चट्टान (Rocks)

चट्टान (Rocks)

चट्टान (Rocks)- चट्टान बालुका पत्थर एवं ग्रेनाइट की तरह कठोर, चीका एवं रेत की तरह मुलायम खड़िया मिट्टी एवं चूना का पत्थर की भांति प्रवेश्य अथवा शैल एवं स्लेट के सदृश अप्रवेश्य हो सकती है।
क्रस्ट में अधिकता से मिलने वाले तत्व क्रमशः- ऑक्सीजन>सिलिकॉन>एल्युमिनियम एवं लोहा
पपड़ी की शैलों की रचना- 6 खनिज- फेल्सफार, क्वार्टज, पायरोक्सीस, एम्फीवोल्स एवं माइका।
चट्टानों का वर्गीकरण-
• रवेदार- आग्नेय, रूपांतरित शैल
• ढेर युक्त- अवसादी शैल
आग्नेय शैल ( ognius rock)– कठोर, अप्रवेश्य, रवेदार, दानेदार, परत का अभाव पानी के प्रवेश नहीं कर पाने के कारण रासायनिक अपक्षय सीमित तथा भौतिक अपक्षय अधिक मात्रा में जीवावशेष का अभाव, ऊपरी भाग में संधियों की अधिकता एवं इसका संबंध ज्वालामुखी क्रिया से होता है।
चट्टानों का वर्गीकरण-
उत्पत्ति की प्रक्रिया के आधार पर-
1-अंत: र्निर्मित
(I) पतालीय
(ii) मध्यवर्ती

(a) धरातल की सतह के नीचे

2- वाह्य निर्मित
वैथोलिय- लंबे, असमान उभरे गुंबद के आकार जिसके किनारे खड़े ढाल वाले तथा आधार तल अधिक गहरायी। अपरदन होने पर भी इनका आधार तल नहीं दिखाई पड़ सकता है।
फैकोलिथ- अपनतियो एवं अभिनतियो मैं मैग्मा के जमाव से निर्मित स्थलाकृति को फैकोलिय कहते हैं।
लोपोलिथ- अवतल आकार वाली छिछली बेसीनो में मैग्मा के जमाव से तश्तरी के आकार की स्थलाकृति। ट्रांशवाल का लोपोलिथ ।
सिल एवं डाइक- परत के रूप में अवसादी एवं रूपांतरित शैल के बीच में मैग्मा का जमाव तथा इसके विपरीत डाइक लंब रूप में पाया जाता है।
लैकोलिथ- उत्तल ढाल के रूप में परतदार चट्टान के बीच में गुंबादाकार रूप में निचली एवं उत्तल रूप में उठी हुई पर्वतों के बीच में लावा का जमाव होने से निर्मित स्थलाकृति।
बाह्य आग्नेय शैल-
1- विस्फोटक उद्गार वाले- बड़े-बड़े आकार वाले टुकड़े बम, उनसे छोटे भाग लैपिली, बहुत महीन कण, धूल मिश्रित कण, व्रेसिया कहलाते हैं।
2- शांत उद्गार वाले- दरारी उद्गार वाले- लावा प्रवाह
रासायनिक संरचना के आधार पर
1- अम्ल प्रधान शैल- ग्रेनाइट, फेल्सफार↑, क्वार्ट्ज↑
2- बेसिक शैल- बेसाल्ट, ग्रैबो, डोलोराइट- मैग्नीशियम एवं लोहा↑
3- मध्यवर्ती आग्नेय शैल- डायोराइट एवं एण्डेसाइट
4- अल्ट्राबेसिक शैल- पेरिडोराइट
कणों के आधार पर शैलो का वर्गीकरण-
1- फैनेरैटिक – बड़े कणों के आकार वाली
2- पेगमैटिटिक – बहुत बड़े कणो वाली
3- अफैनटिक – बारीक कणो वाली
4- ग्लासी- कणहीन
5- पोरफाइटिक- मिश्रित कणो वाली
अवसादी शैल-

विशेषता

  • जीवावशेष भूपृष्ठ पर
  • सर्वाधिक मात्रा में,
  • परते परंतु रवेदार संगठित,
  • असंगठित एवं ढीली भी,
  • क्षैतिज रूप में बहुत कम,
  • संधियों एवं जोड़ों का पाया जाना,
  • दो संस्तरो के बीच संस्तरण तल पाया जाता है।
  • दो समान क्षैतिज परत के बीच के संस्तरण तल को conformity कोणिय झुकाव वाले unconformity इनके विपरीत दो समानांतर लेकिन विपरीत स्वभाव वाले संस्तरण तल को disconformity ( अपसमविन्यास) कहते हैं।
  • सूर्य की किरणों से दरारों का पडना,
  • शैल प्रायः मुलायम होती है।
  • धरातल का 75 % भाग अवसादी चट्टानों से ढका हुआ है एवं शेष 25 % भाग आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टानों से आवृत्त है ।
  • यद्यपि अवसादी चट्टानें धरातल का अधिकांश भाग आवृत्त किये हुए हैं , फिर भी भू पटल के निर्माण में इनका योगदान 5 % ही है , शेष 95 % भाग आग्नेय एवं रूपांतरित चट्टानों से निर्मित है । इस प्रकार परतदार चट्टानों का महत्त्व क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से है , भू – पृष्ठ में गहराई की दृष्टि से नहीं ।
  • ये चट्टानें रवेदार नहीं होती हैं ।
  • ये चट्टानें क्षैतिज रूप में बहुत कम पाई जाती हैं । पार्श्ववर्ती दबाव के कारण परतों में मोड़ पड़ जाता है अतएव ये चट्टानें सामूहिक रूप से अपनति एवं अभिनति के रूप में पायी जाती हैं ।
  • इन चट्टानों में जोड़ ( Joints ) पाये जाते हैं ।
  • ये चट्टानें प्रायः मुलायम होती हैं ( जैसे- चीका मिट्टी , पंक आदि ) , परन्तु ये कड़ी भी हो सकती हैं ( जैसे- बलुआ पत्थर ) ।
  • ये शैलें अधिकांशतः प्रवेश्य ( Porous ) होती हैं , परंतु चीका मिट्टी जैसी परतदार चट्टानें अप्रवेश्य भी हो सकती हैं ।
  • इनका निर्माण अधिकांशत : जल में होता है । परंतु लोएस जैसी परतदार चट्टानों का निर्माण पवन द्वारा जल के बाहर भी होता है । बोल्डर क्ले ( Boulder Clay ) या टिल ( Till ) हिमानी द्वारा निक्षेपित परतदार चट्टानों के उदाहरण हैं , जिसमें विभिन्न आकार के चट्टानी टुकड़े मौजूद रहते हैं ।
  • उत्पत्ति एवं संघटन ( Origin And Composition ) के आधार पर परतदार चट्टानों को तीन मुख्य वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : ( i ) यांत्रिक क्रियाओं द्वारा निर्मित अथवा चट्टानों के विखंडित पदार्थों से निर्मित ( Mechanically Formed or Clastic Rock )
  • ( a ) पवन द्वारा निर्मित जैसे- लोएस ।
  • ( b ) हिमानी द्वारा निर्मित जैसे- बोल्डर , मले ।
  • ( c ) जल द्वारा निर्मित , जैसे- बलुआ पत्थर ( Sand Stone ) , गोलाश्म ( Conglomerate ) , चीका मिट्टी ( Clay ) , शेल ( Shale ) आदि । सिल्ट एवं क्ले के संगठित होने से शेल का निर्माण होता है ।
  • ( ii ) जैविक तत्त्वों द्वारा निर्मित ( Orgnanically Formed or non Clastic Rock )
  • ( a ) जीव जन्तुओं द्वारा निर्मित , जैसे- चूना पत्थर ( Lime Stone ) , खड़िया ( Chalk ) ।
  • ( b ) पेड़ पौधों द्वारा निर्मित , जैसे- पीट ( Peat ) , कोयला , लिग्नाइट । ( iii ) रासायनिक तत्त्वों द्वारा निर्मित ( Chemically Formed ) जैसे डोलोमाइट ( Dolomite ) , सेंधा नमक ( Rock Salt ) , जिप्सम , चूना पत्थर ( Limestone ) आदि । auhic Rocks )


रूपांतरित चट्टान (metomorphic rocks)- परत एवं अवसादी शैल में रूप परिवर्तन होने से निर्मित शैल। रूपांतरण के दौरान चट्टानों के रूप एवं संगठन में परिवर्तन लेकिन विघटन एवं वियोजन नहीं होता है। कभी-कभी रूपांतरित शैल का भी रूपांतरण हो जाता है। प्रायः जीवाशेष का अभाव पाया जाता है।
रूपांतरण के कारक- उष्मा, संपीडन, घोल- H2O+CO2 या H2O+O2
रूपांतरण के प्रकार-
1- तापीय एवं संस्पर्शीय रूपांतरण- चट्टान विशेष एवं मैग्मा के संपर्क के कारण संस्पर्शीय एवं ताप के योग के कारण तापीय चूना पत्थर- संगमरमर
2- गतिक एवं क्षेत्रीय रूपांतरण- एक विस्तृत क्षेत्र में घटित होने के कारण प्रादेशिक रूपांतरण। इसमें संपीडन एवं ताप दोनों का हाथ रहता है। वलित पर्वतीय क्षेत्रों में संपीड़न के कारण चट्टानों के गहराई में जाने के कारण ताप के कारण रूपांतरण गति होने के कारण गतिक रूपांतरण।
3- जलीय रूपांतरण- जल के रासायनिक पदार्थों के मिलने से घोल के द्वारा भार एवं दबाव के कारण चट्टानों में रूपांतरण। क्षेत्र सीमित एवं पहचान में नहीं आता है।
4- तापीय एवं जलीय रूपांतरण- जब चट्टान के ऊपर गर्म जल होता है तो जल भार एवं दबाव तथा जल की वाष्प से चट्टानों में परिवर्तन होता है (नगण्य मात्र)
रूपांतरित शैलों का वर्गीकरण-
अवसादी शैलों का रूपांतरण
शैल एवं चीका- स्लेट चूना का पत्थर-संगमरमर
बालुका पत्थर- क्वार्टजाइट
आग्नेय- से रूपांतरण
ग्रेनाइट- नीस, ग्रेबो- सरपेन्टाइल
जब रुपांतरित शैलों में कण कुछ कुछ परत के रूप में समानांतर रूप में पाया जाता है तो इस प्रकार की बनावट को फीलियशन कहते हैं। इसी आधार पर चट्टानों को दो वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं-
पत्रीकृत- स्लेट, सिस्ट, नीस अपत्रीकृत- क्वार्टजाइट, संगमरमर, सरपेन्सइन।
संगमरमर- डोलोमाइट, तथा खरिया- संगमरमर
इटली के कारा प्रदेश का संगमरमर, राजस्थान के मकराना का संगमरमर, नर्मदा नदी घाटी के भेड़ाघाट जार्ज का संगमरमर, बहुरंगी संगमरमर, चट्टानों के एक निश्चित दिशा में टूटने का गुण क्लीवेज कहलाता है।
महीन कणों वाली परतदार शैल- सिस्ट

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