सीमा शुल्क डेटा का इलेक्ट्रॉनिक विनिमय
- भारत सरकार के डाक विभाग और यूनाइटेड स्टेट्स पोस्टल सर्विस (USPS) ने भारत और अमेरिका के बीच आदान-प्रदान किए जाने वाले डाक नौवहन (Postal shipments) से संबंधित सीमा शुल्क डेटा (Customs Data) के इलेक्ट्रॉनिक विनिमय हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
उद्देश्य
- इस समझौता ज्ञापन का प्राथमिक उद्देश्य देश के अलग-अलग हिस्सों में डाक माध्यमों (Postal Channels) के जरिए छोटे और बड़े निर्यातकों के लिए ‘इज ऑफ एक्सपोर्ट’ यानी निर्यात करने की आसान सुविधा उपलब्ध कराना है।
- इस तरह या समझौता भारत को विश्व में ‘निर्यात हब’ बनाने में योगदान देगा।
विशेषता
- इस समझौते के अनुसार डाक नौवहन के इलेक्ट्रॉनिक एडवांस डेटा (EAD) का आदान-प्रदान डाक माध्यम के जरिए अलग-अलग हिस्सों से अमेरिका को किए जाने वाले निर्यातों पर जोर देते हुए आपसी व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम होगा।
- गौरतलब है कि अमेरिका भारत के MSME उत्पादों, रत्न एवं आभूषणों, दवाओं और दूसरे स्थानीय उत्पादों के लिए एक प्रमुख निर्यात स्थल है।
महत्व
- डाक सामग्री को सीमा शुल्क संबंधी अग्रिम मंजूरी मिलने से विश्वसनीयता दृश्यता और सुरक्षा के लिहाज से डाक सेवाओं के प्रदर्शन में सुधार होगा।
- आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में विदेशों में भेजे गए कुल एक्सप्रेस मेल सर्विस (EMS) का 20% और भारतीय डाक द्वारा संचालित पत्र और छोटे पैकेट के कुल हिस्से का केवल 80% ही अमेरिका भेजा गया था। वहीं भारत के डाक विभाग को विदेशों से प्राप्त 60% पार्सल अमेरिका से भेजे गए थे।
डायरेक्ट पोर्ट एंट्री सुविधा (DPE)
- हाल ही में तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वीं.ओ. चिदंबरनार बंदरगाह पर रसद लागत को कम करने में मदद के लिए एक DPE सुविधा की शुरुआत की गई।
- यह समझौता 30 वर्ष के लिए केंद्रीय भंडारण निगम के साथ किया गया है।
लाभ
- लॉजिस्टिक लागत को कम करने और बंदरगाहों से निर्यात खेप को भेजने में गति मिलेगी।
- OPE, निर्यातकों के लिए कारोबारी सुगमता को बढ़ाने में मदद करेगा तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो सकेंगे।
- बंदरगाहों पर IT सक्षम बुनियादी ढांचा निश्चित रूप से पोत परिवहन मंत्रालय के “मेरीटाइम विजन 2030” के अनुरूप विश्व स्तर के बंदरगाहों में परिवर्तित कर देगा।
- “ईज आफ डूइंग बिजनेस” में भारत की स्थिति बेहतर होगी।
- समुद्री अर्थव्यवस्था में विस्तार तथा क्षेत्रीय हितों को भी लाभ मिलेगा।
DPE Facility
- यह ऐसी परियोजना है जो निर्यात के संबंध में समय और लागत को कम करती है जिसके तहत निर्यात कंटेनरों को Let Export order- LEO देने से पहले ही पोर्ट एक्सपोर्ट में सीधे प्रवेश की अनुमति दी जाती है। यह भारत से बाहर वस्तुओं के निर्यात के लिए आवश्यक अनुपालन सूची का अंतिम चरण है।
भारतीय जीनोम डेटासेट : इंडीजेन
- हाल ही में CSIR के वैज्ञानिकों द्वारा 1029 भारतीयों के जीनोम अनुक्रमण पर व्यापक संगणना विश्लेषण परिणाम जारी किए गए।
प्रमुख बिंदु
- प्रोजेक्ट पर शोध कार्य CSIR दिल्ली तथा कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र हैदराबाद द्वारा जारी किया गया है।
- यह शोध कार्य इंडीजेन (IndiGen) जीनोम अनुक्रमण कार्यक्रम का ही एक भाग है।
- Genome Sequeneing के तहत DNA अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
- इसके अंतर्गत डीएनए में मौजूद चार तत्वों- एडानीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C), और थायमीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है।
IndiGen Genome Project
- भारत 1.3 बिलियन से अधिक जनसंख्या के साथ विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। समृद्ध अनुवांशिक विविधता के बावजूद भारत की वैश्विक जीनोम अध्ययनों में बहुत कम भागीदारी है।
- इस अंतराल को भरने की दिशा में (CSIR) द्वारा अप्रैल 2019 में (IndiGen) कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
- इसके तहत देश भर से 1029 स्वस्थ भारतीयों के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण का कार्य पूरा किया गया है।
- इस प्रोजेक्ट का अनुवांशिक विविधता, चिकित्सीय अनुप्रयोग व महामारी प्रबंधन में काफी महत्व है।
- जीनोम रेफरेंस कंसोर्टियम (GRCh 38)- वर्तमान में उपलब्ध सबसे सटीक ‘मानव जीनोम अनुक्रम’ रेफरेंस है। इसका प्रयोग अंतरराष्ट्रीय जीनोम अनुक्रमण शोध कार्यों में एक मानक के रूप में किया जा रहा है।
- वर्ष 2001 में सर्वप्रथम ‘मानव जीनोम प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत Human Genome Reference को संग्रहित किया गया था।
सरकार द्वारा इस वर्ष मात्र हरित पटाखों की अनुमति
- दिल्ली सरकार द्वारा 3 नवंबर से पटाखे विरोधी अभियान शुरू करने का फैसला लिया है।
- अब दिल्ली में हरित पटाखे ही बनाए , बेचे और इस्तेमाल किए जाएंगे।
- हरित पटाखे को जलाने पर जल – अणु उत्पन्न होते हैं। और हानिकारक उत्सर्जन के स्तर को कम करते हैं। पटाखों से उत्पन्न जल-अणु धूल कणों का अवशोषण भी करते हैं। कम उत्सर्जन और कम आवाज वाले पटाखे होते हैं।
हरित पटाखों के लाभ
- नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसे गैसों तथा PM में 30 से 35% तक कमी होती है।
- निर्माण लागत सामान्य पटाखों से 25 से 30% तक कम तथा निर्माताओं को अपने कारखानों में कोई बदलाव नहीं करना होता है।
पटाखों में विभिन्न रंगों के कारक
लाल – स्ट्रेटियम लवण ( नाइट्रेट कार्बोनेट और स्ट्रेटियम के सल्फेट)
नारंगी – कैल्शियम लवण (कार्बोनेट, क्लोराइड और कैल्शियम के सल्फेट)
पीला – सोडियम लवण ( नाइट्रेट और सोडियम के ऑक्सलेट)
हरा – बेरियम लवण ( नाइट्रेटस, कार्बोनेट, क्लोराइड,
नीला – तांबा लवण (कार्बोनेट और तांबे के ऑक्साइड)
बैगनी – तांबे और स्ट्रेटियम यौगिकों का संयोजन
सफेद – मैग्नीशियम, एलुमिनियम और टाइटेनियम जैसी धातुओं का दहन
महामारी और राज्यों की वित्तीय स्थिति
- RBI के अध्ययन के अनुसार 2020 -21 में राज्यों के सकल राजकोषीय घाटे में दोगुनी वृद्धि हो सकती है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- राज्यों के सकल राजकोषीय घाटे की स्थिति 2020 -21 में देश के लगभग आधे राज्यों ने अपने सकल राजकोषीय घाटे (GFD s) और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP)के अनुपात को 3% या अधिक निर्धारित किया है।
- महामारी की शुरुआत से पूर्व में GFDs और GSDP का औसतन 2.4% था, महामारी के बाद जिन राज्यों ने बजट प्रस्तुत किया उनका यह अनुपात 4.6% है।
- बजटीय अनुमान में GFD & GSDP, 2.8% रह सकता है।
नोट – वर्तमान में भारत के राज्य की स्थिति, मांग में कमी के कारण राजस्व में कमी आ रही है,दुसरी तरफ सरकारी व्यय में लागातार वृद्धि हो रही है। इसे सीजर इफेक्ट कहा जाता है।
- RBI के अनुसार राज्यों के राजस्व (खास तौर पर कर राजस्व में कमी) में कमी आ सकती है। विकास और कर राजस्व के बीच स्पष्ट संबंध होता है, विकास के नकारात्मक होने पर कर राजस्व जीडीपी की तुलना में अधिक तेजी से गिरता है।
- स्वास्थ्य और अन्य सहायक उपायों पर व्यय से राज्य सरकारों के कुल व्यय में बढ़ोतरी हो रही है जिसके कारण सीजर इफेक्ट की अवधि लंबी हो सकती है।
- ऐसी स्थिति में राज्यों को निवेश संबंधी परियोजनाओं पर रोक लगाने पड़ सकते हैं जिससे आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी तथा ऋणग्रस्तता में बढ़ोतरी होगी।
नोट – भारत में पूर्व की चार माहमारियो प्लेग(1896), स्पेनिश फ्लू (1918), एशियाई फ्लू(1957) और चेचक (1974) के विश्लेषण से पता चलता है कि आर्थिक संकुचन होता है।
केरल मॉडल – सशक्त स्थानीय संस्थानों और सामुदायिक भागीदारी के कारण केरल सरकार को महामारी से प्रभावित लोगों तक पहुंचने में काफी मदद मिली।
धारावी मॉडल- मुंबई के धारावी में महामारी से मुकाबले में PPP और सामुदायिक भागीदारी ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आगे की राह – राज्य सरकारों द्वारा अधिक उत्पादकता वाली परियोजनाओं में निवेश करना चाहिए, वही सीमित राजस्व वाले राज्यों को श्रम-गहन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। डिजिटलाइजेशन के माध्यम से कर संग्रह में सुधार करना चाहिए।
चंद्रमा पर पानी की खोज
- हाल ही में चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित फ्लेवियस क्रेटर के जल के अणु की खोज की गई हैं।
- चंद्रमा कि सूर्य के प्रकाश उत्सव पर पहली बार जल की उपस्थिति का पता चला है और इससे ज्ञात होता है कि पानी चंद्रमा की अंधेरी सतह तक सीमित नहीं है।।
- नासा की स्ट्रेटोस्फेरिक आब्जर्वेटंरी वार इंफ्रारेड एस्ट्रोनामी ( Stratospheric observatory for infored astronomy – SOFIA ) द्वारा इसकी पुष्टि की गई है।
चंद्रयान – 1 और पानी की खोज
- इससे पहले इसरो के चंद्रयान -1 मिशन द्वारा पहले ही चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी के प्रमाण दिए गए थे।
- वर्ष 2009 में चंद्रयान – 1 पर लगे हुए मोहन मीणा लो जी मैं पर उपकरण द्वारा चंद्रमा की दूरी क्षेत्रों में पानी के अणुओं का पता लगाया गया था।
GIFT सिटी विकसित करने हेतु यूनाइटेड किंगडम द्वारा साझेदारी
- यूनाइटेड किंगडम द्वारा भारत के उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र गिफ्ट सिटी ( international financial services centre GIFT City )को विकसित करने के लिए एक रणनीतिक समझौता किया गया है।
- GIFT ( Gujarat International Financial sarvices – city ) गांधीनगर स्थित भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है।
राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति प्राक्ष्य (NPMPF )
- नीति आयोग और भारतीय गुणवत्ता परिषद ( Quality Council of India – QCI ) द्वारा राष्ट्रीय कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन नीति प्रारूप (NPMPF) की शुरुआत की गई है।
- इस प्रारूप का उद्देश्य भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को निब्यारित करने के तरीके में महत्वपूर्ण सुधार लाना है।
इस प्रारूप की कार्य योजना
- बुनियादी विकास के लिए एक कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाना।
- कार्यक्रम और परियोजना प्रबंधन के कार्य को संस्थागत बनाना और प्रोत्साहन देना एवं ऐसे पेशेवरों का एक कार्यबल बनाना।
- पेशेवरों की संस्थागत क्षमता और क्षमता में वृद्धि।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Anand Yadav
Geography team mppg college ratanpura mau
Surjit Gupta
Saty Prakash Gupta
Shubham Singh
Akhilesh Kumar
Sujit Kumar Prajapti