21वां वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
- वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट वित्तीय क्षेत्र के विकास व विनिमय से संबंधित RBI की अर्धवार्षिक प्रकाशन है।
- हाल ही में आरबीआई द्वारा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का 21वां अंक जारी किया गया तथा इसमें कोविड-19 के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते बैंकों के NPA में वृद्धि की संभावना व्यक्त की गयी है।
- रिपोर्ट में आरबीआई ने चेतावनी दी है कि मार्च 2020 से मार्च 2021 तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात मार्च 2020 के 8.5% से मार्च 2021 तक बढ़कर 12.5% होने की संभावना है। जबकि स्टैंडर्ड एंड पुअर ने यह अनुमान 13% से 14% तक बताया है। जो मार्च 2000 के सकल NPA (12.7) के बाद सबसे अधिक होगी। यदि स्थितियां और बिगड़ती है तो यह सकल (गैर निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA))14.7 तक पहुंच सकता है।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2020 में अनु० वाणिज्यिक बैंकों की पूजी पर्याप्तता अनुपात भी कम होकर (सितंबर 2019 में 15 %) 14.8% हो गया है। मौजूदा परिस्थिति में मार्च 2021 में 13.3% तथा स्थिति बिगड़ने पर 11.8% तक पहुंच सकता है।
- पूंजी पर्याप्तता अनुपात को पूजी से जोखिम भारित संपत्ति अनुपात के रूप में भी जाना जाता है। जो जमाकर्ताओं कि सुरक्षा व विश्व में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता व दक्षता को भी बढ़ाने में भी उपयोगी है।
RBI की स्वायत्ता में कमी
चर्चा में क्यों?
- आरबीआई के पूर्व गवर्नर (सि०2016- दि०2018तक कार्यकाल) ने हाल ही में अपनी पुस्तक “ओवरड्राफ्ट सेविंग द इंडियन सेवर”में “दिवालिया व शोधन अक्षमता कोड (IBC)” और बैड लोन के मुद्दे पर केंद्रीय बैंक (RBI) की शक्ति कम करने का केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है।
- उल्लेखनीय है कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया था।
उर्जित पटेल का आलोचनात्मक वकतव्य
- केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2018 के सर्कुलर को निष्प्रभावी या कमजोर करने हेतु जून 2019 में नया सर्कुलर जारी किया है जिसका केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ा।
- NPA (गैर निष्पादित संपत्ति) से निपटने वाले मानदंड कमजोर हो गए
- दिवालियापन संबंधी प्रावधान कमजोर हो गए
- नए सर्कुलर में ऋण दाता को संकल्प रणनीति/समीक्षा हेतु 30 दिन की छूट देता है जबकि पूर्ववर्ती सर्कुलर में 1 दिन की भी छूट नहीं थी।
- वित्तीय स्थिरता संरक्षण संबंधी आरबीआई की शक्तियां कम की गई
- भ्रामक, अस्पष्ट, सूचना रहित योजनाएं शुरू की गई
- वित्त मंत्रालय द्वारा LIC तथा SBI को 15 हजार करोड़ रुपए की फंडिंग समस्या ग्रस्त रियल एस्टेट कंपनियों को देने के लिए कहा गया।
- सरकार द्वारा NBFCs (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को एक लाख करोड़ रूपए तक के ऋण भार का दायित्व लेने पर सहमति व्यक्त की गई
- सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों का दुरुपयोग (व्यापक आर्थिक प्रबंधन करने हेतु प्रयोग किया गया)
- पूंजीगत गहनता वाले उद्यमों-रियल स्टेट निर्माण को ऋण आवंटन संबंधी दबाव सरकार द्वारा बनाया गया।
- N.P.A वृद्धि में सरकार का अप्रत्यक्ष सहयोग रहा जिससे राजकोषीय घाटा व संप्रभु देनदारिया बढ़ी।
लोनार झील
परिचय
- अवस्थिति – महाराष्ट्र बुलढाणा जिला
- निर्माण- प्लिस्टोसीन काल में,उल्कापात होने से
- महत्व स्थापना- एक ब्रिटिश अधिकारी द्वारा अद्वितीय भौगोलिक स्थल बताया गया।
- 1979 में भू- विरासत स्थल घोषित।
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में झील का पानी “हेलोआर्किया”/हेलोफिलीक आर्किया के कारण गुलाबी हो गया था।
अन्य कारण
- वर्षा की कमी
- उच्च तापमान
- मानवीय हस्तक्षेप की कमी
- P.H मान में वृद्धि (अधिक वाष्पीकरण के कारण)
वृक्षारोपण अभियान
- वृक्षारोपण अभियान कोयला मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया तथा इस अभियान में सभी कोयला/लिग्नाइट PSU को शामिल किया गया है।
- इस अभियान के तहत सभी कोयला/लिग्नाइट PSU की खादानो, कालोनियों व अन्य उपर्युक्त स्थानों पर वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया गया।
वैश्विक वन संसाधन मूल्यांकन
- संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद एवं कृषि संगठन ( food and Agriculture organisation FAO) द्वारा जारी किए गए नवीनतम वन संसाधन मूल्यांकन में पिछले एक दशक में वन क्षेत्रो में वृद्धि करने वाले शीर्ष 10 देशों में भारत को तीसरा स्थान मिला।
- FAO द्वारा 1990 से प्रत्येक 5 वर्ष में यह आकलन किया जाता है।
- वन संसाधन मूल्यांकन- 2020 के अनुसार, 2010 – 20 के दौरान वन क्षेत्र में सबसे अधिक औसत वार्षिक शुद्ध लाभ दर्ज करने वाले 10 सिर्फ देश – चीन, ऑस्ट्रेलिया, भारत, चिली, वियतनाम, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली एवं रोमानिया है।
एशिया महाद्वीप में वनों की स्थिति
- रिपोर्ट के अनुसार, 2010 – 20 में एशिया महाद्वीप में वन क्षेत्र में सर्वाधिक शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई है। (1.17 मिलीयन हेक्टेयर/वर्ष)
- इसी अवधि के दौरान भारत ने औसतन प्रत्येक वर्ष 0.38% वन लाभ या 2,66,000 हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है।
- भारत में स्थानीय, आदिवासी एवं देश की समुदायों द्वारा प्रबंधित वन क्षेत्र वर्ष 1990 में 0 से बढ़कर 2015 में लगभग 25 मिलीयन हेक्टेयर हो गया है।
- मूल्यांकन में 136 देशों के आंकड़ों के साथ वानिकी क्षेत्र में रोजगार की जांच की गई, जो दुनिया के 91% वनो का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसमें से अकेले भारत ने वानिकी के क्षेत्र में 50% रोजगार उत्पन्न किए। जो कि विश्व में सर्वाधिक है।
डबल-स्टैक कंटेनरों के लिए दुनिया की पहली विद्युतीकृत रेल सुरंग
चर्चा में क्यों?
- “डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड”- (DFCCIL) ने कहा कि अगले 12 महीनों में डबल-स्टैक कंटेनरों के परिचालन हेतु दुनिया की पहली विद्युतीकृत रेल सुरंग “पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC)” चालू हो जाएगी।
NOTE
- हरियाणा के सोहना के पास इस विद्युतीकृत रेल सुरंग के भीतर 100 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक गति से चलने में सक्षम होगी।
- भू-वैज्ञानिक रूप से यह सुरंग सुरक्षित एवं स्थिर है क्योंकि यह 2500 से 500 मिलियन वर्ष पुरानी “प्रोटेरोजोइक (Proterozoic)” चट्टानों मुख्य रूप से “दिल्ली सुपर ग्रुप चट्टानों” के अलवर/अजबगढ़ समूहो के क्वाटर्जाइट , शिट्स एवं स्लेट्स जिनकी उच्च वहन क्षमता है, से होकर गुजरती है।
दिल्ली सुपरग्रुप चट्टान
- ऊपरी दिल्ली सुपरग्रुप एक स्पष्ट असंबद्धता/असंगति के साथ अरावली सुपर ग्रुप पर निर्भर करती है।
प्रोटेरोजोइक
- यह एक भू-वैज्ञानिक ईऑन (EON) है जो पृथ्वी पर जटिल जीवन (जैसे त्रिलोबाइट (कोरल) के प्रसार से ठीक पहले पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की उपस्थिति के समय से संबंधित है।
- सबसे लंबा ईआन है (पृथ्वी के भूगर्भिक समय के पैमाने पर)
उपविभाजन
- पालियों प्रोटेरोजोइक
- मेसो प्रोटेरोजोइक
- निओ प्रोटेरोजोइक
NOTE
- यह D- आकार की सुरंग हरियाणा के मेवात एवं गुरुग्राम जिले को जोड़ती है और अरावली पर्वत की एक तिरछी ढाल पर निर्मित की गई है।
शहद परीक्षण प्रयोगशाला
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने “राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB)” के सहयोग से “राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB)” द्वारा “आनंद (गुजरात)” में स्थापित भारत की विश्व स्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशाला का वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से शुभारंभ किया।
महत्व
- किसानों को शहद उत्पादन एवं विपणन के लिए प्रोत्साहन देकर देश में “मीठी क्रांति” लाने एवं उनकी आय दोगुनी करने के भारत सरकार के विजन में सहायक होगी।
NOTE
- NDDB ने “भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)” द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर विश्व स्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना की है। तथा इसे “राष्ट्रीय परीक्षण एवं शोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL)” द्वारा मान्यता प्राप्त है।
भारत-श्रीलंका के मध्य मुद्रा विनिमय समझौता
सुर्खियों में क्यों?
- श्रीलंका ने हाल ही में अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक के साथ 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर किया है। यह समझौता नवंबर 2022 तक मान्य होगा।
NOTE
मुद्रा विनिमय व्यवस्था
- मुद्रा विनिमय, जिसे क्रास-करेंसी विनिमय के रूप में भी जाना जाता है, एक ऑफ-बैलेंस सीट लेन देन है जिसमें दो पार्टियां विभिन्न मुद्राओं में मूलधन और ब्याज का आदान-प्रदान करती हैं।
- मुद्रा विनिमय में शामिल पक्ष आमतौर पर वित्तीय संस्थान होते हैं जो या तो स्वयं कार्य करते हैं या गैर वित्तीय निगम के लिए एजेंट के रूप में कार्य करते हैं।
- मुद्रा विनिमय का उद्देश्य विनिमय दर के जोखिम से बचाव के लिए या विदेशी मुद्रा उधार लेने में लागत को कम करना है।
समझौते का कारण
कोविड-19 महामारी का श्रीलंका पर प्रभाव
- जिससे पर्यटन आगमन का रुकना (श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत)।
- प्रेषण का कम होना।
- गैर-जरूरी आयात को रोकने के लिए आयात प्रतिबंधों का आदेश देना।
- विश्व बैंक द्वारा श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के 3% तक सिकुड़ जाने का अनुमान।
समझौते का महत्व
- यह समझौता कोविड-19 महामारी के बीच श्रीलंका को राहत प्रदान करेगा और उसे कोरोना वायरस महामारी की समाप्ति के बाद अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता करेगा।
- यह देश को आगे भी किसी आर्थिक संकट से निपटने में मदद करेगा।
- यह कोविड-19 महामारी और उसके बाद आर्थिक विकास की दिशा में श्रीलंका के साथ कार्य करने की भारत की प्रतिबद्धता का एक सशक्त उदाहरण है।
संभावनाएं
- भारत और श्रीलंका दोनों ही देश कपड़ा, सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में सहयोग की नई दिशा तलाश सकते है।
- श्रीलंका को भारतीय निवेशकों के लिए एक उदार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना चाहिए और इसकी रक्षा तथा उसे बढ़ावा देने का कार्य करना चाहिए।
- भारत और श्रीलंका एक मंच पर आकर विभिन्न मुद्दों पर विचार कर अपने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का प्रयास करें।
भारत में रहे और भारत में अध्ययन करें
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल
- कोविड-19 के कारण कई छात्र जो विदेश में पढ़ाई करना चाहते थे उन्होने भारत में ही रहने और अध्ययन करने का निर्णय लिया है।
- कोविड-19 के कारण उत्पन्न यह चिंताजनक स्थिति दो महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित है
1 विदेश जाने के इच्छुक छात्रों की आवश्यकता को देखना और उन्हें देश में अध्ययन हेतु उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा की व्यवस्था करना।
2 विदेश से लौटे छात्रों की चिंताओं का समाधान करना और उनकी पढ़ाई में मदद करना।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के घोषणा पत्र के अनुसार वर्ष 2024 तक प्रमुख संस्थानो में सीटों की संख्या 50% बढ़ानी होगी तथा राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की संख्या 2024 तक बढ़ाकर 50 करनी होगी।
- इस संबंध में दिशा निर्देशों और उपायों की सूची तैयार करने के लिए यूजीसी के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया जाएगा। समिति 2 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
ई-कॉमर्स वेबसाइटों के लिए उत्पादक देश की घोषणा अनिवार्य
चर्चा में क्यों
- हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों द्वारा अपनी वेबसाइटो पर उत्पादों के उत्पादक देश का उल्लेख नहीं किए जाने पर राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचेगा। इस संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा न्यायालय में शपथ पत्र दिया गया।
विधिक प्रावधान
- विधिक मापविज्ञान अधिनियम 2009 तथा विधिक मापविज्ञान (डिब्बा बन्द वस्तु) नियम, 2011 के अंतर्गत अधिनियमित किया गया है।
- अधिनियम तथा नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की है।
- अधिनियम तथा नियमों का उल्लंघन होने पर राज्य सरकारों के विधिक मापविज्ञान अधिकारियों द्वारा कानून के अनुसार कार्यवाही की जाती है।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 द्वारा भी ई-कॉमर्स कंपनियों को उत्पादक देश का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया गया है।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Rajeev Kumar Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti