राज्यों को GST क्षतिपूर्ति का भुगतान
- हाल ही में वित्त पर गठित संसदीय स्थाई समिति को सूचित किया गया है कि वर्तमान सरकार राजस्व बंटवारे के फार्मूले के अनुसार राज्यों को “वस्तु एवं सेवा कर” (goods and services tax-GST) के हिस्से का भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।
- केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए 13806 करोड़ रुपए की राशि जारी की जा चुकी है।
- covid-19 के कारण वित्त वर्ष 2020-21के लिए GST संग्रह में भारी कमी देखी गई।
- यदि राजस्व संग्रह एक निश्चित सीमा से नीचे चला जाता है, तो GST अधिनियम में फिर से फार्मूला निर्धारित करने का प्रावधान किया गया है।
GST के तहत मुआवजा
- 2016 में 121वें संविधान संशोधन के द्वारा GST को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया जिसमें बड़ी संख्या में केंद्रीय व राज्य अप्रत्यक्ष कर एकल GST में शामिल कर लिए गए।
- GST कार्यान्वयन से कर राजस्व में कमी होने पर केंद्र सरकार द्वारा 5 वर्ष के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति के भूगतान का वायदा किया गया है।
- GST अधिनियम के अंतर्गत, यदि प्रथम 5 वर्षों तक राजस्व संग्रहालय में संवृध्दि 14% (आधार वर्ष 2015- 16) से नीचे आने पर राज्यों को इसकी क्षतिपूर्ति का भुगतान केंद्र द्वारा किया जाएगा।
- क्षतिपूर्ति उपकरण के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को प्रति दो माह पर GST क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध
- हाल ही में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (Centre for science and environment-CSE) द्वारा डेयरी क्षेत्र में एंटीबायोटिक के उपयोग पर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
चिंता के बिंदु
- डेयरी क्षेत्र में एंटीबायोटिक्स का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है।
- महामारी का संकट।
- पशु का उपचार जारी रहने पर भी उनका दूध बेचा जाना।
एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में वृद्धि का कारण
- दुधारू पशुओं को होने वाले मैस्टाइसिन थनो की सूजन जैसी बीमारी के उपचार के लिए पशु मालिकों द्वारा इसका अंधाधुन इस्तेमाल किया जाता है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध क्या है?
- यह सूक्ष्मजीवो (जैसे वायरस, बैक्टीरिया परजीवी) द्वारा विकसित की गई दवा प्रतिरोधी क्षमता होती है, जिसके द्वारा ये सुक्ष्मजीव अपने खिलाफ काम करने वाले रोगाणुओ (एंटीबायोटिक, एंटीवायरल) आदि को अप्रभावी कर देते हैं।
अन्य तथ्य
- भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है।(2018-19, 188 मिलियन टन उत्पादन)
नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अभिसमय (ICCPR)
- हाल ही में मानवाधिकार समिति के स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा ‘शांतिपूर्ण सम्मेलन का अधिकार’ की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की गई जिसमें यह बताया गया कि यह कहां और किस प्रकार लागू होती है तथा व्यापक कानूनी सलाह व सरकार के दायित्वों की जानकारी दी गई जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 21 व 19 (1) a,b का महत्वपूर्ण भाग है।
शांतिपूर्ण सम्मेलन चर्चा में क्यों?
- राजनीतिक अधिकारों तथा नस्लीय न्याय संबंधी मांग को लेकर बड़ी संख्या में अधिकारी आंदोलनों से जूझ रहे हैं इस कारण ‘शांतिपूर्ण सम्मेलन का अधिकार’ चर्चा में आया। इसके पक्षकारों का मानना है कि शांतिपूर्ण सम्मेलन विरोध प्रदर्शन (ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप में) करना एक मूलभूत मानवाधिकार है।
मानवाधिकार समिति के प्रमुख प्रावधान
1- नागरिक, विदेशी नागरिक, बच्चे, महिलाएं, प्रवासी श्रमिक, शरणार्थियों सहित सभी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक या निजी स्थान पर खुले स्थल अथवा भवन के अंदर या फिर ऑनलाइन किसी खुशी को मनाने, विरोध प्रदर्शन करने के लिए शांतिपूर्ण सम्मेलन करना एक मूलभूत मानवाधिकार हैं।
2- ICCPR की यह रिपोर्ट हिंसक व गैरकानूनी व्यवहार पर भी नियम व ध्यान देती है जो “साफ्ट ला” का एक प्रमुख उदाहरण है।
नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अभिसमय International Convenant on Civil and Political Right (ICCPR)
- यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1976 में अपनाई गई एक बहुपक्षीय संधि है।
डिजिटल शिक्षा पर भारत रिपोर्ट- 2020
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा डिजिटल शिक्षा, 2020 पर ‘भारत रिपोर्ट’ जारी की गई है।
प्रमुख बिंदु
- यह रिपोर्ट MHRD के डिजिटल शिक्षा प्रभाग द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों के परामर्श से तैयार की गई है।
- यह घर पर बच्चों को सुलभ और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने तथा कोविड-19 महामारी के दौरान सीखने के अंतराल को कम करने के लिए MHRD द्वारा अपनाई गई अभिनव विधियों को संदर्भित करती है।
MHRD की पहलें
- DIKSHA मंच, स्वयंप्रभा टीवी चैनल, आॅन एयर-शिक्षा वाणी ई-पाठशाला, जैसी कई परियोजना की शुरुआत हुई है।
- डिजिटल शिक्षा पर ‘PRAGYATA’ नामक दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
राज्य सरकारों की पहलें
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने विभिन्न पहलुओं के माध्यम से छात्रों को घर बैठे डिजिटल शिक्षा की सुविधा प्रदान की है।
- सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंगेजमेंट- राजस्थान
- प्रोजेक्ट होम क्लासेस- जम्मू
- पढ़ाई तोहार द्वार- छत्तीसगढ़
- उन्नयन पहल- बिहार
- मिशन बुनियाद- NCT दिल्ली
- काइट विक्टर्स- केरल
- ई-स्कोलर पोर्टल- मेघालय
- इसके अलावा सोशल मीडिया टूल्स को शिक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा।
- ई-सामग्री से युक्त टैबलेट, पेनड्राइव का वितरण।
- छात्रों को आवास पर ही पाठ्य पुस्तकों का वितरण।
- कई राज्यों में बच्चों को शिक्षा के अलावा भी हैप्पीनेस क्लासेस की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
आगे की राह
- यह रिपोर्ट क्रास लर्निंग, सीखने और शिक्षा से जुड़ी सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के आदेश को दर्शाती है।
- भारत की शिक्षा प्रणाली मिश्रित शिक्षा माध्यम की ओर बढ़ रही है ऐसे में यह सुनिश्चित करना होगा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से कोई छात्र वंचित न रहे।
मारीशस का नया सर्वोच्च न्यायालय भवन
- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा 30 जुलाई 2020 को उद्घाटन किया गया।
- यह न्यायालय भवन मारिशस की राजधानी ‘पोर्ट लुइस’ मे भारत द्वारा सहायता प्राप्त पहला बुनियादी ढांचा परियोजना होगी।
- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016 में मॉरीशस में विस्तारित 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ‘विशेष आर्थिक पैकेज’ के तहत कार्यान्वित 5 परियोजनाओं में से एक है।
रूस-भारत-चीन सहयोग (RIC)
- RIC की परिकल्पना वर्ष 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री येवगेनी प्रिमकोव द्वारा की गई थी।
- स्थापना का उद्देश्य: अमेरिका द्वारा निर्देशित विदेश नीति को समाप्त करना तथा भारत के साथ पुराने संबंधों को नवीनीकृत करना और चीन के साथ नई दोस्ती को बढ़ावा देना था।
- RIC देशों का क्षेत्रफल वैश्विक भूभाग का 19% से अधिक है तथा वैश्विक GDP में 33% से अधिक की हिस्सेदारी है।
- RIC के तीनों देश, परमाणु शक्ति संपन्न है।
भारत के लिए RIC का महत्व
- RIC, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के निर्माण को आधार प्रदान करते हैं।
- चीन के आधिपत्य को चुनौती देने में सहायक, सागरीय और महाद्वीपीय दोनों क्षेत्रों में।
- भारत भू-सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति में अवस्थित है।
- पाकिस्तान पर दबाव बनाने में सहायक रूस और चीन से सहयोग बढ़ाकर।
ग्रीन-एजी परियोजना
- केंद्र सरकार द्वारा मिजोरम में इसकी शुरुआत की गई।
- इसका उद्देश्य: कृषि से होने वाले उत्सर्जन को कम करने तथा संवहनीय कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित करने हेतु।
- यह परियोजना, मिजोरम के अतिरिक्त 4 और राज्यों में लागू किया जाएगा। (राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और उत्तराखंड)
- यह परियोजना, ‘वैश्विक पर्यावरण सुविधा’ (GEF) द्वारा वित्त पोषित तथा कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (DACFW) द्वारा कार्यान्वयन किया जाएगा।
- यह पायलट परियोजना सभी राज्यों में 31 मार्च 2026 तक जारी रहेगी।
- इसके तहत 35 गांवों को कवर करने का लक्ष्य तथा इसमें दो संरक्षित क्षेत्रों- ‘डंपा बाघ अभ्यारण’ तथा ‘थोरंगटलांग वन्यजीव अभयारण्य’ को भी शामिल किया गया है।
ग्रीन-एजी परियोजना के लक्ष्य
- पांचो भू-प्रदेशों की कम से कम 8 मिलियन हेक्टेयर भूमि को शामिल करना, वैश्विक पर्यावरणीय के लाभ को प्राप्त करना।
- कम से कम 104070 हेक्टेयर भूमि को सतत भूमि और जल प्रबंधन के अंतर्गत लाना।
- 49 मिलियन कार्बन डाइऑक्साइड का पृथक्करण सुनिश्चित करना।
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर आयात शुल्क संबंधी विवाद
चर्चा में क्यों?
- WTO ने हाल ही में जापान व ताइवान के अनुरोध पर दो और “विवाद निपटान पैनल” (Dispute Settlement Panel) गठित किए हैं, जो कि भारत द्वारा मोबाइल फोन समेत कुछ विशिष्ट “सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT)” उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क की जांच करेंगे। इससे पूर्व WTO ने EU के अनुरोध पर इसी मुद्दे को लेकर भारत के विरुद्ध पैनल का गठन किया था।
विवाद
- इन देशों ने आरोप लगाया है कि भारत द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों (टेलीफोन, ट्रांसमिशन मशीनें) पर आयात शुल्क लगाने से WTO के मानदंडों का उल्लंघन होता है क्योंकि भारत ने इन उत्पादों पर शुन्य प्रतिशत “बाध्य शुल्क” की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
NOTE
- वाध्य शुल्क (Bound Tariffs) का अभिप्राय उस अधिकतम शुल्क सीमा से होता है, जिससे अधिक शुल्क WTO के सदस्यों द्वारा नहीं लगाया जा सकता है।
भारत का पक्ष
- भारत का कहना है कि उसके द्वारा जिन सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) संबंधी विशिष्ट उत्पादों पर आयात शुल्क अधिरोपित किया गया है, वे सभी “सूचना प्रौद्योगिकी समझौते-2 (ITA-2)” का हिस्सा है, किंतु भारत इस समझौते का हिस्सा नहीं है।
- भारत वर्ष 1997 में हस्ताक्षरित किए गए ITA-1 समझौते का हिस्सा है।
- भारत ने कहा वह ITA-1 के प्रति पूर्ण प्रतिबद्ध है और वर्षों से इस समझौते का पालन कर रहा है।
- ITA-1 के दायरे से बाहर किसी भी प्रकार के दायित्व के लिए प्रतिबद्ध नहीं है।
WTO का विवाद निपटान तंत्र
- WTO कि विवाद निपटान प्रणाली में किसी भी व्यापार विवाद को आरंभ में संबंधित सदस्य देशों के बीच परामर्श के माध्यम से निपटाने की कोशिश की जाती है।
- यदि उपाय सफल नहीं हुआ तो मामला ‘विवाद पैनल’ के पास जाता है और इसका निर्णय अंतिम होता है, लेकिन उसके निर्णय के खिलाफ अपील “अपीलीय प्राधिकरण” (Appellate Body- AB) के समछ की जा सकती है।
- अपीलीय प्राधिकरण (AB) द्वारा विवाद पैनल के निर्णय की समीक्षा की जाती है और इस संबंध में AB का निर्णय अंतिम होता है और सदस्य देशों के लिए “बाध्यकारी” है।
NOTE
- हालांकि WTO का अपीलीय प्राधिकरण बीते वर्ष दिसंबर से कार्य नहीं कर रहा है।
सूचना प्रौद्योगिकी समझौता (ITA)
- मूल ITA सिंगापुर में आयोजित WTO के पहले मंत्री स्तरीय सम्मेलन में 13 दिसंबर 1996 को हुआ था और 1997 को हस्ताक्षरित किया गया था।
- WTO, ITA मुख्य तौर पर ICT संबंधी उत्पादों पर लगने वाले शुल्क को समाप्त करता है।
- इस समझौते के तहत मुख्य प्रौद्योगिकी उत्पादों को शामिल किया गया है जिनमें कंप्यूटर, दूरसंचार उपकरण, अर्धचालक, परीक्षण उपकरण, सॉफ्टवेयर, वैज्ञानिक उपकरण और साथ ही इनके सहायक उपकरण शामिल है।
- वर्तमान में ITA में WTO के कुल 81 सदस्य शामिल है।
- 2015 में ITA को अपग्रेड किया गया था और इसमें कुछ उत्पाद शामिल किए गए थे।
दसवीं अनुसूची के साथ विलय
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने राजस्थान विधानसभा में व्हिप (whip) जारी कर अपने छह विधानसभा सदस्यों को बहुमत परीक्षण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विरुद्ध मतदान करने के लिए कहा है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी के छह विधायक विलय घोषणा के साथ सितंबर 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।
Important facts
- बहुजन समाज पार्टी का तर्क है कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का विलय किए बिना किसी राष्ट्रीय पार्टी की राज्य इकाई का विलय नहीं किया जा सकता है।
- बहुजन समाज पार्टी द्वारा इन छह विधानसभा सदस्यों के विलय को अवैध और असंवैधानिक करार दिया गया है तथा सर्वोच्च न्यायालय के दो निर्णय का हवाला दिया गया है।
1- जगजीत सिंह बनाम हरियाणा राज्य 2006
- इस वाद में, हरियाणा विधानसभा में एकल सदस्यीय दलों के चार विधायक पार्टी से विभाजित होकर कांग्रेस में शामिल हो गए। न्यायालय ने इस मामले में सदस्यों को अयोग्यता ठहराने के अध्यक्ष के निर्णय को बरकरार रखा।
2- राजेंद्र सिंह राणा और अन्य बनाम स्वामी प्रसाद मौर्य 2007
- वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को समर्थन देने के लिए बहुजन समाज पार्टी से 37 विधानसभा सदस्य सरकार गिराने के उद्देश्य से अपनी पार्टी से अलग हो गए जिनकी कुल संख्या दल की सदस्य संख्या की एक-तिहाई थी। यह सर्वोच्च न्यायालय यह कहते हुए इस विभाजन को अमान्य घोषित करार दिया कि यह सभी विधायक एक पार्टी से अलग नहीं हुए हैं।
NOTE
- ध्यातव्य है कि, उपर्युक्त दोनों मामले 91वें संविधान संशोधन 2003 से पूर्व हुए थे जिसके द्वारा दसवीं अनुसूची के अनुच्छेद 3 को हटा दिया गया था।
- विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा “हार्स ट्रेडिंग”(सदन के सदस्यों की खरीद फरोख्त) द्वारा एक तिहाई विभाजन के नियम के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह संशोधन लाया गया था वर्तमान प्रावधाान के अनुसार विभाजन की स्थिति में दल के कुल सदस्यों के दो तिहाई सदस्य किसी दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं तो दल बदल के नियमों से छूट प्रदान की गई है।
विलय के संदर्भ में संवैधानिक प्रावधान
- पी०डी०टी० आचार्य के अनुसार, 10वीं अनुसूची(दल बदल विरोधी कानून) के तहत विलय केवल दो मूल राजनीतिक दलो के मध्य हो सकता है जिसके लिए दो शर्तों को पूरा करने की आवश्यकता है।
1-विलय दो मूल राजनीतिक दलों के बीच होना चाहिए।
2-इसके बाद सदन के दो तिहाई सदस्य जो उस पार्टी से संबंधित है उन्हे इस बिलय को स्वीकार करना होगा।
NOTE
- आचार्य के अनुसार, बदल विरोधी कानून केवल दलबदल पर अंकुश नहीं लगाता मूल रूप से यह दलीय प्रणाली की भी रक्षा करता है।
International thermonuclear expennutal reactor (ITER)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, भारी एवं विशालकाय ITER ने 35 वर्षों के बौद्धिक चिंतन, योजनाओं तथा तैयारियों के पश्चात ITER असेंबली कि आज से शुरुआत हो रही है तथा इसमें 5 वर्ष का समय लगेगा।
ITER क्या है?
- यह एक “अंतरराष्ट्रीय परमाणु संलयन अनुसंधान और इंजीनियरिंग मेगा प्रोजेक्ट” है तथा यह विश्व का सबसे बड़ा “चुंबकीय परिरोध प्लाज्मा भौतिकी प्रयोग” होगा।
- यह एक प्रयोगात्मक “टोकोमक परमाणु संलयन रिएक्टर”है जिसे दक्षिणी फ्रांस में बनाया जा रहा है।
- ITER का उद्देश्य शांतिपूर्ण उपयोग के लिए संलयन ऊर्जा की वैज्ञानिक और तकनीकी व्यवहार्यता का प्रदर्शन करना है।
ITER का महत्त्व
- शुध्द ऊर्जा उत्पादन करने वाला पहला संलयन उपकरण होगा।
- लंबे समय तक संलयन को स्थिर रखने वाला पहला संलयन उपकरण होगा।
- यह संलयन- आधारित विद्युत के वाणिज्यिक उत्पादन के लिए आवश्यक एकीकृत प्रौद्योगिकियों सामग्रियों और भौतिक सिद्धांतों का परीक्षण करने वाला पहला संलयन उपकरण होगा।
NOTE
- ITER परियोजना सात सदस्य संस्थाओं द्वारा वित्तपोषित तथा संचालित की जा रही है। EU, चीन, भारत, जापान,रुस, दक्षिण कोरिया, USA।
ITER के कार्य
- 500 M W संलयन ऊर्जा का उत्पादन
- संलयन ऊर्जा संयंत्र के लिए एकीकृत परीचालन का प्रदर्शन
- ड्युटेरियम-ट्रिटीयम प्लाज्मा को हासिल करना, जिसमें आंतरिक ताप के माध्यम से सतत अभिक्रिया होती है।
- ट्रिटीयम ब्रिडिंग का परीक्षण
- संलयन उपकरण की सुरक्षा
संलयन क्या होता है?
- संलयन, सूर्य तथा अन्य तारों का ऊर्जा स्रोत है।
- इन तारकिय निकायों के केंद्र में अत्यधिक उष्मा तथा गुरुत्वाकर्षण के कारण, हाइड्रोजन नाभिक परस्पर टकराते हैं, इसके परिणाम स्वरूप हाइड्रोजन नाभिक संलयित होकर भारी हीलियम अणुओं का निर्माण करते हैं जिससे इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
टोकामक क्या है?
- टोकामक संलयन ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए तैयार की गई एक प्रायोगिक मशीन है।
- टोकामक को पहली बार 1960 के दशक में सोवियत अनुसंधान के दौरान विकसित किया गया था।
- ITER विश्व का सबसे बड़ा टोकामक है।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti