जैव-भू-रसायन चक्र

जैव-भू-रसायन चक्र

  जैवमंडल में पोषक तत्वों (ऊर्जा) के संचरण को जैव- भू- रासायनिक चक्र करते हैं।

जलमंडल

कुल जल = 100%

समुद्र = 97%

स्वच्छ जल = 3%

स्वच्छ जल का 75% हिम

स्वच्छ जल का 26% भूमिगत जल

स्वच्छ जल का . 3% झिल में

स्वच्छ जल का जी लो .03% नदी में

परिचय

जैवमंडल में पोषक तत्वों के चक्रण को जैव भू रासायनिक चक्र कहते हैं। पोषण चक्र के अंतर्गत जल चक्र को गैसीय पोषक चक्र के रूप में उल्लेखित किया गया है।

हम जानते हैं कि पृथ्वी के 70% भाग में जल की विद्यमानता हैं। इसीलिए पोषक चक्र में जल चक्र को नेतृत्वकारी स्थान प्राप्त है।

जल चक्र के चरण ( step of water cycle)

वाष्पीकरण – वाष्पीकरण जल चक्र का एक महत्वपूर्ण घटक है। जलिय भागों से वाष्पन के द्वारा तथा जैव घटक से वाष्पोत्सर्जन के द्वारा जल वाष्प के रूप में ऊपरी वायुमंडल में वायु के द्वारा ( विभिन्न महत्वपूर्ण चक्रवार्तीय, संवहनीय, पर्वतीय ) पहुंचाया जाता है।

संघनन व बादल का निर्माण

 हम जानते हैं कि लघु जल शिखरों के सामुहिक समूह को बादल कहते हैं। ऊपरी वायुमंडल में विद्यमान वाष्प जब संघनन की क्रिया के माध्यम से आद्रता ग्राही नाभिक के चारो तरफ लघु जल शिखरों के रूप में एकत्र हो जाता है । तो ऐसी स्थिति में बादल का निर्माण हो जाता है।

वर्षण

 जब क्षेत्र विशेष के वायु में विद्यमान सापेक्ष आर्द्रता 100% हो जाता है। तब ऐसी स्थिति में वायु संतृप्त हो जाती है।

जिस बिंदु पर वायु संतृप्त होती है उसे ओसांक बिंदु कहते हैं। जब ओसांक बिंदु 0C से अधिक होता है तब जल वर्षण के रूप में वर्षण प्रक्रिया संपन्न हो जाती हैं। इसी तरह ओसांक बिंदु के 0C से या उससे कम होने पर वर्षण प्रक्रिया हिम के रूप में होती है।

संघनित जल के अपेक्षाकृत कम तापमान वाली क्षेत्रों से गुजरने वाली अथवा संघनित हिम के अपेक्षाकृत अधिक तापमान से गुजरने पर मिश्रित वर्षा होती है।

अपवाही जल 

वर्षा से प्राप्त जल का कुछ भाग हिम के रूप में पृथ्वी की सतह पर एकत्र हो जाता है। कुछ भाग रीस कर भूमिगत जल के रूप में पृथ्वी के अंदर संचित हो जाता है। इसी तरह कुछ भाग झीलों और तालाबों में तथा कुछ भाग सरिता जल के रूप में समुद्र में पहुंचा दिया जाता है।

उल्लेखनीय है कि ऊपर बताया गया जल चक्र वाष्पीकृत जल चक्र का एक सरलीकृत रूप है। वास्तविक जल चक्र काफी जटिल है। तथा उसके पूरा होने में जहां काफी समय लगता है वही एक जल चक्र के अंतर्गत अवरोध उत्पन्न होने से कई उपजल चक्र तथा किसी क्षेत्र विशेष में बहुजल चक्र की स्थिति देखी जा सकती है।

मानव हस्तक्षेप

वर्तमान में मानव हस्तक्षेप के कारण जल चक्र और संतुलित हो गया है। जलीय चक्र में असंतुलन ने जहां चरम घटनाओं के द्वारा परितंत्रीय और संतुलन को जन्म दिया है वहीं चल चक्र में अवनयन होने के कारण पर्यावरण की गुणवत्ता में काफी कमी हो गया है। यही कारण है कि वर्तमान मानव समाज जलीय आपदा के साथ-साथ सूखा और जल प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करता है।

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