29 & 30 April 2021 Current affairs

29 & 30 April 2021 Current affairs

भारत-जापान

हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफोन वार्ता के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने उच्च प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और कोविड-19 महामारी से लड़ने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

प्रमुख बिंदु:

कोविड-19 की स्थिति:

  • इस दौरान महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को दूर करने के लिये भारत-जापान सहयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया तथा विविधतापूर्ण और भरोसेमंद आपूर्ति शृंखला बनाने, महत्त्वपूर्ण सामग्री तथा प्रौद्योगिकियों की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने और विनिर्माण तथा कौशल विकास में नई साझेदारी विकसित करने पर ज़ोर दिया गया।
  • इस संदर्भ में दोनों नेताओं ने अपनी क्षमताओं के तालमेल और पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त करने के लिये निर्दिष्ट कुशल श्रमिक (SSW) समझौते के शीघ्र संचालन की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।
  • उन्होंने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (MAHSR) परियोजना को दोनों देशों के सहयोग के एक उदाहरण के रूप में रेखांकित किया।

भारत-प्रशांत सहयोग:

इस दौरान जापान-भारत द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग की पुष्टि की गई, जिसमें एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण की दिशा में जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत-अमेरिका चतुर्भुज सहयोग (क्वाड ) शामिल है।
विभिन्न क्षेत्रों में संभावित सहयोग:

दोनों देशों के बीच 5G, सबमरीन केबल, औद्योगिक प्रतिस्पर्द्धा को मज़बूत करने, पूर्वोत्तर राज्य में आपूर्ति शृंखलाओं और विकास परियोजनाओं के विविधीकरण आदि में भी सहयोग की संभावना है।

भारत और जापान के बीच अन्य हालिया विकास:

  • हाल ही में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति शृंखला में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिये औपचारिक रूप से ‘सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव’ (SCRI) की शुरुआत की है।
  • SCRI का लक्ष्य इस क्षेत्र में मज़बूत, स्थायी, संतुलित और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिये लचीली आपूर्ति शृंखला का निर्माण करना है।
  • हाल ही में जापान ने भारत में कई प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं के लिये लगभग 233 बिलियन येन के ऋण और अनुदान को अंतिम रूप दिया है, जिसमें अंडमान और निकोबार के लिये एक परियोजना भी शामिल है।
  • वर्ष 2020 में भारत और जापान ने एक रसद समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों को सेवाओं और आपूर्ति में निकट समन्वय स्थापित करने की अनुमति देगा। इस समझौते को ‘अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते’ (ACSA) के रूप में जाना जाता है।
  • वर्ष 2014 में भारत और जापान ने अपने संबंधों को ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी’ के क्षेत्र में उन्नत किया था।
  • अगस्त 2011 में लागू ‘भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ (CEPA) वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, कस्टम प्रक्रियाओं और व्यापार से संबंधित अन्य मुद्दों को शामिल करता है।

रक्षा अभ्यास:
भारत और जापान के रक्षा बलों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यासों का आयोजन किया जाता है, जिसमें JIMEX (नौसेना), SHINYUU मैत्री (वायु सेना), और धर्म गार्जियन (थल सेना) आदि शामिल हैं। दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।

असम में भूकंप

हाल ही में, पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में, रिक्टर स्केल पर 6.4 तीव्रता का भूकंप का झटका महसूस किया गया।

भूकंप का अधिकेंद्र (Epicentre):

  • प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि भूकंप का केंद्र, हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) के नजदीक कोपिली भ्रंश (Kopili Fault) पास स्थित था।
  • यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से अति सक्रिय है तथा यह विवर्तनिक प्लेटों के टकराव क्षेत्र से संबंधित उच्चतम भूकंपीय जोखिम क्षेत्र V (Seismic Hazard zone V) के अंतर्गत आता है, जहाँ भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे अधःक्षेपित होती है।

हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) क्या है?

हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) के लिए मुख्य फ्रंटल थ्रस्ट (MFT) के रूप में भी जाना जाता है। यह भारतीय और यूरेशियन विवर्तनिक प्लेटों की सीमा पर भूगर्भीय भ्रंश है।

भ्रंश (fault) क्या होता है?

भ्रंश अथवा ‘फाल्ट’, भू-पर्पटी में एक दरार होती है, जिसके सहारे भू-पर्पटी के खंड या ब्लॉक एक दूसरे के सापेक्ष गति करते हैं ।

समय की मांग:

भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा, उच्चतम भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, इसलिए हमारे पास भूकंप के लिए सभी स्तरों पर निरंतर तैयारी होनी चाहिए। विशेषकर, भ्रंश रेखाओं के सहारे विवर्तनिक तनाव में लगातार वृद्धि होती जा रही है।

पृष्ठभूमि:

ऐतिहासिक और यंत्रवत् दर्ज किए गए भूकंप के आंकड़ों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में कई “मध्यम से लेकर बड़े भूकंप” आ चुके हैं। इनमे से, 1950 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर असम-तिब्बत क्षेत्र में आया भूकंप सबसे भयंकर था।

कोविड-19 संकट: अमेरिका एवं भारत

  • हाल ही में कोविड -19 महामारी के लिये टीकों की आपूर्ति शृंखला के सुचारू क्रियान्वयन तथा महामारी से संबंधित अन्य मुद्दों को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्य टेलीफोन पर बातचीत की गई।
  • टेलीफोन पर हुई वार्ता न केवल अमेरिका से टीकों की आपूर्ति शृंखला को सुनिश्चित करने से संबंधित थी , बल्कि इस दौरान उन संसाधनों की कमी पर भी चर्चा की गई जिनके आभाव के कारण भारत में वायरस संक्रमण और मौतों की संख्या तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है।
  • इससे पहले वर्ष 2020 में भारत और अमेरिका ने कोविड-19 हेतु वैक्सीन अनुसंधान और परीक्षण पर एक साथ कार्य करने की योजना बनाई थी।

प्रमुख बिंदु:

द्विपक्षीय चर्चा

  • भारत द्वारा विकासशील देशों के लिये टीकों और दवाओं की त्वरित और सस्ती पहुंँच सुनिश्चित करने के लिये ‘ट्रिप्स’ यानी ‘ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स’ समझौते के मानदंडों में छूट हेतु विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation- WTO) में की गई अपनी पहल पर चर्चा की।
  • वर्ष 1995 में लागू यह समझौता सदस्य देशों को अपने अधिकार क्षेत्र में बौद्धिक संपदा (IP) अधिकारों का कुशल संरक्षण और प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिये सदस्य देशों पर बाध्यकारी दायित्त्व को लागू करके बौद्धिक संपदा (IP) संरक्षण संबंधी प्रयासों में समन्वय स्थापित करता है।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार सस्ती दरों पर टीकों और दवाओं की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
  • भारत द्वारा विश्व स्तर पर कोविड-19 महामारी हेतु अपनी वैक्सीन मैत्री पहल तथा COVAX और क्वाड वैक्सीन पहल (Quad Vaccine Initiatives) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का उल्लेख किया गया।
  • दोनों देशों द्वारा अपने-अपने देशों में उत्पन्न कोविड-19 की स्थिति पर चर्चा की गई, जिसमें भारत में चल रहे टीकाकरण प्रयासों के माध्यम से कोविड-19 की दूसरी लहर को नियंत्रित करने हेतु किये जा रहे प्रयास, महत्त्वपूर्ण दवाओं, चिकित्सीय और स्वास्थ्य देखभाल उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित करना आदि मुद्दे शामिल थे।

दोनों देशों के संबंधों में हुई प्रगति

  • वर्ष 2020 में भारत-अमेरिका ‘व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी’ (Comprehensive Global Strategic Partnership) हेतु एक साथ आए थे।
  • भारत और अमेरिका के मध्य भू-स्थानिक सहयोग के लिये ‘बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते’ (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-Spatial Cooperation- BECA) पर हस्ताक्षर किये गए, जिसके तहत दोनों देशों के मध्य रक्षा संबंधों को मज़बूत करने हेतु चार आधारभूत समझौते शामिल है।
  • अन्य कई प्रमुख मुद्दों में दोनों देशों की सरकारों के मध्य निरंतर संवाद, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझा हित, क्षेत्रीय सहयोग, रक्षा संबंध तथा दोनों देशों द्वारा अप्रत्याशित चुनौतियों का मिलकर मुकाबला करना आदि शामिल हैंl

भारत का अनुरोध

भारत द्वारा अमेरिका से कोविड-19 से संबंधित टीकों, दवाओं, और चिकित्सीय उपकरणों के निर्माण हेतु आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति शृंखला को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
भारत द्वारा अमेरिका से सात आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति हेतु अनुरोध किया गया है, जिसकी तत्काल आवश्यकता है। इनमें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स (Oxygen Concentrators), ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinders), ऑक्सीजन जनरेटर (Oxygen Generators), ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट (Oxygen Generation Plants), रेमेडिसविर (Remdesivir), फेविविरविर (Favipiravir) और टोसीलिज़ुमाब (Tocilizumab) शामिल हैं।

अमेरिका की पहल:

  • अमेरिका ने अपने वैक्सीन फिल्टर के लंबित आदेश को भारतीय वैक्सीन निर्माताओं को दे दिया है, जिससे भारत को और अधिक वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी।
  • अमेरिका ने भारत में कोविशील्ड वैक्सीन (Coisheild Vaccine) के निर्माण हेतु आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है।

पावर ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट

  • सरकारी सहायता पर निर्भर हुए बिना धन संबंधी आवश्यकताओं को प्रबंधन करने हेतु राज्य संचालित कंपनियों को एक वैकल्पिक धन संग्रहण मार्ग प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा InvITs मार्ग प्रस्तावित किया गया था।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के विषय में- यह म्यूच्यूअल फंड के तरह ही एक सामूहिक निवेश योजना है।
  • इसे प्रायः आय स्टजन और परिचालन योग्य बुनियादी अवसंरचना जैसे- सड़क, बिजली, ट्रांसमिशन लाइनों और गैस पाइपलाइनो आदि के निर्माण के लिए बनाया गया है।
  • इससे सेबी विनियम 2014 द्वारा विनियमित किया जाता है।
  • InvITs इकाइयों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जा सकता है। जिन से इन्हें तरलता प्राप्त होती है।
  • ये बैंकों, वित्तीय संस्थानों, पेंशन फंड, बीमा कंपनियों और खुदरा निवेशकों आदि को कम जोखिम के निवेश अवसर प्रदान करते हैं।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा आयोग के रिक्त पदों के भरे जाने (31 July 2020) के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं।
स्थापना- वर्ष 1992 में- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के नाम से एक सांविधिक/ विधिक निकाय बनाया गया।

  • वर्ष 1993 में पहले वैधानिक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया और पांच धार्मिक समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सीख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया।
  • वर्ष 2014 में जैन को भी अल्पसंख्यक घोषित किया गया।
  • N.M.C में एक अध्यक्ष और 5 सदस्य होते हैं।
  • कार्यकाल- 3 वर्ष

कार्य

  • अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन।
  • अल्पसंख्यकों को प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की
  • निगरानी करना।
  • नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु आवश्यक सिफारिश।
  • नए-नए उपायों को सुझाना।

पीएम केयर्स

  • पीएम केयर्स फंड द्वारा पूरे देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर SS1 दबाव- परिवर्तन अधिशोषण ( Pressure Sueing Adsorptio- PSA) चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना हेतु धन के आवंटन को मंजूरी दी गई है।
  • दबाव- परिवर्तन अधिशोषण, अधिशोषक सामग्री से समानता तथा गैसीय वर्ग की आणविक विशेषताओं के अनुसार दबाव के माध्यम से गैसों के मिश्रण से कुछ गैसीय वर्गों को पृथक करने में प्रयुक्त की जाने वाली एक तकनीक है।
  • पीएम केयर्स फंड की स्थापना 27 मार्च 2020 को पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में की गई थी।
  • पीएम केयर्स प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से अलग है।

ग्रीन इनीशिएटिव

उद्देश्य
वनस्पति आवरण को बढ़ाना, कार्बन उत्सर्जन को कम, प्रदूषण और भूमि क्षरण को कम करना और समुद्री जीव को संरक्षित करना इत्यादि।
• 10 लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य।
• अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम के माध्यम से वैश्विक उत्सर्जन में 4% से अधिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने हेतु वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से सऊदी अरब की 50% ऊर्जा उत्पन्न की जाएगी।
मिडिल ईस्ट ग्रीन इनीशिएटिव
उद्देश्य

  • प्राकृतिक भंडार और संरक्षित भूमि के अनुपात में वृद्धि तेल उत्पादन के नियमन में सुधार स्वच्छ ऊर्जा हेतु नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों द्वारा ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देना है।
  • इससे कार्बन स्तर में 2.5% की कमी आएगी।
  • भारत विश्व में अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता में चौथे स्थान पर है।

वाहन कबाड़ नीति

  • एक ग्रेटिंग प्रदाता कंपनी क्रिसिल द्वारा केंद्र सरकार की वाहन कबाड़ नीति का विश्लेषण किया गया।
  • नई नीति के साथ समस्याएं
  • ट्रकों के लिए सीमित प्रोत्साहन और खराब लागत वाली अर्थनीति
  • पता लगाने योग्य अन्य वर्गों के वाहन की संख्या में कमी।
  • 15 साल पुरानी एक शुरुआत श्रेणी की छोटी कार को स्क्रैप करने से लगभग 70000 का फायदा होती है। जबकि उसे बेचने से ₹95000 मिल सकते हैं इसलिए यह स्क्रैप नीति आकर्षक हो जाती है।
  • इस नीति के अनुसार 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहनों तथा 20 साल से अधिक पुराने निजी वाहनों को तोड़ दिया जाएगा।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्वनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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