सर्कस में जानवरों का सर्वेक्षण
- हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पशु कल्याण बोर्ड को सर्कस में रखे गए जानवरों की संख्या का पता लगाने के लिए तत्काल एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया।
- अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किया। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान सर्कस के दिवालिया हो जाने के कारण वहां जानवर जोखिम में हैं।
- यह याचिका Federation of Indian Animal Protection- FIAPO द्वारा दायर की गई। यह फेडरेशन जीव अधिकारों पर एक दशक से अधिक समय से काम कर रहे 100 से अधिक संगठनों का एक समूह है।
वर्तमान चुनौतियां
- सर्कस में अक्सर करतब दिखाने वाले जानवरों के साथ-साथ हाथी, हिप्पोस (Hippos) जैसे वन्यजीवों तथा विदेशज पक्षियों, जंगली जानवरों का उपयोग किया जाता है।
- जानवरों को हर दिन कई घंटों जंजीर से बांधकर रखा जाता है इनसे बिना आराम के कई शो कराए जाते हैं।
- यह पशु संरक्षण कानूनों, पशु अधिकार एवं कल्याण का प्रत्यक्ष उल्लंघन है।
समय की मांग
- कोविड-19 महामारी के कारण पूरे देश में सर्कस भी पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं कई मालिकों ने सर्कसो को उनके हाल पर छोड़ दिया है जिनसे इन सर्कसो के जानवरों की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है।
- इस स्थिति को देखते हुए सर्कसो से इन जानवरों को मुक्त कराने, स्वास्थ्य लाभ कराने तथा इनके पुनर्वास हेतु उपयुक्त योजना तैयार करनी चाहिए।
- सर्कसो मे जानवरों के पुनर्वास को प्रतिबंधित करने की तत्काल आवश्यकता है।
दिल्ली सीरो सर्वेक्षण
- हाल ही में National Centre for Disease Control- NCDC ने दिल्ली में कोविड-19 के लिए एक सीरो निगरानी अध्ययन का आयोजन किया।
सीरो निगरानी अध्ययन
विशिष्ट एंटीबॉडी की पहचान करना
- सीरो सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है जिसमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती है।
- सीरो-निगरानी सर्वेक्षण इसलिए किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दिल्ली की कुल आबादी में से कितने अनुपात में लोग कोरोनावायरस से प्रभावित हैं।
- यह शरीर में सक्रिय संक्रमण का पता लगाने में काम नहीं आता है बल्कि यह पूर्व में हुए संक्रमण को इंगित करता है।
परिणाम
- सर्वेक्षण में शामिल 23.48% लोगों के शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर ली जो दर्शाता है कि वह नोवल कोरोनावायरस (SARS-COV-2) के संपर्क में आए।
चिंता का कारण
- शेष 77% लोगों के लिए कोरोना वायरस का खतरा अभी भी बना हुआ है। इसलिए रोकथाम के उपाय समान कठोरता के साथ जारी रहना चाहिए।
आगे की राह
- अध्ययन के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों से रोग नियंत्रण कार्यक्रम में मदद मिलेगी।
मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम हेतु दक्षिण अफ्रीकी देशों को DDT की आपूर्ति
- हाल ही में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (HIL) द्वारा दक्षिण अफ्रीका को मलेरिया नियंत्रण हेतु DDT की आपूर्ति की तथा जिंबाब्वे व जांबिया को भी निर्यात प्रक्रिया में है।
- स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत DDT का कृषि में प्रयोग प्रतिबंधित है जबकि रोग नियंत्रण में इसका प्रयोग जारी है। WHO द्वारा मलेरिया से निपटने में DDT को प्रभावी रसायन माना है। इसलिए मलेरिया नियंत्रण हेतु भारत व अफ्रीकी देशों में इसका व्यापक स्तर पर प्रयोग होता है।
- मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाले मच्छर जनित रोग है, जो मादा एनोफिलिज मच्छर काटने से फैलता है।
- विश्व में मलेरिया के सर्वाधिक होगी नाइजीरिया में है तथा वर्ष 2018 में पूरी दुनिया में मलेरिया से हुई कुल मृत्यु का 93% अफ्रीकी देशों में हुआ है।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन
- हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने NGT को सूचित किया कि देश में लगभग 1.60 लाख से अधिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा इकाइयों द्वारा जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत अपेक्षित अनुमति के बिना ही कार्य कर रही है।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में कुल 270416 स्वास्थ्य देखभाल सुविधा इकाइयों (HCF) में से केवल 111122 इकाइयों ने इस हेतु आवेदन किया है तथा 2019 तक केवल 110356 इकाइयां ही अपशिष्ट प्रबंधन हेतु अधिकृत हैं और लगभग 50000 इकाइयां ऐसी हैं,जिन्होंने अनुमति के लिए ना तो आवेदन किया है और ना ही पूर्व में ही कोई अनुमति प्राप्त की थी। हालांकि NGT ने आदेश दिया है कि सभी स्वास्थ्य अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों 31 दिसंबर 2020 तक अनुमति प्रक्रिया को पूरा कर लें। साथ ही NGT ने आदेश दिया कि जिला पर्यावरण योजनाओं की निगरानी हेतु जिला योजना समितियों का गठन किया जाए तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी निर्धारित मानदंडों की जांच व निगरानी की जाए।
LAC पर चीन का दावा कितना सच कितना झूठ
- वर्ष 1960 की भारत-चीन सीमा वार्ता के आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार, वर्तमान में चीनी सैनिक पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में वर्ष 1960 के अपने दावे वाले क्षेत्र से बहुत आगे आ गए हैं।
- 15 जून 2020 को गलवान घाटी में जहां चीनी भारतीय सैनिकों में टकराव हुआ वह चीनी अतिक्रमण के कारण ही हुआ था।
- आधिकारिक दस्तावेज गलवान घटनाक्रम तथा कुछ शीर्ष अधिकारियों के बयान से यह स्पष्ट होता है कि चीन LAC का अतिक्रमण कर रहा है।
वर्तमान सीमा समस्या
- पैंगोंग त्सो क्षेत्र में (करीब 8 किलोमीटर अतिक्रमण) चीन अपनी सीमा फिंगर-4 तक मानता है (भारत 8 किलोमीटर का अतिक्रमण किया है)
वर्तमान अवस्थिति
- चार चरणीय कमांडर स्तर की वार्ता के बाद चीनी सेना फिंगर-4पर तथा भारतीय सेना फिंगर-2 पर लौट आइ है।
चीन की बढ़ती आक्रामकता का कारण
- भारत-अमेरिका के बीच बढ़ता सहयोग व घनिष्ठता।
- धारा 370 का हटाया जाना
- विगत वर्ष स्थलीय सीमा भर्ती क्षेत्रों से आने वाले F.D.I पर शक्ति
- सीमावर्ती क्षेत्र में भारत का बढ़ता और संरचनात्मक ढांचा।
गरीबी के संदर्भ में UNDP की रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में UNDP तथा OPHI द्वारा “वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक” रिपोर्ट जारी की गई।
Important facts
- यह अध्ययन वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर आधारित था जो प्रत्येक वर्ष व्यक्तिगत और सामूहिक रुप से गरीब लोगों के जीवन की जटिलताओं की माप करता है।
शीर्षक-”क्लियरि पाथवे आउट ऑफ मल्टीडाइमेंशनल पावर्टी : एचीवींग द एसडीजी” (Clarling Pathways Out of Multidimensional Poverty: Achieving the SDGs)
रिपोर्ट का सार
- 107 विकासशील देशों मे, 1.3 बिलियन लोग गरीबी से प्रभावित हैं।
- बच्चों में बहुआयामी गरीबी की उच्च दर (644 मिलियन में आधे 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे)
- सब-सहारा अफ्रीका (558 मिलियन), दक्षिण एशिया (530 मिलियन) मे लगभग 84.3% बहुआयामी गरीब लोग हैं।
- 67 प्रतिशत लोग मध्यम आय वाले देश से संबंधित है जहां बहुआयामी गरीबी का प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर 0-57 प्रतिशत और उप-राष्ट्रीय स्तर पर 0-91 प्रतिशत है।
- वर्ष 2000 से 2019 के मध्य 75 में से 65 देशों में बहुआयामी गरीबी के स्तर में कमी हुई है।
- इस अध्ययन में पूर्व, मध्य और दक्षिण एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और कैरीबियन, उप-सहारा अफ्रीका और प्रशांत के 75 देशों को शामिल किया गया है।
- भारत समेत चार देशों ने 5.5 वर्षों से 10.5 वर्षों में वैश्विक बहुआयामी गरीबी आधा कर लिया है।
GMPI 2020: आयाम, संकेतक
- तीन प्रमुख आयाम-स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर जिसमें 10 संकेतक शामिल है। जो लोग इन भारित संकेतकों में से कम से कम एक तिहाई में अभाव का अनुभव करते हैं, वे बहुआयामी रुप से गरीब की श्रेणी में आते हैं।
भारत की स्थिति
- बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या भारत में देखी गई है।
- भारत 2005-2006 से 2015-2016 के मध्य 27.3 करोड़ लोग गरीबी के कुचक्र से बाहर निकलने में सफल।
- 2005-2006 में भारत में 55.1% लोग गरीबी के अधीन थे जबकि 2015-2016 में 27.9% हो गया है।
- वर्ष 2018 तक भारत में लगभग 37.7 करोड लोग गरीबी से ग्रसत थे।
- 2015-2016 तक लोगों के पास बुनियादी जरूरतों के अभाव की प्रतिशतता 43.9 थी जबकि 2015-2016 में 8.8% जनसंख्या गंभीर बहुआयामी गरीबी के चक्र में शामिल थे।
- वर्ष 2016 तक भारत में 21.2% लोग पोषण से वंचित थे।
- 26.2% लोग भोजन पकाने के इंधन का अभाव
- 24.6% लोग स्वच्छता और 6.2% लोग पेयजल से वंचित रहें।
- 8.6% लोग बिजली के अभाव में एवं 23.6% लोग आवास के अभाव में रहे।
- भारत और निकारागुआ गरीबी को आधा कर लिया है ।
- भारत, बांग्लादेश, नेपाल अपने MPI मूल्य को कम किया है।
OPHI – Oxford Poverty and Human Development Initiative
- यह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग के तहत स्थापित एक आर्थिक अनुसंधान और नीति केंद्र है।
स्थापना – 2007
उद्देश्य –
- लोगों के अनुभवों और मूल्यों के आधार पर बहुआयामी गरीबी को कम करने के लिए एक अधिक व्यवस्थित पद्धति एवं आर्थिक ढांचे का निर्माण एवं प्रगति करना।
बहु आयामी गरीबी
- OPHI के अनुसार बहुआयामी गरीबी के निर्धारण में लोगों द्वारा दैनिक जीवन में अनुभव किए जाने वाले सभी अभावो / कमी को शामिल किया जाता है।
जैसे – खराब स्वास्थ्य , शिक्षा की कमी , स्वच्छ पानी की कमी , कुपोषण , जलवायु परिवर्तन आदि।
गरीबी उन्मूलन हेतु भारत सरकार के प्रयास
- “ प्रधानमंत्री जनधन योजना” का उद्देश्य समाज के वंचित वर्गो एवं कमजोर वर्गों को विभिन्न वित्तीय सेवाएं यथा बैंक खाते की उपलब्धता, आवश्यकता आधारित ऋण की उपलब्धता, विप्रेषण सुविधा, बीमा तथा पेंशन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को स्वेच्छा से मांगने पर 100 दिनों का अकुशल रोजगार प्रदान करने की गारंटी दी गई है।
- ग्रामीण श्रम रोजगार गारंटी कार्यक्रम , राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना , प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना आदि योजनाओं के माध्यम से गरीबी उन्मूलन हेतु प्रयास किए जा रहे हैं।
- भारत 2032 तक गरीबी दूर करने के लिए विजन डॉक्यूमेंट प्रस्तावित हैं।
तीसरी G-20 FMCBG बैठक
चर्चा में क्यों
- 18 July को भारत ने सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित हुई G-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के तीसरी बैठक में हिस्सा लिया। पहली बैठक फरवरी 2020 में रियाद सऊदी अरब में आयोजित हुई थी ।
Imp facts
G – 20 कार्य योजना
- महत्त्व और प्राथमिकता पर प्रकाश डाला गया
- 15 अप्रैल 2020 को आयोजित बैठक का समर्थन किया गया।
- स्वास्थ्य प्रतिक्रिया , आर्थिक कदम , मजबूत और सतत रिकवरी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय समन्वय के स्तंभो के तहत सामूहिक प्रतिबद्धताओं की एक सूची प्रस्तुत की गई जिसका उद्देश्य महामारी से लड़ने में जी-20 के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना है।
भारत की प्रतिक्रिया
- भारत ने कोविड-19 के जवाब में आपूर्ति पक्ष और मांग के उपायों को संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया
- भारत ने रेटिंग एजेंसियों द्वारा क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड करने की नीति और विशेष रूप से engineering market economy ( EME ) जैसे नीतिगत विकल्पों पर हानिकारक प्रभाव के बारे में भी चर्चा की।
G -20 वित्तीय ट्रैक डिलीवरेवल्स में भारत में दो डिलीवरेबल्स पर चर्चा की
1 महिलाओं, युवाओं और SME के लिए अवसरों तक पहुंच बढ़ाना और पहुंच के लिए नीतिगत विकल्पों का एक मेन्यू तैयार करना।
2 अंतर्राष्ट्रीय कराधान के एजेंडे और डिजिटल कराधान से संबंधित चुनौतियों का समाधान सरल समावेशी और एक मजबूत आर्थिक प्रभाव के आकलन पर आधारित हो।
G – 20
स्थापना – 1999 में 7 देशों – अमेरिका , कनाडा , ब्रिटेन , जर्मनी , जापान,फ्रांस , इटली के विदेश मंत्रियों द्वारा
- विश्व के आर्थिक उत्पादन का 80 % , बेसिक जनसंख्या का दो-तिहाई तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार की तीन – चौथाई प्रतिनिधित्व करते हैं
उद्देश्य – वैश्विक वित्त को प्रबंधित करना
- UN , IME WB के स्टाफ स्थाई होते हैं और इनके मुख्यालय भी होते हैं , जबकि G – 20 का न तो कोई स्थाई स्टाफ होता है और ना ही मुख्यालय।
- यह एक फोरम मात्र है।
- 2020 की G – 20 अध्यक्षता – सऊदी अरब और 2021 में इटली में आयोजित किया जाएगा।
- 19 देश और EU इसके सदस्य हैं।
- अर्जेंटीना , ब्राजील , मैक्सिको , USA , कनाडा, ब्रिटेन , फ्रांस , जर्मनी , इटली , जापान , दक्षिणी कोरिया , चीन, रूस, भारत, सऊदी अरब, इंडोनेशिया , ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका , तुर्की EU ।
G – 20 समूह के उद्देश्य
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत आर्थिक समृद्धि हासिल करने हेतु सदस्यों के मध्य नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
- वित्तीय विनिमयन को बढ़ावा देना जो कि जोखिम को कम करते हैं तथा भावी वित्तीय संकट को रोकते हैं एक नया अंतरराष्ट्रीय वित्तीय आर्किटेक्चर बनाना।
- जोरम मेगा फूड पार्क – कोलासिब ( मिजोरम )
मेटा मैटेरियल
- यह अद्वितीय आंतरिक सूक्ष्म संरचना युक्त “कृत्रिम रूप से निर्मित पदार्थ”होते हैं यह प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते हैं।
- मेटामैटेरियल का निर्माण करने वाली कृत्रिम इकाइयों को असामान्य गुणों के प्रदर्शन के लिए आकार प्रकार तथा अंतर-परमाण्विक अभिक्रियाओं में व्यवस्थित किया जा सकता है।
डॉक्टरों को सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि
- उड़ीसा राज्य के श्रम तथा राज्य कर्मचारी बीमा विभाग के अंतर्गत आने वाले एलोपैथिक चिकित्सा अधिकारियों तथा उड़ीसा मेडिकल एवं हेल्थ सर्विसेज कैंसर के डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से बढ़कर 65 वर्ष की जा रही है।
मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम हेतु दक्षिण अफ्रीका के लिए DDT की आपूर्ति
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम “hil India limited”में मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के लिए दक्षिण अफ्रीका को 20.60 मीट्रिक टन DDT75%WP(Wettalde power) की आपूर्ति की है।
- HIL -hindustan insecticides limited
- DDT-Dichloro diphenyl trrichloroethen
NOTE– HIL (india) दुनिया में DDT बनाने वालीे एकमात्र कंपनी है।
- भारत सरकार के मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत DDT की आपूर्ति के लिए 1954 में कंपनी का गठन किया गया था।
दक्षिण पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में मतदान पोतों तथा व्यापारिक पोतों के परिचालन मार्गो का विभाजन
- केंद्र सरकार द्वारा “ नौपरिवहन सुरक्षा और दक्षता” को बढ़ाने के लिए विभाजन किया गया।
आवश्यकता
- भारत के दक्षिण पश्चिम तटीय क्षेत्र व्यस्त समुद्री मार्ग हैं, जहां पर बड़ी संख्या में व्यापारी जहाज गुजरते हैं।
- बड़ी संख्या में मछली पकड़ने के जहाज भी गुजरते हैं इससे कभी-कभी दुर्घटनाएं हो जाती है जिससे संपत्ति व पर्यावरण का नुकसान होता है कई बार लोगों की जान भी चली जाती है।
वैश्विक विनिर्माण जोखिम सूचकांक -2020
- “कुशमैन एवं वेकफिल्ड” द्वारा जारी।
- भारत की 48 देशों में तीसरा स्थान है ।(भारत ने एक स्थान की बढ़ोतरी की है।)
- शीर्ष स्थान- चीन (दूसरा अमेरिका )
- यूरोप,अमेरिका और एशिया प्रशांत क्षेत्र के 48 देश शामिल हैं।
- सूचकांक के चार प्रमुख क्षेत्र
1-बाउंस बैक एबिलिटी
2-शर्तें
3-लागत
4-जोखिम (राजनीतिक,आर्थिक,पर्यावरणीय)
NOTE
- “लागत”के लिहाज भारत चीन और वियतनाम के बाद तीसरे स्थान पर है भारत जोखिम परिदृश्य में 30 वें स्थान पर है।
- इस सूचकांक में बताया गया है कि आने वाले समय में भारत वैश्विक स्तर पर “परिचालन परिस्थितियों और लागत प्रतिस्पर्धा”के दृष्टिकोण से “विनिर्माण हब”बन सकता है।
- कुशमैन एवं वेकफील्ड एक वैश्विक वाणिज्यिक रियल स्टेट सर्विस फर्म है।
- मुख्यालय-शिकागो, इलिनोइस (अमेरिका)
रूमेटायड अर्थराइटिस
चर्चा में क्यों
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान “नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान,मोहाली (INST)” के वैज्ञानिक ने “चिटोसन” के साथ नैनो कणो का निर्माण किया है और “रूमेटाइड अर्थराइटिस”की गंभीरता को कम करने के लिए इन नैनो कणों को “जिंक ग्लूकोनेट” के साथ प्रयोग किया।
महत्वपूर्ण तथ्य
- जिंक तत्व सामान्य हड्डी होमोस्टैटिस को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
- इसका स्तर रूमेटाइड अर्थराइटिस रोगियों एवं अर्थराइटिस प्रेरित पशुओं में कम हो जाता है।
NOTE
- चिटोसन एक बायोकम्पैटेबल, बायोडिग्रेडेबल, प्राकृतिक पॉलिसैकेेराइड होता है जो क्रस्टेसियन के वहि:कंकाल से प्राप्त सर्वाधिक प्रचुर बायोपॉलीमर्स में से एक है। जिसने अवशोषण को बढ़ावा देने वाले अभिलक्षण को प्रदर्शित किया है।
- हाल के दिनों में चिटोसन नैनो पार्टिकल्स के प्रतिपादन के लिए “आयोनिक गिलेशन पद्धति”का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है जिनमें चिकित्सीय रूप से सक्रिय विभिन्न फार्मोकोलॉजिकल कारक निहीत ़ हो सकते हैं।
- अर्थराइटिस शरीर में जोड़ों की सूजन व दर्द से संबंधित रोग है। यह रोग आमतौर पर ओस्टियोआर्थराइटिस या रूमेटाइड अर्थराइटिस के रूप में होता है।
- पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस रोग से अधिक प्रभावित होती हैं।
- यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है इसमें शरीर का प्रतिरोधी तंत्र स्वयं की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है।
ई वी चार्जिंग प्लाजा
- भारत में e-mobility को सर्वव्यापी एवं सुविधाजनक बनाने की पहल है।
- Energy Efficiency services Limited (EESL) भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग का पता लगाने और ऐसे वाहनों के लिए सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन संचालित करने के नए व्यापार मॉडल की पहचान करने के काम की अगुवाई कर रही है।
- NDMC के सहयोग से EESL ने मध्य नई दिल्ली मेंं भारत का पहला सार्वजनिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग प्लाजा स्थापित किया है।
NOTE
- भारत के पहले सार्वजनिक EV चार्जिंग प्लाजा का केंद्रीय ऊर्जा मंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया।
RAISE पहल
- वायु गुणवत्ता में सुधार की पहल
- इनडोर एयर क्वालिटी फॉर सेफ्टी एंड एफिशिएंसी में सुधार के लिए एयर कंडीशनिंग व्यवस्था को और सक्षम बनाने की प्रणाली (retrofit of air conditioning to improve indoor air quality safety and efficiency)-RAISE एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है।
- RAISE,EESLऔर USAID के मैत्री (market integration and transformation program for energy efficiency-MAITREE) कार्यक्रम के तहत एक संयुक्त पहल है।
महत्व
खराब वायु गुणवत्ता में सुधार कर स्वास्थ्य के लिहाज से हरित एवं बेहतर बना सकती हैं।
Team rudra
Abhishek Kumar Verma
Amarpal Verma
Krishna
Yograj Patel
anil Kumar Verma
Vivek Pandey
Prashant Yadav
Dr.Sant lal
Sujata Singh
Geography team mppg college ratanpura mau
- Surjit Gupta
- Saty Prakash Gupta
- Shubham Singh
- Akhilesh Kumar
- Sujit Kumar Prajapti