परिचय – वर्तमान वैश्विक व्यवस्था में परिवहन के साधनों का बहुमूल्य योगदान है। परिवहन के विभिन्न रूपों में वस्तुओं, सेवाओं तथा लोगों के परिवहन के मूल आधार है। परिवहन के साधन के महत्व को देखते हुए हे इन्हें वैश्विक व्यवस्था रूपी शरीर की जीवन रेखा कहा जाता है।
परिवहन क्षेत्रों को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम हो, जॉनसन तथा उलमान ने दो क्षेत्रों ( प्रदेशों ) के बीच परिवहन संबंध स्थापित करने के संदर्भ निम्न तत्वों को महत्वपूर्ण मानते हैं।
(i) परिपूरकता
(ii) विनिमियता
(iii) मध्यवर्ती आपूर्ति का अभाव
परिवहन के रूप
( i) सड़क
(ii) रेलवे
(iii) जल
a- समुद्री परिवहन
b- आंतरिक परिवहन
(iv) – वायु परिवहन
(v) – पाइपलाइन
(vi) – दूरसंचार सेवाएं
जल परिवहन
परिचय – यह परिवहन का एक सशक्त माध्यम है। आंतरिक जल परिवहन जहां क्षेत्रीय जुड़ाव का सशक्त माध्यम है वही समुद्री परिवहन वैश्विक जुड़ाव का एक जरिया है।
समुद्री परिवहन – सभी प्रकार के परिवहन के साधनों में समुद्री परिवहन सर्वाधिक सस्ता है। आज भी वैश्विक स्तर पर इसका कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। निश्चित मार्ग से चलने वाले जहाजों को कार्गो लाइनर कहते हैं जबकि अनिश्चित मार्ग पर चलने वाले ट्रंप जल पौधों का महत्व कम हो गया है। वर्तमान में समुद्री जहाज मर्केटर प्रक्षेप पर निर्धारित एक दिशा नौपथ ( लैक्सोड्रोम) अथवा रम्ब लाइन का उपयोग करते हैं। ताकि समय व धन की बचत हो सके।
विश्व के प्रमुख समुद्री जलमार्ग
(i) उत्तरी अटलांटिक समुद्री जलमार्ग – यह पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका जैसे विश्व के दो विकसित क्षेत्रों को जोड़ने वाला विश्व का सबसे महत्वपूर्ण समुद्री जलमार्ग है। इस समुद्री मार्ग पर विश्व के 25% समुद्री जहाज चलते हैं। विश्व के 50 बृहद समुद्री पन्तनो में से 30 इसी मार्ग पर स्थित है। लंदन, न्यूयॉर्क, क्यूबेक, मॉन्ट्रियल, ग्लास्गो, लिवरपूल, बोस्टन, राटरडम ,एंटबर्प, आदि विश्व के प्रमुख समुद्री पन्तन इसी मार्ग पर अवस्थित है। यह विश्व का सबसे व्यस्त समुद्री जलमार्ग है।
विश्व के प्रमुख समुद्री जलमार्ग
- उत्तरी अटलांटिक जलमार्ग
- दक्षिणी अटलांटिक जलमार्ग
- भूमध्य तथा हिंद महासागर के जलमार्ग
- प्रशांत महासागरीय जलमार्ग
- केपआफ गुडहोप जलमार्ग
- स्वेज नहर
- पनामा नहर
(2) दक्षिणी अटलांटिक जलमार्ग – यह जलमार्ग पश्चिमी यूरोप को दक्षिणी अमेरिका से तथा उत्तरी व मध्य अमेरिका को दक्षिणी अमेरिकी देशों से जोड़ने का कार्य करता है।
3- प्रशांत महासागर जलमार्ग – न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी पूर्वी एशिया, उत्तरी अमेरिका तथा पनामा नहर से होकर पश्चिमी यूरोपीय देशों के बीच व्यापार इस जलमार्ग के सहारे होता हैं। अध्यन की दृष्टिकोण से इसे हम उत्तरी व दक्षिणी प्रशांत महासागरीय जल मार्ग में वर्गीकृत कर सकते हैं।
4- केप आफ गुड होप जलमार्ग – यह जलमार्ग एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका उत्तरी अमेरिका यूरोप महादेव के देशों के बीच परिवहन की सुविधा उपलब्ध करवाता है।
5- पनामा नहर – यह नहर कैरेबियन सागर को पश्चिमी प्रशांत महासागर से जोड़ता है। यह नाहर 1914 में बनकर तैयार हुआ। लगभग 85 वर्षों तक इस पर यू एस ए का अधिकार रहा है* 2000 में इस पर पनामा का अधिकार हो गया। इस नहर के जहाजों को तीन इलाको होकर गुजरना होता है। इस नहर का अंतरराष्ट्रीय महत्व स्वेज नहर की तुलना में कम है। जिस प्रकार ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली आदि देशों को स्वेज नहर से सर्वाधिक लाभान्वित होते हैं। उसी तरह U.S.A. पनामा नहर से सर्वाधिक लाभान्वित होता हैं।
6- स्वेज नाहर जलमार्ग – स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ने वाला एक कृत्रिम जलमार्ग है। यह 1869 में बनकर तैयार हुआ। यह मिस्र की सिनाई प्रायद्वीप में स्थित ग्रेट वितर लिटिल वितर तिम्सा , मंजारा आदि झिलों को जोड़कर बनाया गया है। इसकी लंबाई लगभग 165 किलोमीटर है किंतु इसकी 10 मीटर से अधिक नहीं है। इसमें जहाज अधिक तीव्र गति से नहीं चल सकते हैं।
इस जलमार्ग का संबंध विश्व की 75% जनसंख्या से हैं।
आंतरिक जलमार्ग
A- उत्तरी अमेरिका
i – ग्रेट लेक्स, सेंट लारेंस जलमार्ग।
ii – मिसीसिपी जलमार्ग
iii – वैलेंडर नहर – ईरी – ओण्टोरियो
iv – ईरी नहर – ईरी – मिशीगन
v – सु-नहर – सुपीरियर का ह्यूरन झील
उल्लेखनीय है कि सुपीरियर, मिशीगन,ह्यूरन,ईरी, ओण्टोरियो, उत्तरी अमेरिका की पांच प्रमुख झीलें हैं।
यूरोप
1- राइन जलमार्ग – यह विश्व का सबसे व्यस्ततम जलमार्ग है। बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी आदि इससे लाभान्वित होने वाले देश हैं।
2- वोल्गा जलमार्ग – यह नदी कैस्पियन सागर में गिरती है तथा वोल्गा-डान नहर