नए आईटी नियम
● हाल ही में, केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित करते हुए कहा है, कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ट्विटर इंक, भारत के नए आईटी नियमों (26 मई को लागू) का पालन करने में विफल रही है। नए आईटी नियम, देश का कानून है और इसका अनिवार्यतः पालन करना आवश्यक है।
निहितार्थ:
- इन नियमों का किसी तरह से अनुपालन न करना, आईटी नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन है, जिसके लिए ‘ट्विटर’ को एक “मध्यस्थ” (Intermediary) के रूप में प्राप्त प्रतिरक्षा को वापस ले लिया गया है।
- ‘मध्यस्थ’ का दर्जा ‘ट्विटर’ को इसके प्लेटफ़ॉर्म पर किसी भी तृतीय-पक्ष के डेटा पर उत्तरदायित्व से प्रतिरक्षा प्रदान करता है। इस दर्जे के समाप्त होने पर, ‘ट्विटर’ शिकायतों के मामले में आपराधिक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी बन जाता है।
- नए आईटी नियमों के अनुसार, ट्विटर इंक, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 2(1)(w) के अर्थ में एक ‘मध्यस्थ’ है और आईटी नियम 2021 के तहत एक ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ (Significant Social Media Intermediary – SSMI) है।
- आईटी नियमों के अनुसार, SSMI को एक ‘मुख्य अनुपालन अधिकारी’, एक ‘नोडल अधिकारी’ और एक ‘शिकायत अधिकारी’ नियुक्त करना आवश्यक है। इन अधिकारियों के लिए भारत का निवासी होना चाहिए।
पृष्ठभूमि:
- 25 फरवरी को, केंद्र सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत शक्तियों के प्रयोग करते हुए और पूर्व के सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ) नियम, 2011 का निवर्तन करते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 तैयार किए गए थे।
नए नियमों का अवलोकन:
- इन नियमों के तहत, देश भर में ‘ओवर द टॉप’ (OTT) और डिजिटल पोर्टलों द्वारा एक ‘शिकायत निवारण प्रणाली’ (Grievance Redressal System) गठित करना अनिवार्य किया गया है।
- उपयोगकर्ताओं के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किए जाने के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने हेतु यह आवश्यक है।
- महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ‘एक मुख्य अनुपालन अधिकारी’ (Chief Compliance Officer) की नियुक्ति करना अनिवार्य होगा, इसके साथ ही ये कंपनियां एक नोडल संपर्क अधिकारी भी नियुक्त करेंगी, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियां कभी भी संपर्क कर सकेंगी।
- शिकायत अधिकारी (Grievance Officer): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एक शिकायत अधिकारी को भी नियुक्त करेंगे, जो 24 घंटे के भीतर कोई भी संबंधित शिकायत दर्ज करेगा और 15 दिनों में इसका निपटारा करेगा।
- सामग्री को हटाना (Removal of content): यदि किसी उपयोगकर्ता, विशेष रूप से महिलाओं की गरिमा के खिलाफ शिकायतें- व्यक्तियों के निजी अंगों या नग्नता या यौन कृत्य का प्रदर्शन अथवा किसी व्यक्ति का प्रतिरूपण आदि के बारे में- दर्ज कराई जाती हैं, तो ऐसी सामग्री को, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शिकायत दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा।
- मासिक रिपोर्ट: इनके लिए, हर महीने प्राप्त होने वाली शिकायतों की संख्या और इनके निवारण की स्थिति के बारे में मासिक रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी।
- समाचार प्रकाशकों के लिए विनियमन के तीन स्तर होंगे – स्व-विनियमन, किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की अध्यक्षता में एक स्व-नियामक निकाय, और ‘प्रथा सहिंता एवं शिकायत समिति’ सहित सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा निगरानी।
निपुण भारत कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
● हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा ‘निपुण भारत कार्यक्रम’ (NIPUN Bharat Programme) का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम के बारे में
- निपुण कार्यक्रम का अर्थ ‘समझ के साथ पढ़ने तथा संख्या गणना में निपुणता हेतु राष्ट्रीय पहल’ (National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy- NIPUN) है।
- यह कार्यक्रम, शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक पहल है जिसे स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
लक्ष्य:
- इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है, कि देश का प्रत्येक बच्चा वर्ष 2026-27 तक ग्रेड-3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्या-गणना कौशल आवश्यक रूप से प्राप्त कर सके। यह कार्यक्रम, 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा।
कार्यान्वयन:-
● इस पहल को लागू करने के लिए, केंद्र द्वारा प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय-राज्य-जिला-ब्लॉक-स्कूल स्तर पर एक पांच स्तरीय क्रियान्वन तंत्र स्थापित किया जाएगा।
कार्यक्रम के केंद्र बिंदु:
- मिशन के तहत, बच्चे के शारीरिक और सामाजिक-भावनात्मक विकास, साक्षरता और संख्यात्मक विकास, संज्ञानात्मक विकास, जीवन कौशल आदि जैसे परस्पर संबंधित और परस्पर निर्भर विकास के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- निपुण भारत कार्यक्रम में, अपने स्कूलों, शिक्षकों, माता-पिता और समुदायों के साथ-साथ छात्रों को हर संभव तरीके से, बच्चों की वास्तविक क्षमता प्राप्त करने और देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करने के लिए समर्थन और प्रोत्साहित करने की परिकल्पना की गई है।
भारत मिशन के प्रमुख घटक और अपेक्षित परिणाम
- प्राथमिक कौशल, बच्चों को कक्षा में रखने में सक्षम होते हैं जिससे बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को पढाई जारी रखने के लिए रोका जा सकता है और प्राथमिक से उच्च प्राथमिक व माध्यमिक चरणों में पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी आती है।
- गतिविधि आधारित शिक्षण और सीखने के अनुकूल माहौल से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
- खिलौना आधारित और अनुभवात्मक शिक्षण जैसी नवीन अभिनव अध्यापन विधियों का उपयोग कक्षा-कार्यों में किया जाएगा, जिससे शिक्षण एक आनंदमय और आकर्षक गतिविधि बना रहेगा।
- शिक्षकों का गहन क्षमता निर्माण, उनके लिए सशक्त बनाएगा और शिक्षण विधि चुनने के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा।
मंगल के ‘असतत् औरोरा’
चर्चा में क्यों
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के होप अंतरिक्षयान ने मंगल ग्रह पर रात के दौरान आकाश में चमकती वायुमंडलीय रोशनी की छवियों को कैप्चर किया है, जिसे ‘असतत् औरोरा’ (Discrete Aurora) के रूप में जाना जाता है।
होप प्रोब, अरब दुनिया का पहला मंगल ग्रह आधारित मिशन है जो जुलाई 2020 में पृथ्वी से रवाना हुआ और फरवरी 2021 से लाल ग्रह (मंगल) की परिक्रमा कर रहा है। इसके द्वारा मंगल ग्रह के वायुमंडल का पहला पूर्ण चित्र बनाए जाने की उम्मीद है।
प्रमुख बिंदु:
औरोरा:
ऑरोरा आकाश में एक प्रकाशदीप्ति है जिसे मुख्य रूप से उच्च अक्षांश क्षेत्रों (आर्कटिक और अंटार्कटिक) में देखा जाता है। इसे ध्रुवीय प्रकाश के रूप में भी जाना जाता है।
ये आमतौर पर उच्च उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों पर घटित होते हैं, यह मध्य अक्षांशों पर कम पाए जाते हैं, और कभी-कभी भूमध्य रेखा के पास देखे जाते हैं।
आमतौर पर एक औरोरा दूधिया हरा रंग, लाल, नीला, बैंगनी, गुलाबी और सफेद भी दिख सकता है। ये रंग लगातार बदलते आकार की एक किस्म के रूप में दिखाई देते हैं।
औरोरा केवल पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि यदि किसी ग्रह में वातावरण और चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है, तो संभवतः वहाँ पर भी औरोरा की उपस्थिति होती है।
पृथ्वी पर औरोरा का कारण:
- औरोरा (Auroras) तब उत्पन्न होता है जब सूर्य की सतह से निकले आवेशित कण (जिन्हें सौर वायु कहा जाता है) पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं ।
- कुछ औरोरा पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के साथ अंतरिक्ष से आवेशित कणों के बीच घर्षण के कारण होता है।
- इलेक्ट्रॉन – जो पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर (पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित अंतरिक्ष क्षेत्र) से आते हैं, यह अपनी ऊर्जा को ऑक्सीजन और नाइट्रोजन परमाणुओं तथा अणुओं में स्थानांतरित करते हैं, जिससे वे “उत्सर्जित” हो जाते हैं।
- जब वायुमंडल पर विस्फोटक के रूप में मैग्नेटोस्फीयर से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉन आते हैं, तो ऑक्सीजन और नाइट्रोजन कणों का पता लगाने के लिये पर्याप्त प्रकाश उत्सर्जित कर सकते हैं, जिससे हमें सुंदर औरोरा दिखाई देते हैं।
- हमारे ग्लोब के उत्तरी भाग में ध्रुवीय रोशनी को औरोरा बोरेलिस या उत्तर ध्रुवीय ज्योति कहा जाता है और इसे यूएस (अलास्का), कनाडा, आइसलैंड, ग्रीनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन तथा फिनलैंड से देखा जाता है।
- दक्षिण में उन्हें औरोरा ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण ध्रुवीय ज्योति कहा जाता है तथा अंटार्कटिका, चिली, अर्जेंटीना, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे उच्च अक्षांशों में दिखाई देते हैं।
मंगल के असतत् औरोरा
- पृथ्वी पर औरोरा के विपरीत जो केवल उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास देखा जाता है, मंगल ग्रह पर असतत् औरोरा (Discrete Aurora) को रात के समय ग्रह के चारों ओर देखा जाता है।
- इन असतत् औरोराओं का पता वहाँ लगाया जाता है जहाँ ऊर्जावान कण मंगल की सतह पर खनिजों से उत्पन्न होने वाले चुंबकीय क्षेत्रों के एक पैची नेटवर्क (Patchy Network) द्वारा वातावरण को उत्तेजित करते हैं।
महत्त्व:
- मंगल ग्रह के औरोरा का अध्ययन वैज्ञानिकों के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह इस बात का सुराग दे सकता है कि जीवन को बनाए रखने हेतु आवश्यकताओं के बीच लाल ग्रह ने अपना चुंबकीय क्षेत्र और घने वातावरण को क्यों खो दिया।
- संयुक्त अरब अमीरात के मंगल मिशन के दौरान एकत्रित जानकारी के साथ वैज्ञानिकों को मंगल के वायुमंडल की विभिन्न परतों की जलवायु गतिशीलता की बेहतर समझ प्राप्त होगी।
अन्य मंगल मिशन
- नासा का मंगल 2020 मिशन (पर्सिवरेंस रोवर): इस मिशन को मंगल ग्रह के भू-विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने तथा जीवन के प्राचीनतम संकेतों की तलाश के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- तियानवेन -1: चीन का मंगल मिशन: इसे वर्ष 2019 में ग्रह की मिट्टी, भूवैज्ञानिक संरचना, पर्यावरण, वायुमंडल और पानी की वैज्ञानिक जाँच करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
- भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान: इसे नवंबर 2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
एंटी डपिंग ड्यूटी
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत सरकार ने चीन, थाईलैंड, कोरिया तथा तीन अन्य देशों से तांबे के कुछ उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी नहीं लगाने का फैसला किया है।
प्रमुख बिंदु
- यह सिफारिश व्यापार उपचार महानिदेशालय ( QGTR) द्वारा की गई, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय ही लेता है।
- एंटी डंपिंग ड्यूटी – डंपिंग का अभिप्राय किसी देश के निर्माता द्वारा किसी उत्पाद को या तो इसकी घरेलू कीमत से नीचे या उत्पादन लागत से कम कीमत पर किसी दूसरे देश में निर्यात करने से हैं।
- यह एक अनुचित व्यापार प्रथा है जिसका अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
उद्देश्य
- एंटी डंपिंग घुतक , डंपिंग को रोकने के लिए लाया जाता है।
- यह स्वास्थ्य एवं उचित अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देता है।
- घरेलू कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा कम कर देती है।
- यह एक संरक्षणवादी टैरिफ भी है।
काउंटर वेलिंग ड्यूटी और एंटी डंपिंग ड्यूटी के बीच अंतर –
- एंटी डंपिंग ड्यूटी आयात पर आरोपित वह सीमा शुल्क है जो सामान्य मूल्य से काफी कम कीमतों पर माल की डंपिंग के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है जबकि काउंटरवेलिंग ड्यूटी ऐसी वस्तुओं पर आरोपित की जाती है जिन्हें बुल्लेया निर्यात करने वाले देश में सरकारी सब्सिडी प्राप्त है।
एंटी डंपिंग ड्यूटी पर WTO के प्रावधान
- वैधता 5 वर्ष
- सनसेट ड्यूटी – इसे सन सेठिया समीक्षा की माध्यम से 5 वर्ष की अवधि के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
किमत 18 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर 20 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गई थी।
- दुनिया भर में लगभग खुलने के साथ क्रूड आयल की किमतो में इजाफा हुआ। लेकिन OPEC. देशों ने जानबूझकर आयल के दाम बढ़ाने के लिए उत्पादन कम रखा जिससे जुलाई 2021 में क्रूड आयल की कीमतों में इजाफा हुआ। लेकिन OPEC देशों ने जानबूझकर क्रूड आयल के दाम बढ़ाने के लिए उत्पादन कम रखा जिससे जुलाई 2021 में क्रूड आयल की कीमत 76.5 अमेरिकी डालर प्रति बैरल पहुंच गया।
- हालांकि भारत सहित तमाम विकासशील देशों से जानबूझकर क्रूड आयल की कीमतों को बढ़ाने के लिए ( जबकि अभी विश्व महामारी के चपेट के नुक़सान से बाहर नहीं निकल पाया है, आलोचना से OPEC + देशों ने उत्पादन बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
- OPEC + सदस्य देशों में OPEC सदस्य देश तथा गैर OPEC देशों ने उत्पादन बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
- OPEC + सदस्य देशों में OPEC + सदस्य देशों में OPEC सदस्य देशों तथा गैर – ओपेक तेल निर्यातक देशों का गठबंधन।
- अज़रबैजान, बहरीन, ब्रूनेई, कजाखस्तान, मलेशिया, मेक्सिको, ओमान, रुस, दक्षिण सुडान और सुडान है।