यूरोपीय यूनियन रिकवरी डील
- हाल ही में 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ द्वारा सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के नकारात्मक प्रभाव का सामना करने के लिए एक राहत पैकेज पर सहमति व्यक्त की गई।
महत्त्वपूर्ण बिन्दु
- यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों में कोविड-19 महामारी के कारण लगभग 130 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु तथा यूरोपीय संघ की जीडीपी वृद्धि दर में 8% की गिरावट दर्ज की गई।
- महामारी के कारण इटली, स्पेन, पुर्तगाल जैसे संपन्न देश ज्यादा प्रभावित हुए।
समझौते के प्रावधान
- अगले 7 वर्षों के लिए यूरो 1.1 ट्रिलियन का बजट
- कोविड-19 से ज्यादा प्रभावित हुए देशों के लिए 360 बिलियन यूरो के कम ब्याज वाले ऋण का उपाय
- सबसे अधिक प्रभावित देश के लिए 390 बिलियन यूरो का ऋण वितरण
- वर्तमान मौजूदा समझौते के तहत वर्ष 2023 तक ऋण दिया जाना है जिसका वापस भुगतान वर्ष 2058 तक किया जाएगा।
प्लास्टिक अपशिष्ट : एक वैश्विक चुनौती
- हाल ही में एक अध्ययन के अनुसार निरंतर प्रयास न किए जाने पर वर्ष 2040 तक समुद्र में प्लास्टिक का वार्षिक प्रवाह 3 गुना बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- अध्ययन के अनुसार यह आंकड़ा दुनिया भर के सभी समुद्र तटों पर प्रति मीटर 50 Kg प्लास्टिक के बराबर है।
- वर्तमान में तकरीबन 2 बिलियन लोगों की अपशिष्ट संग्रह प्रणाली तक पहुंच नहीं है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने या इसके अंतराल को समाप्त करने के लिए हमें वर्ष 2040 तक प्रतिदिन 5 लाख लोगों को इस प्रणाली से जोड़ना होगा।
- 20 वर्षों में यह अपशिष्ट लगभग 450 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच सकती है जो जैवविविधता, मानव स्वास्थ्य, समुद्री परिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
- वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 22% अपशिष्ट का संग्रहण नहीं हो पाता किंतु प्लास्टिक अपशिष्ट को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह बढ़कर 34 % हो जाएगा जो एक गंभीर संकेत है।
- भारत में 1 दिन में लगभग 25940 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है जिसमें 40% से अधिक असंग्रहित रहता है भारत की प्रति व्यक्ति प्लास्टिक की खपत अमेरिका का दसवां हिस्सा 1.1Kg से भी कम है।
चेचक की उत्पत्ति
- हालिया शोध के अनुसार चेचक रोग का अस्तित्व आठवीं शताब्दी ई० की वाइकिंग युग में भी विद्यमान था।
- वाइकिंग मध्य युग की अवधि थी जब नोर्समेन पूरे यूरोप में उपनिवेशिक, विजय व व्यापार किया तथा वे 9वी तथा 10वी सदी तक उत्तर अमेरिका तक पहुंच गये।
- उत्तरी यूरोप के स्कैंडिनेविया क्षेत्र में रहने वाले वाइकिंग लोगों को नार्स कहा जाता था
EIA अधिसूचना 2020
- दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर जन प्रतिक्रिया की सीमा अवधि को बढ़ा दिया है।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पहली बार 1994 में EIA से संबंधित तथ्यों को अधिसूचित किया गया तथा 2006 में EIA को अधिक प्रभावी बनाने के लिए EIA से संबंधित नए मसौदे में मिला दिया गया।
बाघ संगणना – 2018 की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट
चर्चा में क्यों
- हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ के अवसर पर बाघ संगणना – 2018 की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट जारी की गई है।
Note – ‘भारत में बाघों की स्थिति’ की सारांश रिपोर्ट जुलाई 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा जारी की गई थी।
- इसमें वर्ष 2018-19 सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी की तुलना के पूर्व तीन सर्वेक्षणों (2006 ,2010 और 2014 ) के साथ की गई है।
विस्तृत रिपोर्ट की अध्दितीयता
- बाघ के अलावा अन्य सह – शिकारियों और प्रजातियों के लिए बहुतायत सूचकांक तैयार किए गए हैं।
- पहली बार सभी कैमरा ट्रैप साइट्स पर बाघों का लिंगानुपात दर्ज किया गया है।
- बाघों की आबादी पर मानव जनित प्रभाव के संबंधों का वर्णन।
- बाघ की बहुतायता को पहली बार दर्शाया गया है।
- बाघ गलियारों की स्थिति का मूल्यांकन कर सुभेद्य क्षेत्रों में विशेष संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
राष्ट्रीय विश्लेषण
- रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2006- 2018 के बीच भारत में बाघों की संख्या प्रति वर्ष 6% की वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2014 की तुलना में 2018 में बाघों की संख्या में 33% की वृद्धि दर्ज हुई है।
- वैश्विक बाघों की आबादी का 70% भारत में है।
- पश्चिमी घाट (724 बाघ) दुनिया का सबसे बड़ा सतत बाघ आबादी वाला क्षेत्र
क्षेत्रीय विश्लेषण
- बाघों की सर्वाधिक संख्या मध्यप्रदेश में (526) है
- पूर्वोत्तर भारत के अलावा छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा में बाघों की स्थिति में लगातार गिरावट चिंता का विषय है।
बाघों की बढ़ती संख्या का महत्व
- बाघ और वन्य जीव किसी भी देश की साफ्ट पावर के रूप में कार्य करते हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर इस शक्ति का प्रदर्शन कर सकता है।
- पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में रैंकिंग सुधार में मदद।
ब्लू पॉपी (Blue Poppy)
चर्चा में क्यों?
- हाल ही के एक अध्ययन पर आधारित “बोटैनिकल सर्वे आफ इंडिया (BSI)” के एक प्रकाशन: “पश्चिमी हिमालय विविधता की पेरीग्लेशियल ( Periglacial) वनस्पति और जलवायु परिवर्तन भेद्यता” में कमजोर पेरीग्लेशियल प्रजातियों एवं उनके जीवित रहने की रणनीतियों का विवरण दर्ज किया गया।
Important facts
- ब्लू पॉपी का वैज्ञानिक नाम “मेकाॅनोप्सिस एकुलेआटा (Meconopsis Aculeata)” है।
- जो हिमालई क्षेत्र में कुमाऊं (उत्तराखंड) से कश्मीर तक 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है।
- इसे हिमालयी “फूलों की रानी” भी कहा जाता है।
NOTE
- विभिन्न ऊंचाई पर “अल्पाइन मोरेंस” (Alpine Moraines) में विभिन्न पौधों की प्रजातियां की प्रचुरता के तुलनात्मक अध्ययन से पता चला कि यह प्रजाति कम ऊंचाई या चट्टानी मोरेंस में धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है।
मोराइन (Moraine)
- यह किसी भी ग्लेशियल रूप से अनियोजित ग्लेशियल मलबे (रेजोलिथ एवं राॅक) का संचय है जो वर्तमान में एवं पूर्व में भू आकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से पृथ्वी पर ग्लेशियेटेड क्षेत्रों (Glaciated Regions) में होता है।
कुछ अन्य बिंदु
- न केवल ब्लू पॉपी बल्कि कई अन्य फूलों के पौधे जो बहुत अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण “ऊंचाई की तरफ बढ़े या मरो” की स्थिति का सामना कर रहे हैं।
- सौस्सुरेआ (Saussurea) जीनस से संबंधित पौधे जैसे- लुप्तप्राय हिमकल, सौस्सुरेआ ओब्वालाटा (Saussurea Obvallata), और सौस्सुरेआ ग्नैफ्लोइड्स (Sausscerea Gnaphakoides) भी निवास स्थान के नुकसान एवं संख्या की कमी से जूझ रहे हैं।
- एक उच्च तुंगता वाला फूलों का पौधा “सोल्मस- लौबाचिया हिमालयेंसिस” (Solums- Laubachia Himalayensis) अब 6000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाया जाता है।
- कुछ स्थानिक प्रजातियां जैसे- कोरीडालिस विओलासिया (Corydalis violacea), कोरीडालिस मईफोलिया (Corydalis Meifolia), वाल्ढेमिया वेस्टिटा (Waldheimia Vestita) आदि भी खतरे में हैं।
- BSI प्रकाशन में “हिमालयन साॅरेल” (Runaex Nepalensis) जैसी जलवायु अनुकूल एवं प्रभुत्वशाली प्रजातियों को भी दर्ज किया गया है।
एस्ट्रोजन परियोजना (AstroGen Project)
- यह शिक्षाविदों के लिए एक “वंशावली परियोजना” है।
- इसके अंतर्गत खगोल-विज्ञान संबंधी विषयों पर डॉक्टरेट प्राप्त करने वाले अथवा शोध प्रबंधों का निर्देशन करने वाले शिक्षाविदों की वंशावली तैयार की जाएगी।
- इस परियोजना को “अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (AAS)” तथा इसके ऐतिहासिक “खगोल विज्ञान प्रभाग” द्वारा लांच किया गया है।
NOTE
- इस परियोजना में शिक्षाविद अपने “पूर्वजों” के बारे में पता लगा सकते हैं। शैक्षणिक वंशावली में किसी व्यक्ति के “माता-पिता” ही उनके शोध सलाहकार होते हैं।
नागार्जुन श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (NSTR)
- यह भारत का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है NSTR आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 5 जिलों में विस्तारित है।
- इसका अधिकांश क्षेत्र “नल्लामाला पहाड़ियों” में स्थित है।
- “कृष्णा नदी” इस अभयारण्य में 130 किलोमीटर की दूरी तक बहती है तथा अभ्यारण को उत्तरी तथा दक्षिणी भागों में विभाजित करती है।
- NSTR को 1978 में अधिसूचित किया गया था तथा 1983 में “प्रोजेक्ट टाइगर” के तहत शामिल किया गया।
- बहुउद्देशीय जलाशय श्रीशैलम और नागार्जुन सागर NSTR में ही अवस्थित है।
- बंगाल टाइगर, तेंदुआ, चित्तीदार बिल्ली, पेंगोलिन, मगर, इंडियन रॉक पायथन, और पक्षियों की असंख्य किस्में पाई जाती हैं।
NOTE
- “गुंडला ब्रह्मोश्वरम अभयारण्य” और “दोरनाला (Dornala) एवं श्रीशैलम पर्वतमाला” NSTR के ही अंतर्गत स्थित है।
पम्पा नदी (Pumpa River)
- केरल में “पेरियार” और “भरतपूझा” के बाद तीसरी सबसे लंबी नदी है।
- भगवान अयप्पा को समर्पित “सबरीमाला मंदिर” पम्पा नदी के तट पर स्थित है।
- पम्पा नदी को “दक्षिण भागीरथी” तथा “बारिस नदी” (River Baris) के नाम से भी जाना जाता है।
NRIs के लिए FDI मापदंडों में संशोधन
संदर्भ
- केंद्र सरकार ने नागरिक विमानन से संबंधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मानदंडों में संशोधन की अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत अनिवासी भारतीयों को एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी की अनुमति दी जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- अधिसूचना के अनुसार, अनिवासी भारतीयों के अतिरिक्त एयर इंडिया में कोई भी विदेशी निवेश, जिसमें विदेशी एयरलाइंस द्वारा किया जाने वाला निवेश भी शामिल है, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से 49% से अधिक नहीं होगा।
- इस अधिसूचना के पूर्व NRIs भी एयर इंडिया में केवल 49% हिस्सेदारी के लिए बोली लगा सकते थे।
निर्णय का महत्व
- एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश को अधिक सरल एवं आकर्षक बनाना है।
- विनिवेश की प्रक्रिया मौजूदा वर्ष के अंत तक समाप्त हो जाएगी।
विनिवेश में कोविड-19 की चुनौतियां
- पहले से ही नुकसान और कर्ज के तले दबी एयर इंडिया को कोविड-19 महामारी ने और भी गहरा आघात दिया है।
- कोविड-19 से न केवल एयर इंडिया अपितु भारत के समस्त विमानन क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
- अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर लॉक डाउन की वजह से पूरी तरह रोक लगाने से भारतीय विमानन कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है।
- कोविड-19 से संबंधित प्राथमिक जांच उपकरण स्थापित करने से जहां कंपनियों की लागत में वृद्धि हुई है वहीं सोशल डिस्टेंसिंग जैसे मानकों का पालन करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
यमुना के जल में अमोनिया का उच्च स्तर
- अभी हाल ही में यमुना नदी के जल में अमोनिया के उच्च स्तर (3ppm) का पता चला है जिसके कारण दिल्ली जल बोर्ड को जल उत्पादन क्षमता में 25% की कमी करनी पड़ी।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, पीने के पानी में अमोनिया की स्वीकार्य सीमा 0.5 ppm है।
अमोनिया के बारे में
- यह एक रंगहीन गैस है और इसका उपयोग उर्वरक, प्लास्टिक, कृत्रिम फाइबर, रंजक व अन्य औद्योगिक रसायन के रूप में होता है।
- यह हाइड्रोजन व नाइट्रोजन से मिलकर बनती है। द्रव अवस्था में इसे अमोनियम हाइड्राक्साइड कहा जाता है।
- यह तीक्ष्ण गंध युक्त एक अकार्बनिक यौगिक है।
- यह हवा की तुलना में हल्की होती है।
- इसकी मात्रा जल में 1ppm से अधिक होने पर मछलियों के लिए विषाक्त हो जाता है।
- 1 ppm या उससे अधिक अमोनिया स्तर वाले जल का लंबे समय तक सेवन करने से मनुष्य के आंतरिक अंगों को नुकसान हो सकता है।
कारण
- यमुना नदी में अमोनिया के अधिक स्तर का कारण हरियाणा के पानीपत व सोनीपत जिलों में डाई यूनिट, डिस्टिलरी से निकले अपशिष्ट व संदूषित पदार्थों तथा नदी के इस भाग में कुछ बिना सीवर वाली कालोनियों द्वारा गंदे जल प्रवाह माना जाता है।
चुनौतियां
- दिल्ली, पानी की 70% जरूरतों के लिए हरियाणा पर निर्भर है।
- हरियाणा में बड़ी संख्या में लोग कृषि कार्यों में संलग्न है जिससे हरियाणा के पास पानी की अपनी समस्या है।
अन्य चुनौतियां
- यमुना नदी, गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- इसकी उत्पत्ति उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बंदरपूंछ शिखर के पास ‘यमुनोत्री’ ग्लेशियर से होती है।
- उत्तराखंड, हिमाचल वह दिल्ली में प्रवाहित होने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा नदी से मिलती है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियां- केन, बेतवा, चंबल व सिंध है।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti