25 march 2021 Current affairs

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC)

● हाल ही में भारत ने जिनेवा में UNHRC के बैठक में श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर होने वाले मतदान में भाग नहीं लिया।

UNHRC के बारे में

● इसका पुनर्गठन वर्ष 2006 में इसकी पूर्ववर्ती संस्था, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रति ‘विश्वसनीयता के अभाव’ को दूर करने में सहायता करने हेतु किया गया था।
● मुख्यालय:- जिनेवा, स्वीटजरलैंड
● वर्तमान में UNHRC में 47 सदस्य हैं तथा समस्त विश्व का भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु सीटों का आवंटन प्रतिवर्ष निर्वाचन के आधार पर किया जाता है।
● प्रत्येक सदस्य 3 वर्षों के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है।
● किसी देश को एक सीट पर लगातार अधिकतम दो कार्यकाल कार्यकाल की अनुमति होती है।

दुर्लभ बीमारियों से संबंधित स्वास्थ्य नीति

●इस नीति का उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों की एक रजिस्ट्री शुरू करना है, जिसे करना है, जिसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएमआर द्वारा तैयार किया जाएगा।

इस नीति के तहत दुर्लभ बीमारियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है-

(1) एक बार के उपचार की जरूरत वाली बीमारियां
(2) दीर्घकालिक किंतु सस्ते उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियां
(3) महंगे & दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता वाली बीमारियां

वित्तीय सहायता

● एक बार के उपचार की जरूरत वाली दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों को राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के तहत 1500000 रुपए की सहायता केवल PMJAY के लाभार्थियों तक सीमित रहेगी।

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सिंधु जल आयोग

● हाल ही में ढाई साल से अधिक समय अंतराल के बाद ‘स्थाई सिंधु आयोग’ की 116वीं बैठक शुरू की गई है।

सिंधु जल संधि के बारे में

● वर्ष 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे।
● इसके अनुसार तीन पूर्वी नदियों- रावी, व्यास, सतलज के पानी पर भारत को पूरा नियंत्रण प्रदान किया गया।
● पाकिस्तान पश्चिमी नदियों- सिंधु, चेनाब तथा झेलम को नियंत्रित करता है।
● संधि के अनुसार पाकिस्तान और भारत के जल आयुक्तों को वर्ष में दो बार मिलने तथा परियोजना स्थलों और नदी पर किए जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों के तकनीक पहलुओं तकनीक पहलुओं पहलुओं के बारे में सूचित करना आवश्यक है।

स्थाई सिंधु आयोग

● इसका गठन सिंधु जल संधि 1960 के लक्ष्य को कार्यान्वित करने तथा इनके प्रबंधन करने के लिए किया गया था।
● सिंधु जल संधि के अनुसार, इस आयोग की वर्ष में कम से कम एक बार बारी-बारी से भारत और पाकिस्तान में नियमित रूप से बैठक आयोजित की जानी चाहिए।

आयोग के कार्य

● प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार तथ्यों की जांच करने के लिए नदियों के निरीक्षण हेतु एक सामान्य दौरा करना जल बंटवारे को लेकर उत्पन्न विवादों को हल करना।

जलवायु वित्त

● ये वित्त ऐसे स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण को संदर्भित करता है जो कि सार्वजनिक, निजी और वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोतों से प्राप्त किया गया हो। यह ऐसे शमन और अनुकूलन संबंधी कार्यों का समर्थन करता है जो जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्याओं का निराकरण करेंगे। UNFCCC , क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौता के तहत अधिक वित्तीय संसाधनों वाले देशों से ऐसे देशों के लिए वित्तीय संसाधन है और जो अधिक सुरक्षित है।

चुनौतियां

● जलवायु वित्त ने ज्यादा ध्यान नवीकरण ऊर्जा, हरित भवनों पर पर दिया है। कृषि, भूमि तथा जल पर कम रुचि दिखाया गया।
● GCF के तहत एकत्रित राशि केवल 10.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही जोकि रही जोकि अत्यंत कम है।
● विकसित देशों के द्वारा 75% धन का उपयोग घरेलू स्तर पर किया जाता है।

केन-बेतवा लिंक परियोजना

हाल ही में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों द्वारा केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken Betwa Link Project- KBLP) को लागू करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं, जो नदियों को आपस में जोड़ने के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan) की पहली परियोजना है।

इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को लागू करने के लिये दोनों राज्यों द्वारा विश्व जल दिवस (22 मार्च) के अवसर पर केंद्र के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु:
केन-बेतवा लिंक परियोजना (KBLP):

  • केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project- KBLP) नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना है, इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मध्य प्रदेश की केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में हस्तांतरित करना है।
  • यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के झाँसी, बांदा, ललितपुर और महोबा ज़िलों तथा मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर ज़िलों में फैला हुआ है।
  • इस परियोजना में 77 मीटर लंबा और 2 किमी. चौड़ा दौधन बांँध (Dhaudhan Dam) एवं 230 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण कार्य शामिल है।
  • केन-बेतवा देश की 30 नदियों को जोड़ने हेतु शुरू की गई नदी जोड़ो परियोजनाओं (River Interlinking Projects ) में से एक है।
  • राजनीतिक और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण परियोजना में देरी हुई है।

नदियों को जोड़ने का लाभ:

  • सूखे की घटनाओं में कमी लाना: नदियों को आपस में जोड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की पुनरावृत्ति का समाधान होगा।
  • किसानों को लाभ : इससे किसानों की आत्महत्या की दर पर अंकुश लगेगा और सिंचाई के स्थायी साधन प्रदान करके तथा भूजल पर अत्यधिक निर्भरता को कम करके उनके लिये स्थायी आजीविका सुनिश्चित करेगा।
  • विद्युत उत्पादन: बहुउद्देशीय बांँध के निर्माण से न केवल जल संरक्षण में तेज़ी आएगी, बल्कि 103 मेगावाट जल-विद्युत का उत्पादन भी होगा और 62 लाख लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति की जा सकेगी।
  • जैव विविधता का जीर्णोद्धार: कुछ विचारकों का मानना है कि पन्ना टाइगर रिज़र्व (Panna Tiger Reserve) के जल संकट वाले क्षेत्रों में बांँधों का निर्माण होने से इस रिज़र्व के जंगलों का जीर्णोद्धार होगा जो इस क्षेत्र में जैव विविधता को समृद्ध करेगा।

मुद्दे :

पर्यावरण : कुछ पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण संबंधी चिंताओं जैसे- पन्ना बाघ अभयारण्य के महत्त्वपूर्ण बाघ आवास क्षेत्र का हिस्सा इस परियोजना में आता है, के कारण राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) और अन्य उच्च अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने में हो रही देरी के कारण यह परियोजना अटकी हुई है।
आर्थिक : परियोजना के कार्यान्वयन और रखरखाव के साथ एक बड़ी आर्थिक लागत जुड़ी हुई है, जो परियोजना के कार्यान्वयन में देरी के कारण बढ़ रही है।
सामाजिक : परियोजना के कार्यान्वयन से उत्पन्न विस्थापन के कारण पुनर्निर्माण और पुनर्वास के साथ-साथ इसमें सामाजिक लागत भी शामिल होगी।

केन और बेतवा नदी:

  • केन और बेतवा नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में है, ये यमुना की सहायक नदियाँ हैं।
  • केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में यमुना नदी में मिलती है तथा बेतवा नदी से यह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले में मिलती है।
  • राजघाट, पारीछा और माताटीला बाँध बेतवा नदी पर निर्मित हैं।
  • केन नदी पन्ना बाघ अभयारण्य से होकर गुज़रती है।

छठवीं अनुसूची में शामिल क्षेत्र

● हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित करते हुए कहा है की वर्तमान में छठी अनुसूची में शामिल असम के क्षेत्रों में पंचायत चुनाव प्रणाली लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
● छठी अनुसूची स्वायत्त विकास परिषदों का गठन कर जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करती है इन स्वायत्त परिषदों को भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि तथा अन्य विषयों पर कानून बनाने तथा लागू करने का अधिकार प्राप्त होता है।
● यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रदान किए गए हैं।

 टीम रूद्रा

मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 

अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 

डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 

अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 

योगराज पटेल (VDO)- 

अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO – PCS- 2019 )

प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 

कृष्ण कुमार (kvs -t ) 

अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)

 मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)

अश्विनी सिंह – प्रतियोगी

प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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