज्ञान की उपर्युक्त परिभाषा ओं के आधार पर निष्कर्ष: यह कहा जा सकता है कि-शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है जो शिक्षा संबंधित समस्याओं के हल के लिए मनोविज्ञान से सहायता लेता है इसे निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है।

  • शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है जो व्यक्ति के व्यवहारों का व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में अध्ययन करता है।
  • यह अनुसंधान ओं का शैक्षिक परिस्थितियों में प्रयोग करता है जो मानव तथा प्राणियों से संबंधित है।
  • शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धांतों का शिक्षा में प्रयोग है।
  • शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों, अध्यापकों और अभिभावकों के लिए आवश्यक रूप से जानने योग्य है।
  • शिक्षा मनोविज्ञान जीवन के वास्तविक आदर्शों की प्राप्ति में सहायक होता है।

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र

क्रो एंड क्रो ने शिक्षा मनोविज्ञान के निम्नलिखित क्षेत्र बताए हैं और कहा है कि- शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु अधिगम को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित निर्धारकों से संबंधित है।

1- वंशगत और सामाजिक विरासत

2- शारीरिक विकास

3- मानसिक विकास

4- संवेगात्मक एवं सामाजिक विशेषताएं

5- शिक्षा के व्यक्तिगत और सामाजिक परिणाम

6- शिक्षक तथा शिक्षार्थी का मानसिक स्वास्थ्य

शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक विज्ञान है जो जीवन के वास्तविक आदर्शों की प्राप्ति में सहायक होता है यह एक विधायक विज्ञान है। जिसने मनोविज्ञान के सिद्धांतों को अपनाकर शिक्षा में उनका अनुप्रयोग किया है। क्रो एंड क्रो ने इसके स्वरूप को इस रूप में परिभाषित किया है-

“शिक्षा मनोविज्ञान को व्यावहारिक मनोविज्ञान माना जा सकता है क्योंकि यह मानव व्यवहार के संबंध में वैज्ञानिक विधियों से जटिल सिद्धांतों और तथ्यों के अनुसार सीखने की व्यवस्था करता है”

शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में अधिक उपयोगी है क्योंकि यह मनुष्य के व्यवहारों का बाल्यावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक अध्ययन करता है।

1945 में अमेरिका की वैज्ञानिक परिषद ने ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ ने शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र निर्धारण के उद्देश्य से एक समिति की स्थापना की।सर्वेक्षण उपरांत शिक्षा मनोविज्ञान के निम्नलिखित क्षेत्रों का निर्धारण समिति द्वारा किया गया।

1- मानव विकास (human development)

मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करना इसका क्षेत्र है जिसमें विकास की अवस्थाएं, व्यक्ति का सामाजिक, मानसिक और संवेगात्मक विकास,व्यक्तिगत भेद तथा इसके आधार पर मार्गदर्शन कार्यक्रम इसके अंतर्गत आता है।

2- अधिगम ( learning)

इसके अंतर्गत बालक के सीखने की क्रियाएं आती हैं। सीखने के सिद्धांत, अधिगम अंतरण, अधिगम के घटक व आदतें लिए गए हैं।

3- व्यक्तित्व और समायोजन ( personality and adjustment)

इस क्षेत्र के अंतर्गत छात्रों और अध्यापकों के व्यक्तित्व और उनसे संबंधित समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व मापन जैसी समस्याओं का अध्ययन भी शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र है।

4- मापन एवं मूल्यांकन (measurement and evaluation)

इसके अंतर्गत मापन एवं मूल्यांकन के सिद्धांत, बुद्धि और उसका मापन,अधिगम और मापन तथा मूल्यांकन से होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

5- अध्ययन विधियां ( method of study)

शिक्षा मनोविज्ञान अभी विकास की प्रक्रिया में ही है। अनेक विधियों का विकास करना एवं उन को मान्यता प्रदान करना इसका विषय है।

इसके अतिरिक्त डगलस तथा हालैण्ड ने भी शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला है।

शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख क्षेत्र (men scope of educational psychology)

1- वंशानुक्रम और वातावरण

2- शैशवावस्था में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास।

3- अधिगम सिद्धांत, अधिगम अंतरण

4- बुद्धि और उसका मापन

5- व्यक्तिगत विभिन्नताएं

6- मानसिक स्वास्थ्य

7- व्यक्तित्व और उसका मापन तथा समायोजन

8- सृजनशीलता और उसका मापन

9- विशिष्ट बालकों की शिक्षा

10- चिंतन तर्क एवं समस्या समाधान

11- मापन और मूल्यांकन

12- अध्ययन विधियां

13- समाज मनोविज्ञान

अकेली ने शिक्षा मनोविज्ञान के निम्नलिखित कार्य बताए हैं।

  • बालक को प्रकृति का ज्ञान
  • अधिगम उद्देश्यों की जानकारी
  • शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांतों का ज्ञान
  • शिक्षक अधिगम सिद्धांत
  • शैक्षिक उपलब्धियों के मूल्यांकन की विधियों का ज्ञान
  • समायोजन
  • संवेगात्मक नियंत्रण।

भौतिकवादी विचारक – मनुष्य के लोकगीत जीवन को ही सत्य मानते हैं। उनकी दृष्टि मैं जीवन का अंतिम उद्देश्य सुख पूर्वक जीना है।

चार्वाको की दृष्टि में – शिक्षा वह है, जो मनुष्य को सुख पूर्वक जीवन व्यतीत करने योग्य्य्य बनाती हैती है।

हरवर्ट स्पेंसर – शिक्षा का अर्थ अंतः शक्तियों का वाह्य जीवन से समन्वय स्थापित करना है।

“शिक्षा” शब्द संस्कृत भाषा की ‘शिक्षा धातु’ में ‘अ’ प्रत्यय लगाने से बना है। “शिक्षा” का अर्थ सीखना और सिखाना। अतः शिक्षा शब्द का शाब्दिक अर्थ हुआ -सीखने और सिखाने की कला।

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