भारतीय भूगोलवेत्ता
परिचय
प्राचीन भारत में भूगोल अन्य विषयों की भांति धर्म पर आधारित था। इसका अलग से भूगोल विषय के उपनाम से अध्ययन नहीं किया जाता था। उस समय के धर्म ग्रंथों, प्रसिद्ध विचारकों की पुस्तकों का विश्लेषण करने से हमें अत्यंत महत्वपूर्ण भौगोलिक जानकारियां प्राप्त होती हैं।
भूगोल से संबंधित प्रमुख तथ्य
- भूगोल पदनाम का प्रयोग सूर्य सिद्धांत में किया गया है।
- पुराणों से हमें भूगोल, खगोल,ज्योतिष आदि के बीच विद्यमान भिन्नताओं के बारे में जानकारी मिलती है।
- पृथ्वी शब्द का प्रयोग वेद और पुराणों में कई बार हुआ है।
- ऐतरैय ब्रह्मांड में पृथ्वी को मंडलाकार बताया गया है।इसमें कहा गया है कि ना सूर्योदय होता है ना अस्त होता है बल्कि यह दिन के समाप्ति पर दूसरी ओर चला जाता है।
- पुराणों में अक्षांश एवं देशांतरों का संदर्भ मिलता है।
- भूकंप एवं ज्वालामुखी शब्द का उपयोग भी पुराणों में मिलता है।
पौराणिक युग में भारतीय विद्वानों ने विश्व को 7 द्वीपों में विभाजित किया
1-पुष्कर द्वीप
2-जंबूद्वीप
3-कुश द्वीप
4-शक द्वीप
5-साल्मली
6-क्रौच
7-पलाक्ष
- उल्लेखनीय है कि जंबूद्वीप को नौ उपखंडों में वर्गीकृत किया गया।
- ऋग्वेद में 5 ऋतुओं का उल्लेख मिलता है।(बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत) का उल्लेख मिलता है।
- बाल्मीकि रामायण में 6 ऋतु (शिशिर 6वां ऋतु है।)
- ऋग्वेद के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी के चारों तरफ परिक्रमा करता है।
- प्राचीन भारतीय खगोलको को इस बात की जानकारी थी कि विभिन्न देशांतरों पर स्थित स्थानीय समय भिन्न-भिन्न होता है।
- आर्यभट्ट ने पृथ्वी को गोलाकार पिंड बताया । उनके अनुसार पृथ्वी की परिधि 24833 मील है जो कि वास्तविकता के अत्यंत निकट है।
- आर्यभट्टयम तथा सूर्य सिद्धांत इनकी प्रमुख पुस्तक हैं।
- बारामिहिर प्राचीन काल के प्रमुख खगोलवेत्तां थे।पंच सिद्धांत इनकी प्रमुख पुस्तक हैं।बृहत जातक ,लघु जातक, बृहत संहिता इनकी अन्य पुस्तकें हैं।
- सिद्धांत शिरोमणि, कर्ण कुतूहल भास्कराचार्य की प्रमुख पुस्तक है।इन्होंने पृथ्वी को 360 0 में विभाजित किया जिसमें प्रत्येक अंश को 60 मिनट(कला) तथा प्रत्येक मिनट को 60 विकला (सेकंड ) में वर्गीकृत किया।
- ब्रह्म सिद्धांत तथा खंड खाद्य ब्रह्मगुप्त की प्रमुख पुस्तकें हैं।
- चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के विषय में आर्यभट्ट ने संसार को व्यवस्थित रूप में परिचित कराया।
- इन्होंने ही प्रथम बार कहा कि सूर्य स्थित है तथा पृथ्वी उसके चारों ओर घूमती है।
- पुराण भी भौगोलिक जानकारी के मुख्य स्रोत हैं।
- पुराण के पांच प्रमुख विषय रहे हैं।
1-सर्ग (जगत की सृष्टि)
2-प्रतिसर्ग (प्रलय के पश्चात जगत की पुनः सृष्टि)
3-मन्वंतर (महायुग)
4-वंश(ऋषियों एवं देवताओं की वंशावली)
5-वंशानुचरित (प्राचीन राजकुलो का इतिहास)