29 June 2021 Current affairs

कारोबार और ऋण हेत उच्च सीमा से छोटी और मझोली कंपनियों को लाभ

  • कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा ‘लघु और मध्यम आकार की कंपनियों’ (Small and Medium sized Companies – SMC) के लिए कारोबार और ऋण सीमा का विस्तार किया गया है।

नवीनतम परिवर्तन:

  • कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा ‘छोटी और मझोली कंपनियों’ (SMCs) कारोबार की सीमा को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये तथा ऋण सीमा को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया है।
  • छोटी फर्मों के लिए विनियामक फाइलिंग की जटिलता को कम करने के लिए SMC को ‘कंपनी (लेखा मानक) नियमों’ (Company (Accounting Standards) Rules) 2021 के तहत कई छूटों का लाभ उठाने की अनुमति दी गई है।

अपवाद

  • बैंकों, मौद्रिक प्रतिष्ठानों, बीमा कंपनियों और सूचीबद्ध फर्मों को ‘लघु और मध्यम आकार की कंपनियों’ (SMC) के रूप में दर्ज नहीं किया जा सकता है।
  • कोई फर्म, यदि किसी ‘गैर- छोटी और मझोली कंपनी’ (Non- SMCs) संगठन की होल्डिंग और सहायक फर्म दोनों है, तो उसे SMCs के रूप में दर्ज नहीं किया जा सकता है।

इस निर्णय का महत्व:

  • यह निर्णय, ‘छोटी और मझोली कंपनियों’ (SMCs) की परिभाषा में आने वाली फर्मों के लिए व्यापार करने में सुगमता को बढ़ावा देगा।

छोटी और मझोली कंपनियों’ के लिए उपलब्ध छूटें:

  • SMC को नकदी प्रवाह विवरण दाखिल करने और अनिवार्य फाइलिंग में अपने वित्तीय प्रदर्शन का खंडीय विवरण देने से पूर्णतयः छूट दी गई है।
  • इनके लिए, कर्मचारी लाभ दायित्वों, जैसेकि पेंशन, पर रिपोर्टिंग सहित, कुछ क्षेत्रों में आंशिक रिपोर्टिंग छूट का लाभ भी दिया गया है।
  • इनके लिए, कर्मचारियों के लिए लाभ दायित्वों का विस्तृत विश्लेषण देने से छूट दी गई है, किंतु कर्मचारियों के प्रति कंपनी के दायित्वों के मूल्यांकन में प्रयुक्त होने वाले बीमांकिक अनुमान पेश करना अभी भी अनिवार्य है।
  • SMC के लिए अपनी बैलेंस शीट में दर्ज परिसंपत्तियों में लगी अनुमानित कीमत के बारे में जानकारी देने की भी अनुमति है, और परिसंपत्तियों में लगी कीमत का निर्धारण करने हेतु वर्तमान कीमत तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
  • इनके लिए, अपनी फाइलिंग में ‘तनुकृत प्रति शेयर आय’ (diluted Earnings Per Share -EPS) को रिपोर्ट करने से भी छूट दी गई है।

भारत में MSME की हिस्सेदारी

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs) ने हमेशा भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • भारत के 6.3 करोड़ MSME, न केवल देश के सकल घरेलू उत्पाद में एक तिहाई योगदान करते हैं बल्कि समाज के बड़े वर्ग को रोजगार भी प्रदान करते हैं।
  • इसके अलावा, यह क्षेत्र आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और लगभग 110 मिलियन रोजगार प्रदान करता है।

ड्रैगन मैन
(Dragon Man)

चर्चा में क्यों?

● हाल ही में, चीन के शोधकर्ताओं द्वारा एक प्राचीन मानव खोपड़ी की खोज करने का दावा किया गया है। यह मानव खोपड़ी, पूरी तरह से मनुष्यों की एक नई प्रजाति से संबंधित हो सकती है।

प्रमुख बिंदु

  • यह खोपड़ी, उत्तर-पूर्व चीन के हार्बिन शहर में पायी गई है।
  • इसे “ड्रैगन मैन” या होमो लोंगी (Homo longi) का नाम दिया गया है। यह नाम, चीन के हेइलोंगजियांग (Heilongjiang) प्रांत में लॉन्ग जियांग’ (Long Jiang) या ‘ड्रैगन नदी’ से लिया गया है। इसी प्रांत में ‘हार्बिन शहर’ स्थित है।
  • यह मानव खोपड़ी 146,000 वर्ष से अधिक पुरानी हो सकती है।

भारतीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2020-21

चर्चा में क्यों
हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा भारतीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार 2020 की सूची जारी की है। इसमें उत्तर प्रदेश को शीर्ष स्थान तथा मध्य प्रदेश को द्वितीय स्थान तथा तमिलनाडु को तीसरा स्थान मिला है।

तथ्य

  • सरकार द्वारा ये रैंकिंग, सामाजिक पहलू, प्रशासन, संस्कृति, शहरी पर्यावरण, स्वच्छता, अर्थव्यवस्था, पानी, शहरी परिवहन जैसे कई मानकों के आधार पर तय की गई थी।
  • भारत सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन 2015 में प्रारंभ किया गया था। इसका उद्देश्य शहरी कार्यों को एकीकृत करना, दुर्लभ संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करना और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।

स्मार्ट सिटी में 4 स्तंम्भो की परिकल्पना की गई है।

  1. सामाजिक अवसंरचना
  2. भौतिक अवसंरचना
  3. संस्थागत अवसंरचना
  4. आर्थिक अवसंरचना

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास में भारत सरकार के समक्ष चुनौतियां

  • वर्ष 2019, केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक भारत को एकल उपयोग प्लास्टिक से मुक्त करने हेतु एक बहु मंत्रालयी योजना तैयार की गई थी।
  • सिंगल यूज प्लास्टिक ( SUP) निर्मित वस्तुओं को तीन चरणों में प्रतिबंधित करने पर प्रस्ताव पेश किया गया है।
  1. पहली श्रेणी में झंडे, गुब्बारे, आइसक्रीम और इयरबड्स ( Ear buds) में प्लास्टिक की डंडिया और प्रयुक्त होने वाले थर्माकोल को शामिल किया गया है।
  2. दूसरी श्रेणी में प्लेट ,कप,गिलास, चम्मच, स्ट्रा और ट्रे पात्र, सिगरेट के पैकेट और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैनर शामिल है।
  3. तीसरी श्रेणी में, 240 माइक्रान से कम मोटाई के गैर बुनाई दार थैलियों को शामिल किया गया।

चुनौतियां

  • प्रतिदिन संपूर्ण भारत में 26,000 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से 10,000 टन से अधिक कचरे को एकत्रित नहीं किया जाता । इसे देखते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित करना आसान काम नहीं होगा।

अमेरिका का डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट ( digital millennium copyright act – DMCA)

1998 की उल्लंघन हेतु कथित रूप से प्राप्त एक नोटिस पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ट्विटर अकाउंट को 1 घंटे के लिए बंद कर दिया गया था।

• DMCA कोई भी सामग्री निर्माता जो यह मानता है कि उसकी मूल सामग्री को किसी भी रूप में किसी उपयोगकर्ता या व्यवसायी द्वारा बिना प्राधिकरण के कॉपी किया गया है, अपनी बौद्धिक संपदा की चूड़ियां उल्लंघन का हवाला देते हुए एक आवेदन दायर कर सकता है। तथा नोटिस प्राप्त करने के पश्चात उक्त सामग्री को सोशल मीडिया ( टि्वटर, फेसबुक इत्यादि) से हटाने हेतु बाध्य है।

बौद्धिक संपदा ( intellectual property -IP)

  • यहां संपत्ति की एक श्रेणी है जिसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएं और मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट तथा ट्रेडमार्क शामिल है।
  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ( WIPO) के अलावा WTO के बौद्धिक संपदा व्यापार संबंधी पहलुओं ( TRIPS agreement) पर समझौते के तहत शामिल है।
  • भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है और इसलिए यह ट्रिप्स ( TRIPS) के लिए प्रतिबद्ध है।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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