सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम
- पिछले वर्ष 5 अगस्त को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा (अनु०370,35(A)) समाप्त कर दिया गया था। इसके लगभग 1 साल के बाद भी जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय पार्टियों के 2 दर्जन से अधिक प्रमुख नेता अपने घरों में नजरबंद हैं।
उपाय से संबंधित चिंता
- मानव अधिकारों व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन
- बिना किसी प्रशासनिक आदेश के गृह नजरबंदी अवैध है।
- हिरासत में लिए गए 500 से अधिक लोगों में पथराव करने वाले, वकील, हुरियत के अलगाववादी नेता तथा भारत समर्थक दलो के नेता भी शामिल है।
- सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत इन्हें गिरफ्तार किया गया।
सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम की शक्तियां
- इसे जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम 1978 भी कहा जाता है।
- यह एक निवारक निरोध कानून है जिसके तहत राज्य की सुरक्षा बनाए रखने के लिए किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार की आशंका पूर्ण गतिविधि करने से रोकने के लिए हिरासत में लिया जाता है।
- इस अधिनियम को संभागीय आयुक्त या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रशासनिक आदेश पारित कर लागू किया जाता है। कारण बताना आवश्यक नहीं होता है।
- अधिनियम की धारा 22 के तहत प्रवर्तक अधिकारियों को अच्छे उद्देश्य सिद्धि के लिए सुरक्षा प्रदान किया गया।
न्यायालय का हस्तक्षेप
- हिरासत में लिए गए व्यक्ति के रिश्तेदारों द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से ही न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
- इस प्रकार की याचिका पर केवल सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा सकती है।
गोरखा सैनिकों से संबंधित 1947 का त्रिपक्षीय समझौता
- हाल ही में नेपाल के विदेश मंत्री द्वारा गोरखा सैनिकों की सैन्य सेवाओं से संबंधित सन 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते को निरर्थक बताया गया।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 1947 में भारत की आजादी के समय ब्रिटेन भारत -नेपाल के मध्य त्रिपक्षीय समझौता किया गया था।
- इस समझौते के तहत ब्रिटिश साम्राज्य की गोरखा रेजीमेंट को भारत व यूनाइटेड किंगडम के बीच बांट दिया गया था।
- पिछले कुछ समय से सेवानिवृत्ति गोरखा सैनिक ब्रिटेन पर भेदभाव करने का आरोप लगा रहे हैं तथा हाल ही में “काला पानी”को लेकर भारत व नेपाल के बीच क्षेत्रीय विवाद उभरा।
इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण हेतु “उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन” योजना (PLI)
संदर्भ
- इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) की इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए PLI योजना के अंतर्गत मोबाइल फोन तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक कल पुर्जो के निर्माण के संबंध में सैमसंग, पेगाट्राॅन, फ्लेक्स और फाॅक्सकान जैसे वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज सरकार के साथ वार्ता के अंतिम चरण में हैं।
PLI योजना के बारे में
- उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI) योजना को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति के भाग के रूप में 1 अप्रैल 2020 को अधिसूचित किया गया।
- PLI के तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों के निर्माण में व्यापक निवेश को आकर्षित करने के लिए ‘वित्तीय प्रोत्साहन’ प्रदान किए जाते हैं।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
- पात्र कंपनियों को 5 वर्ष के लिए 4-6% तक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी जिसका आधार वर्ष 2019-20 होगा।
- आवेदन करने के लिए शुरुआत में 4 महीने का समय जिसे बढ़ाया भी जा सकता है।
- योजना का कार्यान्वयन नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, यह एजेंसी “परियोजना प्रबंधन एजेंसी” (PMA) के रूप में कार्य करेगी तथा (Meity) द्वारा सौंपे गए सचिवीय, प्रबंधकीय और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करने संबंधी कार्य करेगी।
पात्रता
- ₹15000 अथवा उससे अधिक मूल्य के मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को भारत में निर्मित सभी मोबाइल फोन की बिक्री पर 6% तक की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
- भारतीय नागरिकों के स्वामित्व में मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को अगले 4 वर्षों में 200 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
निवेश का प्रकार
- सभी भारतीय इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कंपनियां अथवा भारत में पंजीकृत इकाइयां योजना के अंतर्गत पात्र होगी।
- ये कंपनियां प्रोत्साहन राशि के लिए नई इकाई का निर्माण कर सकती हैं अथवा भारत में विभिन्न स्थानों पर कार्यरत अपनी मौजूदा इकाइयों के लिए प्रोत्साहन की राशि की मांग कर सकती है।
- किसी परियोजना के लिए भूमि और इमारतों पर कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को प्रोत्साहन राशि के लिए गणना करते समय निवेश के रूप में नहीं माना जाएगा।
इस प्रकार की योजना की आवश्यकता
- भारत घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर विनिर्माण क्षेत्र में अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में पिछड़ा हुआ है।
- इस क्षेत्र में पर्याप्त अवसंरचना, घरेलू आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक, उच्च वित्तीय लागत, ऊर्जा की अपर्याप्त आपूर्ति, सीमित डिजाइन क्षमताएं और उद्योगों द्वारा R and D पर अपेक्षाकृत कम व्यय तथा कौशल विकास में कमी के कारण 8.5% से 11% का नुकसान होता है।
- अत: भारत को “इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ESDM)” मे एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए देश मे मुख्य कलपुर्जों को विकसित करने और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करना तथा प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
बेइदोऊ नेवीगेशन सिस्टम (BeiDou Navigation System)
संदर्भ
- हाल ही में चीन द्वारा स्वदेशी बेइदोऊ नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम समूह को पूरा करने की घोषणा की गई है।
बेइदोऊ (BeiDou) नेवीगेशन सिस्टम क्या है?
- यह चीन निर्मित सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली है।
- इस प्रणाली में उपग्रहों के नेटवर्क का उपयोग किया जाता है तथा यह 10 मीटर की दूरी तक सटीक अवस्थिति प्रदान कर सकती हैं (GPS, 2 मीटर तक)
- चीन ने मत्स्य पालन, कृषि, विशेष देखभाल, लोक बाजार अनुप्रयोगों, वनिकी और सार्वजनिक सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुप्रयोगों को एकीकृत करने के उद्देश्य से 1994 में BeiDou Project का आरंभ किया था।
NOTE
- BeiDou, सटीक अवस्थिति, नेविगेशन और समय के साथ-साथ संक्षिप्त संदेश संचार सेवाएं प्रदान करता है।
Important facts
BeiDou नेविगेशन सिस्टम के अंतर्गत “मध्य भू कक्षा (MEO)” में 27 उपग्रह, “भू-स्थैतिक कक्षा” (GEO) में पांच उपग्रह तथा आनत भू-समकालिक कक्षाओं” (Inclined geosynchronous orbits) में 3 उपग्रह स्थित है।
चीन के लिए महत्व
- अमेरिकी GPS पर निर्भरता समाप्त
- अपना नेविगेशन सिस्टम होने से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम (अन्य देशों के नेविगेशन प्रणाली से)
- यह प्रणाली चीनी सेना को “बेइदोऊ- निर्देशित पारंपरिक आक्रमक हथियार” की तैनाती करने में सक्षम बनाएगी।
अन्य देशों द्वारा नेविगेशन प्रणालियों पर किया जा रहा कार्य
- अमेरिका- GPS (अमेरिकी वायु सेना द्वारा संचालन)
- रूस- ग्लोनॉस (GLONASS)
- EU- गैलीलियो (GALILEO)
- भारत- Navic ( नाविक) (Navigation with Indian Constellation)
नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम (NTPS)
- NTPS, टिंबर (लकड़ी), बांस और अन्य वन उपजों के लिए एक ऑनलाइन पारगमन पास जारी करने वाली प्रणाली है।
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आरंभ
- प्रारंभ में, NTPS को प्रायोगिक परियोजना के तौर पर मध्य प्रदेश और तेलंगाना में शुरू किया जाएगा।
महत्व
- यह प्रणाली, ट्रांजिट पास जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाएगी तथा जारी पारगमन पास पूरे भारत में मान्य होगा इससे वनोंपज के निर्बाध आवागमन में वृद्धि होगी।
इक्वाडोर के समुद्री क्षेत्र के निकट चीनी हस्तक्षेप
- हाल ही में ‘गैलापागोस द्वीप समूह’ के निकट लगभग 260 मछली पकड़ने वाले जहाजों को देखे जाने के बाद इक्वाडोर द्वारा इस क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी गई थी।
- मछलियों का व्यावसायिक शिकार बढ़ने के कारण इस क्षेत्र में पायी जाने वाली सार्क जैसी जलीय प्रजाति दोयां अब लुप्तप्राय हो चुकी हैं।
- इक्वाडोर के अधिकारियों द्वारा पकड़े गए चीनी जहाज में रखे समुद्री वन्यजीवों का वजन लगभग 300 टन बताया गया।
- इसमें से अधिकांश मात्रा में ‘स्कैलोप्ड हैमरहेड शार्क’ (Sculloped Hammertread Shark) की थी, जिसे IUCN के रेड लिस्ट में ‘Critically Endangered’ श्रेणी में रखा गया है।
गैलापागोस द्वीप समूह
- यह प्रशांत महासागर में स्थित है, जो लगभग 60000 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
- यूनेस्को द्वारा 1978 में गैलापागोस द्वीप को पहले ‘विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में चिन्हित किया था।
- इस द्वीप समूह में ‘मांटा रे’, सार्क, समुद्री इगुआना, फर सील और वेव्ड अल्बाट्रोस जैसे कई जलीय वन्यजीवों की प्रजातियां पाई जाती है।
NOTE
- नातुना सागर क्षेत्र में स्थित है- इंडोनेशिया में
समुद्री जल स्तर में वृद्धि: तटीय क्षेत्रों के लिए खतरा
- हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2100 तक वैश्विक स्तर पर तटीय बाढ़ से प्रभावित संभावित लोगों की संख्या 128-171 मिलियन से बढ़कर 176-287 मिलियन हो सकती है।
समुद्री जल स्तर वृद्धि के कारण
- वैश्विक तापमान में वृद्धि
- हिमनद का पिघलना आदि।
समुद्र स्तर में वृद्धि के प्रभाव
- तटीय क्षेत्र में रहने वालों के लिए गंभीर खतरा
- आवास की कमी, जैव विविधता की हानि और अंतर्देशीय प्रवास आदि।
- IPCC के अनुसार, आने वाले वर्षों में समुद्र स्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जाएगी।
समुद्र जल स्तर में वृद्धि से बचाव के तरीके
- तटीय क्षेत्रों में ‘बांधो’ का निर्माण
- तटीय क्षेत्रों में बेहतर जल निकासी की व्यवस्था
- ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम करना आदि।
हिरोशिमा काली
संदर्भ –
- हाल ही में हिरोशिमा (जापान) की एक जिला अदालत ने 1945 के परमाणु विस्फोट के बाद हुई काली बारिश से जीवित 84 लोगों को पीड़ित के रूप में मान्यता दे दी है। अब यह सभी लोग परमाणु विस्फोट के पीड़ितों के रूप में उपलब्ध निःशुल्क चिकित्सीय सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
काली बारिश क्या है।
- अमेरिका के द्वारा जापान पर किए गए परमाणु हमले में नष्ट हुई इमारतों का मलबा और कालिख, बम से निकले रेडियोधर्मी पदार्थ के साथ मिलकर वातावरण में एक मशरूम रूपी बादल के रूप में प्रकट हुआ, ये पदार्थ वायुमंडल में वाष्प के साथ संयुक्त होकर काले रंग की बूंदों के रूप में धरती पर गिरने लगे जिसे काली बारिश कहा गया।
- काली बारिश से बचे लोगों ने इसे बारिश की बड़ी-बड़ी बूंदों के रूप में वर्णित किया जो सामान्य बारिश की बूंदों की तुलना में बहुत भारी थी।
प्रभाव
- गंभीर बीमारियां उत्पन्न होने का खतरा।
- काली बारिश के संपर्क में आने वाली सभी चीजों को दूषित किया।
- लोगों में विकिरण के तीव्र लक्षण उत्पन्न हुए।
- कैंसर और आंखों की रोशनी से संबंधित समस्या देखने को मिली।
फैसले का महत्व
- वादियों ने न्यायालय के समक्ष दलील प्रस्तुत की थी कि उनके स्वास्थ्य पर भी उसी तरह का प्रभाव पड़ा था जैसा कि उन लोगों पर पड़ा था जो घोषित इलाकों में रह रहे थे।
- जिला न्यायालय ने इन लोगों को हिबाकुशा के रूप में मान्यता देते हुए कहा कि काली बारिश में भीगने वाले लोगों की भांति यह लोग भी ऐसी बीमारियों से पीड़ित हैं जिन्हें परमाणु बम से संबंधित माना जाता है।
नोट
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा किए गए इस हमले के पीड़ितों को हिरोशिमा में स्थानीय लोग हिबाकुशा कहते हैं।
प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने हेतु निवेश
चर्चा में
- सिंगापुर के एक NGO ‘Alliance to end plastic West’ अगले 5 वर्षों में प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिए 100 मिलियन डालर निवेश करने की योजना बना रहा है।
- उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्राकृतिक संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
- भारत में प्रोजेक्ट अविरल पर उपरोक्त NGO काम कर रहा है जिसका उद्देश्य गंगा नदी में प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करना है
विश्वव्यापी पहल
- UN हैबिटाट वेस्ट वाइस सिटीज ( WWC ) के अंतर्गत भारत और वियतनाम जीरो प्लास्टिक वेस्ट सिटीज इनिसीएटीव पर कार्य कर रहे हैं। पांडिचेरी, तथा टैनऐन इस परियोजना के शामिल दो प्रारंभिक शहर हैं।
प्लास्टिक कचरा
- 1950 से अब तक विश्व स्तर पर तकरीबन 8.3 बिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन हुआ है।
- इसका लगभग 60% हिस्सा प्राकृतिक वातावरण में ही विस्तारित हो गया है शेष का 79% लैंडफिल के रूप में प्राकृतिक वातावरण में ही मौजूद है।
- एक अनुमान के अनुसार 2050 तक महासागर में प्लास्टिक का भार महासागर में स्थित मछलियों के भार से अधिक होने की संभावना है।
- वर्तमान में भारत में प्रत्येक दिन लगभग 26000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उत्पादन होता है जिसमें से 10000 टन से अधिक का संग्रहण नहीं हो पाता है।
- भारत के प्रति व्यक्ति प्लास्टिक का खपत 11 kg से कम है। जो USA का लगभग 10 वां हिस्सा है।
- प्लास्टिक उत्पादों के पुर्ननवीनीकरण से वर्ष 2050 में 40 लाख करोड रुपए का आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
- भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संसाधन अधिनियम 2018 के माध्यम से विस्तारित निर्माता के उत्तरदायित्व ( EPR) की अवधारणा पेश की।
- वर्तमान में भारत में प्लास्टिक प्राकृतिक प्रबंधन पर एक नए ढांचे के निर्माण की बात हो रही है।
अधिकांश भारतीय स्वास्थ्य बीमा सेवा से वंचित
चर्चा में – NSSO की रिपोर्ट के अनुसार 80% से अधिक भारतीयों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है।
चिंता का कारण
- अधिकांश लोग निजी स्वास्थ्य सेवा का उपयोग कर रहे हैं जो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना में अधिक महंगी है।
अन्य आंकड़े
- 55% भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी क्षेत्रों पर निर्भर
- ग्रामीण क्षेत्रों में 46% तथा शहरी क्षेत्रों में केवल 35% लोगों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों का विकल्प चुना।
- सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं योजनाओं से केवल 13% ग्रामीण तथा 9% शहरी लाभान्वित हुए।
- निजी क्षेत्रों का औसत चिकित्सा व्यय सार्वजनिक अस्पतालों की तुलना में 6 गुना मांगा है।
- ग्रामीण परिवार वार्षिक रूप से अस्पतालों में ₹16670 रुपए तथा शहरी के लिए यह ₹26425 है।
प्रभाव
- 80% ग्रामीण तथा 84% शहरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपनी बचत पर निर्भर है।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti