जंतु जगत-
परिचय- इसके अंतर्गत प्राणियों के वितरण एवं उनके ऐतिहासिक विकास का अध्ययन किया जाता है। हम जानते हैं कि सभी जंतु उपभोक्ता होते हैं। पृथ्वी के भूगर्भिक इतिहास में कुछ विशेष कल्पो अथवा युगों में कुछ विशेष प्रजातियों की प्रमुखता रही है।
इसी तरह पूर्व में हुए बृहद विलोपन (Mass extinction) के कारण लगभग दो तिहाई प्रजातियां विलुप्त हो जाया करती थी।
जंतुओं के विश्व वितरण को प्रभावित करने वाले कारक-
भौतिक कारक- स्थल, जलवायु, सागर।
जैविक कारक- प्राणियों की अपने वातावरण के साथ अंर्तक्रिया, प्राणियों की गतिशीलता, प्रवास, वितरण, जीवो का आपसी संबंध।
जंतुओं का विसरण- अपने उत्पत्ति स्थान से प्राणियों के प्रसरण को विसरण कहते हैं जो क्रमशः त्वरित, मौसमी आदि कई रूपों में होता है।
हवाएं, धाराएं, जंतु विशेषकर मानव विसरण के प्रमुख अभिकर्ता हैं।
जिन प्राणियों में गतिशीलता का जन्मजात गुण होता है उस स्थिति में होने वाले विसरण को सक्रिय विसरण कहते हैं।
जब प्राणियों का विसरण किसी वाहक के सहायता से होता है तो उस स्थिति में होने वाले विसरण को निष्क्रिय विसरण कहते हैं।
स्थालीय जंतुओं के विश्व वितरण की विशेषताएं-
• भौतिक दशाएं प्रजाति विसरण को प्रमुख रूप से प्रभावित करती हैं।
• प्राणियों का प्रसारण चारों ओर होता है।
• स्तनधारी प्राणियों का सांद्रण ही संभव है।
द्वीपों पर विशिष्ट प्रकार के प्राणी पाए जाते हैं।
• कुछ प्राणियों का वितरण असंबद्ध रूप से होता है जबकि कुछ प्राणियों के वितरण में संबद्धता दिखाई पड़ते हैं।
• विश्व को जंतु प्रदेशों में वर्गीकृत करने का पहला प्रयास ए० आर० वैलास (1876) ने किया। जिसे वर्तमान में भी सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है। र्डालिंगटन, केनडिघ, जार्ज आदि ने भी इस दिशा में प्रयास किया है।
वर्तमान में विश्व को 6 प्रमुख प्राणी प्रदेशों में वर्गीकृत किया गया है
1- पुराआर्कटिक प्रदेश (Papaeoarctic region)
2- नूतन आर्कटिक प्रदेश (nearctic region)
3- प्राच्य प्रदेश (oriental region)
4- इथिओपियन प्रदेश
5- ऑस्ट्रेलियन प्रदेश
6- नवायनवृत्तीय प्रदेश (neotropical region)
पुराआर्कटिक प्रदेश- यूरोप, मध्य एवं पूर्वी एशिया का क्षेत्र इसमें शामिल है। टुण्ड्रा, कोणधारी, शीतोष्ण कटिबंधीय, पतझड़ तथा मरू क्षेत्र के प्राणी इसमें आते हैं।
नूतन आर्कटिक प्रदेश- इसके अंतर्गत उत्तरी अमेरिका तथा ग्रीनलैंड आते हैं।
प्राच्य प्रदेश- इसके अंतर्गत मुख्यत: दक्षिण एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया को शामिल किया जाता है। हिमालय प्रदेश, तिब्बत पठार, चीन के पर्वतीय भाग, पुरा और प्राच्य प्रदेश के मध्य संक्रमण मंडल का निर्माण करते हैं।
इथिओपियन प्रदेश- इसके अंतर्गत सहारा के मरुस्थल के उत्तर से समस्त अफ्रीकी प्रदेश तथा सुदूर दक्षिण पूर्वी अरबिया को शामिल किया जाता है। अन्य प्रदेशों की तुलना में यहां प्राणियों में सर्वाधिक विविधता पाई जाती है।
ऑस्ट्रेलियन प्रदेश- ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप तथा दक्षिणी पूर्वी एशिया के मध्य स्थित द्वीप इसके अंतर्गत आते हैं।
नवायनवृत्तीय प्रदेश- इसके अंतर्गत दक्षिणी अमेरिका क्षेत्र आता है।
सागरीय जंतुओं का वितरण- स्थलीय भागों के समान अवरोध न उत्पन्न होने के कारण सागरीय जीव अधिक दूरी तक प्रवसन करते हैं। इसलिए महासागर को प्राणी प्रदेशों में वर्गीकृत करना एक कठिन कार्य है।
केवल अयनवृत्तीय भागों में ही सागरीय प्राणियों का वितरण कटिबंधीय प्रतिरूप में पाया जाता है।
अयनवृत्तीय सागरीय प्रदेशों को चार प्रमुख प्राणी प्रदेशों में वर्गीकृत किया गया है-
1- अटलांटिक मंडल
2- हिंद महासागरीय मंडल
3- पश्चिमी प्रशांत महासागरीय मंडल
4- पूर्वी प्रशांत महासागरीय मंडल
सागरीय बायोम को ऊर्ध्वाधर स्तर पर तथा जंतुओं की विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुख्यतः दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-
1- नेक्टन
2- बेन्थस