सौर वातावरण के चुंबकीय क्षेत्र का मापन
- हाल ही में जनरल साइंस में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, सौर भौतिकविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम जिसमें चीन तथा अमेरिका भी शामिल थे, ने पहली बार सूर्य के कोरोना अर्थात सूर्य के बाहरी वातावरण के चुंबकीय क्षेत्र का वैश्विक पैमाने पर मापन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
शोध प्रक्रिया
- शोध टीम द्वारा कोरोना क्षेत्र का मापन करने के लिए “कोरोनल सीस्मोलॉजी”या “मैग्नेटो सीस्मोलॉजी”नामक तकनीक का प्रयोग किया गया।
- इस विधि में “मैग्नेटो हाइड्रोडायनेमिक”(MHD) तरंगों के गुणों तथा कोरोना के घनत्व को एक साथ मापन की आवश्यकता होती है।
- शोध टीम ने कोरोनल चुंबकीय क्षेत्र के मापन के लिए उन्नत कोरोनल मल्टी चैनल पोलीरमीटर (CoMP) तथा उन्नत डेटा विश्लेषण तकनीक का प्रयोग किया है।
मैग्नेटो हाइड्रोडायनेमिक (MHD)
- तरंगों के गुण उस माध्यम पर निर्भर करते हैं जिसमें वे यात्रा करते हैं।
- एक चुंबकीय प्लाज्मा के माध्यम से गुजरने वाली तरंगों को MHD तरंगे कहा जाता है।
उन्नत ‘कोरोनल मल्टी-चैनल पोलीरमीटर’ (CoMP)
- CoMP एक उपकरण है, जो हवाई द्वीप पर उच्च ऊंचाई पर स्थित वेधशाला द्वारा संचालित है। जिसका उपयोग कोरोना के चुंबकीय क्षेत्र के अध्ययन में किया जाएगा।
चुंबकीय सामंजस्य (magnetic reconnection)
- एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विपरीत ध्रुवीयता वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक दूसरे मे मिल जाती हैं जिससे कुछ चुंबकीय ऊर्जा और गतिज ऊर्जा में बदल जाती हैं जो कोरोना की उष्णता तथा सोलर फ्लेयर्स आदि का कारण बनती हैं।
NOTE
- भारत सूर्य से संबंधित परीक्षण के लिए ‘आदित्य L-1’मिशन को भेजने की तैयारी कर रहा है। यह सूर्य के वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र का नजदीक अध्ययन करेगा।
दिवाला और शोधन अक्षमता संबंधी नियमों में संशोधन
- हाल ही में भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कारपोरेट के लिए दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड(स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) नियम, 2017 में शोधन किया।
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड(कारपोरेट के लिए दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम 2016 में संशोधन
- अंतरिम समाधान पेशेवर द्वारा प्रस्तुत किए गए तीन “इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल”उसी राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश से होने चाहिए, जहां से कारपोरेट देनदार के रिकॉर्ड के अनुसार सबसे अधिक लेनदार है।
- इसके माध्यम से इसे अधिकृत प्रतिनिधि (AR) और लेनदारो के बीच समन्वय और संचार में आसानी होगी।
- मूल्यांकन मैट्रिक्स(EM) के अनुसार सभी समाधान योजनाओं का मूल्यांकन करने के बाद, लेनदारो की समिति(CoC) सभी समाधान योजनाओं पर एक साथ मतदान करेंगी।
- कुल मतदान 66% से कम नहीं होना चाहिए।
IBBI(स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) नियम 2017 में संशोधन
- कारपोरेट व्यक्ति अपने वर्तमान परिसमापक के स्थान पर किसी अन्य दिवाला पेशेवर (इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल) को एक सामान्य प्रस्ताव के माध्यम से परिसमापक(Liquidity) के रूप में नियुक्त कर सकता है।
दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC),2016
- अगर कोई कंपनी कर्ज नहीं चुकाती है तो IBC ,2016 के तहत कर्ज वसूलने के लिए उस कंपनी को दिवालिया घोषित किया जा सकता है।
- संहिता की धारा 12 दिवालिया प्रक्रिया की पूरी प्रक्रिया को 180 दिनों के भीतर पूरी की जानी अनिवार्य है।
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI)
- स्थापना: दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 (IBC) के तहत 1 अक्टूबर 2016 को हुई थी।
- IBBI, मुख्य तौर पर IBC 2016 को सही ढंग से लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
- वर्तमान में डॉक्टर एम०एस०साहू IBBI के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत है।
आंगनबाड़ी सेवाओं का कार्यान्वयन
चर्चा में क्यों?- “राइट टू फूड कैंपेन”द्वारा महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को दिए ज्ञापन में आग्रह किया गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों को पके हुए भोजन का प्रावधान फिर से शुरू करना चाहिए और आगनबाडी सेवाओं का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए।
प्रमुख बिंदु
- 25 मार्च को लॉकडाउन के बाद 8 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के लिए पका हुआ भोजन और घर पर राशन लेने का प्रावधान बंद हो गया।
- महिला व बाल विकास मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया कि यदि वे एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS) के तहत भोजन व अनाज की होम डिलीवरी नहीं कर पा रहे हैं तो प्रत्येक लाभार्थी तक खाद्य सुरक्षा भत्ते का विस्तार करना होगा।
समस्या
- “राइट टू फूड कैंपेन”के अनुसार इस असाधारण समय में ICDS के तहत मिलने वाली सुविधाओं को बंद करने से कुपोषण के प्रति सुभेद्य बच्चों को खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
- “पोषण कोविड-19 मॉनिटरिंग रिपोर्ट” के अनुसार भारत में 14 सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में से 10 ने कुपोषित बच्चों के सामुदायिक प्रबंधन के लिए कार्य नहीं किया है जबकि 8 राज्य 6 वर्ष तक के बच्चों के निवास मापदंडों को मापने में असमर्थ रहे हैं।
आंगनबाड़ी
- यह राज्यो अथवा केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
- यह ग्रामीण बच्चों व मातृ देखभाल के लिए कार्य करती है।
- इसकी शुरुआत 1975 में बाल कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए की गई थी।
सुझाव
- “राइट टू फूड कैपेन” ने बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पैकेज में बदलाव की मांग की साथ ही महामारी के दौरान पके हुए भोजन और सूखे अनाज के अलावा एक व्यापक पैकेज देने की मांग की।
- ASHAS और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोविड-19 सुरक्षा संबंधी उपकरण देने की मांग की है।
- बीते माह WHO, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम(WFP)और FAO ने मातृ व बाल पोषण में निवेश को बढ़ाने तथा कुपोषण को खत्म करने के प्रयासों में तेजी लाने पर जोर दिया।
काॅर्ड ब्लड ( Cord blood )
- हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ने कहा प्लाज्मा उपचार के अलावा कार्ड ब्लड का इस्तेमाल कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए किया जाएगा।
- कार्ड ब्लड, नाभि रज्जु और गर्भनाल की रक्त वाहिकाओंं में पाया जाता और जन्म के बाद बच्चे की नाभि रज्जु काटकर एकत्र किया जाता है।
- इसमें रक्त कोशिकाएं होता है जो प्रतिरक्षा विकारों के इलाज में उपयोग की जाती है।
- काॅर्ड ब्लड RBC, WBC, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स से मिलकर बना होता है।
काॅर्ड ब्लड बैंकिंग
- काॅर्ड ब्लड को एकत्र करने के लिए “जमाने (freezing) की विधि” द्वारा कई वर्षों तक सुरक्षित संग्रहित किया जा सकता है।
- फ्रीजिंग विधि को क्रायोप्रेजर्वेशन ( cryopreservation) भी कहा जाता है।
फूड सिस्टम विजन 2050 पुरस्कार
- राक फेलर फाउंडेशन ( न्यूयॉर्क) द्वारा हैदराबाद स्थित NGO “नंदी फाउंडेशन” एक पुरस्कार के लिए चुना गया।
- नंदी फाउंडेशन को यह पुरस्कार अराकु, वर्धा और नई दिल्ली के क्षेत्रों में “अराकुनोमिक्स (araku nomics) मॉडल” की सफलता के कारण प्रदान किया गया है।
- पुरस्कार राशि $200000 है।
अराकुनोमिक्स (arakunomics) मॉडल
- यह एक नया एकीकृत आर्थिक मॉडल है जो पुनर्योजी कृषि ( Reqeverative Agriculture) के माध्यम से किसानों के लिए लाभ और उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।
- अराकु के आदिवासी किसानों के क्षेत्र में विश्वस्तरीय काफी का उत्पादन किया जो 2017 में पेरिस (फ्रांस) में लांच किया गया था।
नंदी फाउंडेशन
- स्थापना सर्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में 1 नवंबर 1998 को किया गया।
- भारत में 19 राज्यों में कार्य करता है और अब तक 7 मिलियन लोग लाभान्वित हुए हैं।
राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र ( RSK)
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का उद्घाटन किया, जो “स्वच्छ भारत मिशन” पर एक परस्पर संवादात्मक अनुभव केंद्र हैं।
- इसकी घोषणा पहली बार 10 अप्रैल 2017 को महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी
चंपारण सत्याग्रह (बिहार)
- वर्ष 1917 में गांधीजी का प्रथम सत्याग्रह था “तिनकठिया पद्धति “ से संबंधित था।
- राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर गांधी जी ने चंपारण आने और कृषक उनकी समस्याओं की जांच की।
- एन. जी. रंगा ने इस सत्याग्रह का विरोध किया था।
- रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधी जी को “महात्मा” की उपाधि दी थी।
नोट – RSK की स्थापना से विभिन्न सूचनाएं, जागरूकता और जानकारियां प्राप्त होगी, जिससे आने वाली पीढ़ी दुनिया के सबसे बड़े व्यवहार परिवर्तन अभियान “स्वच्छ भारत मिशन” की सफल यात्रा से सही ढंग से अवगत हो पाएगी।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti