फ्रेट स्मार्ट सिटीज
(Freight Smart Cities)
चर्चा में क्यों?
● हाल ही में, वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स डिवीजन द्वारा ‘फ्रेट स्मार्ट सिटीज’ / ‘माल-ढुलाई स्मार्ट शहर’ (Freight Smart Cities) बनाने हेतु एक योजना प्रस्तुत की गई है।
उद्देश्य:-
● शहरी माल ढुलाई की दक्षता में सुधार और लॉजिस्टिक की लागत घटाने के अवसर पैदा करना है ।
कार्यान्वयन:
- ‘फ्रेट स्मार्ट सिटीज’ पहल के तहत, ‘शहर स्तर पर लॉजिस्टिक्स समितियों’ (City-Level Logistics Committees) का गठन किया जायेगा।
- इन समितियों में संबंधित सरकारी विभाग और स्थानीय स्तर की एजेंसियां, राज्य और प्रतिक्रिया देने वाले केंद्रीय मंत्रालय और एजेंसियां शामिल होंगी।
- इनमें लॉजिस्टिक्स सेवाओं से जुड़ा निजी क्षेत्र और साथ ही लॉजिस्टिक्स सेवाओं के उपयोगकर्ता भी शामिल होंगे।
- ये समितियां स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन सुधारने के उपायों को लागू करने के लिए संयुक्त रूप से शहर के लिए लॉजिस्टिक्स योजनाओं को तैयार करेंगी।
आवश्यकता:
- वर्तमान में, भारतीय शहरों में ग्राहकों तक सामान पहुंचाने के अंतिम चरण में माल ढुलाई गतिविधियों की लागत भारत की बढ़ती ई-कॉमर्सआपूर्ति श्रृंखला की कुल लागत का 50 प्रतिशत है।
- शहरों के लॉजिस्टिक्स में सुधार, माल ढुलाई गतिविधियों को और भी बेहतर बनायेगा और लागत में कमी से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।
- इसके अलावा, अगले 10 वर्षों में शहरी माल ढुलाई की मांग में 140 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।
योजना के अंतर्गत आने वाले शहर:
- योजना के अंतर्गत, तत्काल आधार पर पहले चरण में दस शहरों को कवर किया जाएगा।
- अगले चरण में सूची को 75 शहरों तक विस्तारित करने की योजना है, जिसके बाद इसका विस्तार पूरे देश में किया जायेगा जिसमें सभी राज्यों की राजधानियों और दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर शामिल होंगे। हालांकि, शहरों की चुनी जाने वाली सूची को राज्य सरकारों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जायेगा।
मानव तस्करी रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
●अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी मानव तस्करी रिपोर्ट, 2021 के अनुसार, कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप मानव तस्करी के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है और मौजूदा तस्करी-रोधी प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई है।
मानव तस्करी जिसे व्यक्तियों की तस्करी भी कहा जाता है, आधुनिक समय की दासता का रूप है जिसमें श्रम, यौन शोषण के उद्देश्य से बल या धोखे से व्यक्तियों का अवैध परिवहन शामिल है तथा ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को आर्थिक लाभ होता है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- भारत तस्करी को खत्म करने के लिये न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं कर पाया है, जबकि इसे खत्म करने के लिये सरकार लगातार आवश्यक प्रयास करती रही, साथ ही जब बंधुआ मजदूरी की बात आती है तो ये प्रयास अपर्याप्त प्रतीत होते हैं।
- चीनी सरकार व्यापक रूप से जबरन श्रम करवाने में लगी हुई है, इसमें दस लाख से अधिक उइगर, कज़ाख, किर्गिज़ और अन्य मुसलमानों को निरंतर सामूहिक रूप से हिरासत रखना शामिल है।
तस्करी में वृद्धि के कारण:
- तस्करी के जोखिम का सामना कर रहे व्यक्तियों की बढ़ती संख्या, अवैध तस्करीकर्त्ताओं की प्रतिस्पर्द्धी संकटों का लाभ उठाने की क्षमता और महामारी पर प्रतिक्रिया प्रयासों के लिये संसाधनों के विपथन/डायवर्जन आदि का सम्मिलन मानव तस्करी के फलने-फूलने एवं विकसित होने के लिये एक आदर्श वातावरण के रूप में परिणत हुआ है।
देशों का वर्गीकरण:
- यह वर्गीकरण किसी देश की अवैध व्यापार समस्या की भयावहता पर आधारित नहीं है बल्कि मानव तस्करी के उन्मूलन के लिये न्यूनतम मानकों को पूरा करने के प्रयासों पर आधारित है।
देशों को त्रि-स्तरीय प्रणाली के आधार पर नामित किया गया है:-
- टियर 1 में वे देश शामिल हैं जिनकी सरकारें पूरी तरह से तस्करी पीड़ित संरक्षण अधिनियम (Trafficking Victims Protection Act- मानव तस्करी पर अमेरिका का कानून) के न्यूनतम मानकों का पालन करती हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन और दक्षिण कोरिया टियर 1 में शामिल कुछ देश हैं।
- टियर 2 में वे देश आते हैं जिनकी सरकारें तस्करी पीड़ित संरक्षण अधिनियम के न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं करती हैं, लेकिन उन मानकों के अनुपालन के तहत खुद को लाने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास कर रही हैं।
- टियर 2 वॉचलिस्ट वाले वे देश हैं जहाँ तस्करी के पीड़ितों की संख्या महत्त्वपूर्ण स्तर पर है या अत्यधिक बढ़ रही है।
- भारत को टियर 2 श्रेणी में रखा गया है।
- टियर 3 में वे देश हैं जिनकी सरकारें न्यूनतम मानकों का पूरी तरह पालन नहीं करती हैं और ऐसा करने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास नहीं कर रही हैं।
- अफगानिस्तान, म्याँमार, चीन, क्यूबा, इरिट्रिया, उत्तर कोरिया, ईरान, रूस, दक्षिण सूडान, सीरिया और तुर्कमेनिस्तान इस श्रेणी में आते हैं।
‘ वस्तु एवं सेवा कर’ प्रणाली के चार वर्ष
चर्चा में क्यों
हाल ही में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने ‘वस्तु एवं सेवा’ (GST) प्रणाली के चार वर्ष पूरे होने के अवसर को चिह्नित करने हेतु लगभग 54,000 करदाताओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
GST की उपलब्धियाँ
स्वचालित अप्रत्यक्ष कर पारिस्थितिकी तंत्र:
- ई-वे बिल की शुरुआत के साथ-साथ नकली चालान पर कार्रवाई करने से जीएसटी राजस्व में बढ़ोतरी करने में मदद मिली है, जिसकी या तो अब तक चोरी की जा रही थी या कम राजस्व दर्ज किया जा रहा था।
- ई-चालान प्रणाली करदाताओं को पूरी तरह से स्वचालित अनुपालन व्यवस्था प्रदान करती है, जिसमें कर देनदारियों की गणना और इनपुट टैक्स क्रेडिट का मिलान आसनी से किया जा सकता है।
अनुपालन का सरलीकरण:
आयात पर क्रेडिट उपलब्धता हेतु सीमा शुल्क पोर्टल को जीएसटी पोर्टल से जोड़ने, इनपुट टैक्स क्रेडिट के मिलान हेतु उचित साधन उपलब्ध कराने, चालान रजिस्ट्री पोर्टल के निर्बाध संचालन हेतु रिफंड प्रक्रिया के स्वचालन में वृद्धि जैसी विभिन्न पहलों ने कर अनुपालन को आसान बनाने में मदद की है।
जीएसटी परिषद की कार्यप्रणाली:
जीएसटी परिषद ने कानून में सुधार किया जटिल मुद्दों पर स्पष्टीकरण जारी किया, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाया और कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये छूट की शुरुआत की, जो कि जीएसटी परिषद की बेहतरीन कार्यात्मक संरचना का परिणाम है।
विश्व के लिये एक उदाहरण
- भारत ने ‘वस्तु एवं सेवा कर’ जैसी सर्वाधिक जटिल कर परिवर्तन परियोजनाओं में से एक को सफलतापूर्वक लागू कर दुनिया के लिये एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया है।
चुनौतियाँ
राजकोषीय संघवाद:
- यह मुद्दा तब विवादास्पद हो गया जब महामारी के कारण जीएसटी संग्रह में गिरावट दर्ज की गई।
- चूँकि जीएसटी ने राज्यों की कराधान शक्तियों के एक बड़े हिस्से का अधिग्रहण कर लिया, उदाहरण के लिये राज्य प्रत्यक्ष कर या सीमा शुल्क नहीं अधिरोपित कर सकते हैं, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा उन्हें पाँच वर्ष की अवधि के लिये 14% की गारंटीकृत राजस्व वृद्धि की पेशकश की गई थी।
15वें वित्त आयोग द्वारा रेखांकित मुद्दे:
- 15वें वित्त आयोग ने जीएसटी शासन में कर दरों की बहुलता, पूर्वानुमान के मुकाबले जीएसटी संग्रह में कमी, जीएसटी संग्रह में उच्च अस्थिरता, रिटर्न दाखिल करने में असंगति, मुआवज़े को लेकर केंद्र पर राज्यों की निर्भरता आदि विभिन्न क्षेत्रों पर प्रकाश डाला था।
बड़े व्यवसाय बनाम छोटे व्यवसाय
- जीएसटी कानून को लाए जाने के मूलभूत सिद्धांतों जैसे- इनपुट क्रेडिट का निर्बाध प्रवाह और अनुपालन में आसानी आदि पर सूचना प्रोद्योगिकी (IT) संबंधित गड़बड़ियों एवं चुनौतियों का काफी प्रभाव पड़ा है।
- अप्रत्यक्ष कर, आयकर जैसे प्रत्यक्ष करों के विपरीत अमीर और गरीब के बीच के अंतर को नहीं देखता हैं और इसलिये इस प्रकार के कर का गरीबों पर भारी बोझ पड़ता है।
- इसके अलावा छोटे एवं मध्यम व्यवसाय अभी भी तकनीक-सक्षम शासन के अनुकूल होने की चुनौती से जूझ रहे हैं।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) :
परिचय :
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) घरेलू उपभोग के लिये बेचे जाने वाले अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला मूल्यवर्द्धित कर है।
- GST का भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन यह वस्तुओं और सेवाओं को बेचने वाले व्यवसायों द्वारा सरकार को प्रेषित किया जाता है।
- GST, जिसने लगभग सभी घरेलू अप्रत्यक्ष करों (पेट्रोलियम, मादक पेय और स्टांप शुल्क प्रमुख अपवाद हैं) को एक मंच के अंर्तगत समाहित कर दिया, शायद यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे बड़ा कर सुधार है। इसे 1 जुलाई, 2017 की मध्यरात्रि को परिचालन में लाया गया था।
जीएसटी की विशेषताएँ:
- आपूर्ति पक्ष पर लागू: वस्तु के निर्माण या वस्तुओं की बिक्री या सेवाओं के प्रावधान पर पुरानी अवधारणा के विपरीत वस्तुओं या सेवाओं की ‘आपूर्ति’ पर जीएसटी लागू है।
- गंतव्य आधारित कराधान: GST मूल-आधारित कराधान के सिद्धांत के विपरीत गंतव्य-आधारित उपभोग कराधान के सिद्धांत पर आधारित है।
- दोहरा GST: यह केंद्र और राज्यों पर एक साथ, एक समान आधार पर लगाया जाने वाला कर है। केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले जीएसटी को केंद्रीय जीएसटी (CGST) कहा जाता है और राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले को राज्य जीएसटी (SGST) कहते हैं।
- वस्तुओं या सेवाओं के आयात को अंतर-राज्य आपूर्ति के रूप में माना जाएगा तथा यह लागू सीमा शुल्क के अतिरिक्त एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) के अधीन होगा।
- पारस्परिक रूप से तय की जाने वाली जीएसटी दरें: CGST, SGST व IGST केंद्र और राज्यों द्वारा पारस्परिक रूप से सहमत दरों पर लगाए जाते हैं। जीएसटी परिषद की सिफारिश पर दरें अधिसूचित की जाती हैं।
- बहुगामी दरें: जीएसटी चार दरों ( 5%, 12%, 18% और 28%) पर लगाया जाता है। जीएसटी परिषद द्वारा इन बहुतायत चरणों (Slabs ) के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की अनुसूची या सूची तैयार की जाती है।
- इसमें अलग से जीएसटी के तहत मोटे कीमती और अर्द्ध-कीमती पत्थरों पर 0.25% की एक विशेष दर तथा सोने पर 3% की दर निश्चित की गई है।
GST परिषद:
- यह वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिश करने के लिये एक संवैधानिक निकाय (अनुच्छेद 279A) है।
- इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करता है और अन्य सदस्य केंद्रीय राजस्व या वित्त मंत्री तथा सभी राज्यों के वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री होते हैं।
- इसे एक संघीय निकाय के रूप में माना जाता है जहाँ केंद्र और राज्य दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।
GST द्वारा लाए गए सुधार:
- एक साझा राष्ट्रीय बाज़ार का निर्माण: बड़ी संख्या में केंद्र और राज्यों द्वारा लगाए जा रहे करों को मिलाकर एक ही कर बनाना।
व्यापक प्रभाव का शमन:
- वस्तु या सेवाओं (यानी इनपुट पर) की खरीद के लिये एक व्यापारी जो जीएसटी का भुगतान करता है, उसे बाद में अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू करने के लिये तैयार या सेट किया जा सकता है। सेट ऑफ टैक्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट कहा जाता है। इस प्रकार जीएसटी कर पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव को कम कर सकता है क्योंकि इससे अंतिम उपभोक्ता पर कर का बोझ बढ़ जाता है।
- कर के बोझ में कमी: उपभोक्ताओं की दृष्टि से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि वस्तुओं पर लगने वाले कर के बोझ में कमी आ सकेगी।
- भारतीय उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाना: उत्पादन की मूल्य शृंखला में इनपुट करों के पूर्ण निष्प्रभावीकरण के कारण जीएसटी की शुरुआत घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भारतीय उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बना रही है।
हिट डोम
चर्चा में क्यों
हाल ही में प्रशांत नार्थ वेस्ट और कनाडा के कुछ हिस्सों का तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ गया , जिसके कारण – हिट डोम बताया जा रहा है।
हिट – डोम का प्रभाव
- घरों के तापमान को असहनीय रूप से बढ़ा देते हैं। जिससे अचानक मृत्यु भी हो सकती है।
- अधिक गर्मी के कारण जीव-जंतुओं तथा वनस्पतियों पर प्रभाव।
- अधिक गर्मी, ऊर्जा मांग को बढ़ावा देगी, यानि बिजली खपत बढ़ेगी।
- हिट-डोम जंगली आज के लिए ईंधन का काम करती है।
जलवायु परिवर्तन और हिट डोम
- हिट-डोम के कारण अधिक वाष्पन जो कि G.H.G है।
- तापमान बढ़ोतरी ग्लेशियर पर बुरा प्रभाव डालेगा।
हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी
चर्चा में क्यों
हाल ही में हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी के सातवें संस्करण की मेजबानी फ्रांसीसी सेना द्वारा रियूनियन द्वीप पर की गई थी।
- हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी एक स्वैच्छिक एवं समावेशी पहल है जो समुद्री सहयोग को बढ़ाने व क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय राज्यों की नौसेना को एक साथ लाता है।
- इसका आयोजन प्रत्येक 2 वर्ष बाद किया जाता है इस बार 2021 में इसकी अध्यक्षता फ्रांस द्वारा की जा रही है।
- इसमें कुल 24 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं तथा 8 पर्यवेक्षक देश शामिल हैं।
महत्त्व
- हिंद महासागर के तटवर्ती भारतीय राज्यों के साथ संबंधों को मजबूत और गहरा बनाता है।
- शुद्ध सुरक्षा प्रदाता होने की अपनी नेतृत्व क्षमता और आकांक्षा को स्थापित करना।
- IOR में नियम आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण को पूरा करना।
IOR से जुड़े अन्य पहल
- हिंद महासागर रिम एसोसिएशन को मजबूती।
- क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास।
- एशिया अफ्रीका विकास गलियारा ( बुनियादी ढांचा, गुणवत्ता, कनेक्टिविटी, क्षमता व कौशल)
भारत के विनिर्माण क्षेत्र का संकुचन : PMI
• IHS मार्किट इंडिया के सर्वेक्षण के अनुसार, विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक जून में घटकर 48.1 पर आ गया है।
संकुचन के कारण
- कोविड महामारी की दूसरी लहर संख्या नियंत्रण ने मांगो को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है तथा कारखानों के उत्पादन, निर्यात एवं खरीद की मात्रा संकुचित हुई है।
- PMI नीति निर्माताओं, विश्लेषकों को वर्तमान एवं भविष्य की व्यवसायिक स्थिति के बारे में बताता है।
- PMI में 0-100 तक संख्या होती है। 50 से अधिक अंक अर्थव्यवस्था विस्तार को बताता है तथा 50 से कम अंक अर्थव्यवस्था संकुचन को दर्शाता है।
LEAF गठबंधन
LEAF – ( lowering emission by Accelerating forest finance – LEAF)
गठबंधन उष्णकटिबंधीय वनों की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध देशों के वित्तपोषण हेतू कम से कम 1 बिलियन डालर जुटाने में सक्षम बनाता है।
महत्व
- कार्बन सिंक बढ़ाना ।
- REDD उद्देश्यों को प्राप्त करना – वन संरक्षण को प्रोत्साहन
- वन – निर्भर आबादी हेतु आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- वर्ष 2030 तक उष्णकटिबंधीय और उपोषण कटिबंध क्षेत्रों को रोकना वैश्विक जलवायु, जैव विविधता तथा SGD लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ स्थानीय लोगों की भलाई तथा संस्कृतियों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।