भारत में मॉडल

भारत में मॉडल

मॉडल अथवा प्रतिमान भौतिक विश्व की जटिलताओं को लघु अथवा सूक्ष्म रूप से तथा सहज रूप में प्रस्तुत करने की एक विधा है।
वास्तव में यह एक फोटोग्राफ के समान उतरा है जो किसी बड़ी आकृति को लघु आकृति के रूप में प्रदर्शित करता है।मॉडल एक प्रकार से वास्तविकता तथा मॉडल के बीच सेतु का काम करता है। एडवर्ड एकरमैन को भूगोल में गणितीय विधि तथा मॉडलों के निर्माण को प्रोत्साहित करने वाले विद्वानों में अग्रगण्य माना जाता है।
शोर्ले, पीटरहैगट, प्रेड मोरेल अन्य प्रमुख मॉडल के निर्माण को प्रोत्साहित करने वाले लोग भूगोलवेत्ता हैं।
एकोफ को मॉडलो के सैद्धांतिक विवेचन में योगदान करने वाले प्रमुख भूगोलवेत्ताओ में प्रमुख स्थान दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि मॉडल शब्द की व्याख्या सर्वप्रथम निल्सबोर ने किया।

मॉडल की विशेषताएं
मॉडल वास्तविकता के समस्त लक्षणों को प्रकट नहीं करते हैं। वह केवल वास्तविक भौगोलिक तथ्य का समानित तल ढांचा प्रस्तुत करते हैं।
कुछ मॉडल वास्तविकता के काफी निकट होते हैं जबकि कुछ मॉडल वास्तविकता के काफी दूर होते हैं।
मॉडल सुग्राह होते हैं ताकि जटिलताओं को समझा जा सके। मॉडल परिकल्पनाओं के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं । तथा समानीतल द्वारा नियमों तथा सिद्धांतों के निर्माण में सहायक होते हैं।मॉडलों की सहायता से उपलब्ध आंकड़ों द्वारा अधिकतम सूचनाएं प्राप्त की जा सकती हैं।

भूगोल में मॉडल की उपयोगिता-
मॉडलों के द्वारा इस विस्तृत तथा जटिल संसार के भौगोलिक तथ्यों का विश्लेषण सुगमता पूर्वक संभव हो पाया। प्रत्यक्ष न दिखने योग्य भौगोलिक तथ्यों का मॉडल द्वारा विश्लेषण करना संभव हो पाया। वर्तमान में भूगोल में तंत्र विश्लेषण पर पर्याप्त जोर दिया जा रहा है।
G.I.S इसका समकालीन जीता जागता उदाहरण है।तंत्र उपागम में भूगोल में गणितीय मानव के विकास को प्रोत्साहित किया है। मॉडल भाषाई उद्वियता के प्रमुख उत्प्रेरक हैं।
मॉडलों और सिद्धांतों के निर्माण के लिए आधार का काम करता है।

मॉडलों के प्रकार-सामान्यतया मॉडल तीन प्रकार के होते हैं।
1-मूर्तिमान मॉडल (Iconik model)
2-अनुरूप मॉडल(Anolog Model)
3-संकेतात्मक अथवा प्रतीकात्मक मॉडल (Symbolic model)

मूर्तिमान मॉडल

वास्तविकता के संक्षिप्तीकरण के प्रथम स्वपान पर मूर्तिमान मॉडल का निर्माण किया जाता है इस मॉडल में वास्तविक तत्वों को अनेक लक्षणों सहित लघु रूप में दिखाया जाता है।
यह मॉडल त्रिविमीय स्वरूप के होते हैं।
ग्लोब मूर्तिमान मॉडल का सर्वोत्तम उदाहरण है।
उत्थित उच्चावच मानचित्र विधि भी मूर्तिमान मॉडल का उदाहरण है। इसके अंतर्गत किसी भी भौगोलिक तथ्य केवल स्थूल तथा प्रमुख लक्षणों को ही दिखाया जाता है कुल मिलाकर वास्तविकता का उसी रूप किंतु लघु रूप में प्रदर्शन ही मूर्तिमान माडल है।

अनुरूप मॉडल
वास्तविकता के संक्षिप्तीकरण के द्वितीय स्तर पर अनुरूप मॉडल आता है। इसके अंतर्गत वास्तविक तथ्यों को भिन्न किंतु अनुरूप तथ्यों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। विभिन्न प्रकार के आरेख, चित्र, मानचित्र आदि अनुरूप मॉडल के उदाहरण हैं।

संकेतात्मक अथवा प्रतीकात्मक मॉडल
गणित मॉडल के नाम से जाने जाने वाले इस मॉडल में वास्तविक तथ्यों को गणितीय संकेत द्वारा दिखाया जाता है।
जैसे – वृत्त की परिधि=2πr एक मॉडल है जो वृत की परिधि और त्रिज्या के अनुपात को व्यक्त करता है।

मॉडल का सामान्य वर्गीकरण
1-मापक मॉडल
2-मानचित्र मॉडल
3-गणितीय मॉडल
4-अनुकरण उद्यम रूप
5-ऐतिहासिक
6-अवस्थितीक विश्लेषण एवं भूमि उपयोग मॉडल

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