HT ( हर्बिसाइड़ टोलरेंट ) बी०टी० कॉटन
चर्चा में क्यों
हालिया वर्षों में HT-BT कॉटन के बीच बिक्री से ज्ञात हुआ है कि इसके अवैध खेती में भारी उछाल देखा गया।
BT- काटन
- ट्रांसजेनिक फसल है।
- एकमात्र फसल ( BT) जिसे भारत में व्यवसाय कृषि की मान्यता प्राप्त है।
HT-BT कॉटन
- पौधों को हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट के लिए प्रतिरोधी बना देता है।
- कार्सिजोनिक प्रभाव के कारण मंजूरी नहीं मिली है।
HT-BT की आवश्यकता क्यों?
- लागत में कमी
- अधिक उत्पादन
- कम श्रम
- खरपतवार नासी या कीटनाशी का प्रयोग कम
जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति
- यह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत कार्य करती है।
- यह ट्रांसजेनिक फसलों की निगरानी करता है।
आगे की राह
- उचित निगरानी प्रणाली की स्थापना
- उपायुक्त दंडात्मक कार्यवाही
- केंद्र तथा राज्य सरकारों का बेहतर सहयोग।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन वैज्ञानिकों तथा पर्यावरणविदों द्वारा की जानी चाहिए।
विश्व सिकल सेल दिवस -2021
• 19 जून को जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा मनाया गया।
• संयुक्त राष्ट्र महासभा ( UNGA) ने 2008 से 19 जून को यह दिवस मनाने की घोषणा की।
सिकल सेल रोग
- वंशानुगत रक्त संबंधि रोग
- मुख्यतः अरब, अफ्रीकी और भारतीय लोगों में पाया जाता है।
- यह हीमोग्लोबिन को प्रभावित करते हैं जो शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को प्रभावित करता है।
लक्षण
- गंभीर दर्द, जिसे सिकल सेल क्राइसिस कहा जाता है।
- यह यकृत, गुर्दे, फेफड़े और प्लीहा को प्रभावित करता है।
• मंत्रालय के अनुसार यह आदिवासी समुदाय के बच्चों में फैल रहा है जिसमें SCOपीड़ित लगभग 20% बच्चों की मृत्यु 2 वर्ष के भीतर तथा 30% की मृत्यु वयस्क होने पर हो जाती है।
भारत की पहल
- SCO – सपोर्ट कार्नर
- एक्शन रिसर्च परियोजना
- विस्तारित स्क्रीनिंग
- दिव्यांग का प्रमाण पत्र ( 1 से 3 वर्ष)
ग्रीष्म संक्रांति
- 21 जून, उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है ( 14 घंटा)
- इस दिन सूर्य कर्क रेखा के ऊपर चमकता है।
चमगादड़ में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज
● हाल के एक सर्वेक्षण में महाराष्ट्र के लोकप्रिय हिल स्टेशन महाबलेश्वर की एक गुफा KI कुछ चमगादड़ प्रजातियों में निपाह वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति पाई गई है।
यह सर्वेक्षण ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (ICMR)- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) द्वारा किया गया था।
सर्वेक्षण के बारे में:
- NIV की टीम ने ‘रूसेटस लेसचेनौल्टी’ (Rousettus leschenaultii) और ‘पिपिस्ट्रेलस पिपिस्ट्रेलस’ (Pipistrellus pipistrellus ) चमगादड़ों पर अध्ययन किया जो सामान्यतः भारत में पाए जाते हैं।
- पटरोपस मेडियस चमगादड़ जो फल खाने वाले बड़े चमगादड़ हैं, जो भारत में NiV के अध्ययन के स्रोत हैं क्योंकि पिछले NiV प्रकोपों के दौरान एकत्र किये गए इन चमगादड़ों के नमूनों में NiV RNA और एंटीबॉडी दोनों का पता लगाया गया था।
- अत्यधिक उत्तेजन को सीमित करने की क्षमता के कारण एक चमगादड़ की प्रतिरक्षा प्रणाली विशेष रूप से वायरल संक्रमण का सामना करने में माहिर होती है, जो इस विशिष्ट स्तनपायी हेतु घातक हुए बिना वायरस को उत्पन्न करने देती है।
निपाह वायरस
- यह एक ज़ूनोटिक वायरस है (यह जानवरों से इंसानों में फैलता है)।
- यह पहली बार वर्ष 1998 और 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में देखा गया था।
- यह पहली बार घरेलू सुअरों में देखा गया और कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों तथा भेड़ों सहित घरेलू जानवरों की कई प्रजातियों में पाया गया।
संक्रमण
- यह रोग पटरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ या ‘फ्लाइंग फॉक्स’ के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं।
- वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार और जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
लक्षण
- मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, भटकाव, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि एन्सेफेलाइटिक सिंड्रोम सामने आते हैं।
रोकथाम
- वर्तमान में मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिये कोई टीका नहीं है। निपाह वायरस से संक्रमित मनुष्यों की गहन देखभाल की जाती है।
इबोला वायरस
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने घोषणा की है कि फरवरी 2021 में गिनी में फैले इबोला वायरस का प्रकोप अब खत्म हो गया है।
- इसकी पहली लहर 2013-2016 के दौरान इबोला के प्रकोप ने 11,300 लोगों की जान ले ली थी।
- WHO ने “2019 में वैश्विक स्वास्थ्य के लिये दस खतरे” की अपनी सूची में इबोला को भी शामिल किया।
प्रमुख बिंदु
इबोला वायरस रोग (EVD) के बारे में
- इबोला वायरस रोग (EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर, घातक बीमारी है। यह वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और मानव आबादी में मानव-से-मानव में संचरण करता है।
- इबोला वायरस की खोज सर्वप्रथम वर्ष 1976 में इबोला नदी के पास स्थित गाँव में हुई थी, जो कि अब कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में है।
- संचरण: फ्रूट बैट’ टेरोपोडीडेई परिवार (Pteropodidae family) से संबंधित है जो वायरस के प्राकृतिक वाहक (Natural Hosts) है।
- पशु से मानव संचरण: इबोला का संक्रमण उन जानवरों के रक्त, स्राव, अंगों या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों जैसे कि फ्रूट बैट, चिंपांजी, गोरिल्ला, बंदर, वन मृग या पोर्कपीस के साथ निकट संपर्क के माध्यम से मानव आबादी में फैलता है। यह वायरस बीमार या मृत अवस्था में या वर्षावनों में पाए जाते हैं।
- मानव से मानव संचरण: इबोला सीधे संपर्क (टूटी हुई त्वचा या श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से) के साथ फैलता है।
- जो व्यक्ति इबोला से बीमार है या उसकी मृत्यु हो गई है उसके रक्त या शरीर के तरल पदार्थ(जैसे रक्त, मल, उल्टी) के संपर्क में आने से फैलता है।
लक्षण~
- यह अचानक हो सकता है और इसमें शामिल हैं: बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, उल्टी, दस्त, गुर्दे का ख़राब होना और यकृत कार्य संबंधित लक्षण तथा कुछ मामलों में आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव ।
निदान
- इबोला वायरस के संक्रमण के कारण इसके लक्षणों की पुष्टि निम्नलिखित नैदानिक विधियों का उपयोग करके किया जा सकता हैं:
- एलिसा (ELISA) (antibody-capture enzyme-linked immunosorbent assay)
- रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) एक प्रयोगशाला तकनीक इत्यादि।
टीकाकरण
- एर्वेबो वैक्सीन (Ervebo vaccine ) को जाइरे के इबोला वायरस प्रजाति से लोगों की रक्षा करने में प्रभावी बताया गया है।
- मई 2020 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने 1 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिये ज़ब्डेनो-एंडमावाबिया (Zabdeno-and-Mvabea) नामक टीके के 2-घटक को विपणन प्राधिकरण देने की सिफारिश की।
उपचार~
- अमेरिका द्वारा वयस्कों और बच्चों में जाइरे इबोला वायरस संक्रमण के इलाज के लिये दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (Inmazeb and Ebanga) को मंजूरी दी गई है।
2019 में दुनिया भर में आत्महत्या : WHO
चर्चा में क्यों
हाल ही में WHO द्वारा वर्ष 2019 में दुनिया भर में आत्महत्या नामक शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।
• निराशा अथवा अवसाद के परिणाम स्वरुप किसी व्यक्ति द्वारा मरने के इरादे से स्वर्ण निर्देशित हानिकारक व्यवहार के कारण होने वाली मृत्यु की आत्महत्या कहा जाता है।
वर्ष 2019 में आत्महत्या की घटनाएं
- 2019 में लगभग 100 मृत्यु में से एक कारण आत्महत्या थी।
- आधे से अधिक वैश्विक आत्महत्या ( 58%) 50 वर्षों से कम आयु वाली थी।
- 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग की मृत्यु का चौथा कारण आत्महत्या थी।
- पिछले 20 वर्षों में आत्महत्या में 36% की कमी आई है।
भारत में आत्महत्या
- दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में भारत में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है।
- 2017 में आत्महत्या की दर 9.9 थी वहीं 2018 में 10.2 हो गई।
आत्महत्या को कम करने के लिए WHO का दिशानिर्देश
- WHO में 2030 तक आत्महत्या दर को एक 1/3 तक कम करने के लिए एक live life दिशा निर्देश जारी किया जिसमें
- आत्महत्या वाले साधनों तक पहुंच को कम करना।
- मीडिया की भूमिका
- सामाजिक भावनात्मक जीवन कौशल को बढ़ावा
- आत्महत्या विचारों से प्रभावित व्यक्तियों की पहचान कर अनुवर्ती कार्यवाही।
भारतीय पहल
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017
- किरण – Toll free helpline
- मनोदर्पण पहल।
ग्रेट बैरियर रीफ
चर्चा में क्यों
यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने सिफारिश की है कि ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ को विश्व धरोहर स्थलों की खतरे की सूची में जोड़ा जाना चाहिए।
प्रमुख बिंदु
- जलवायु परिवर्तन के कारण इसे सूची में जोड़ने की सिफारिश की गई थी।
- गंभीर हीटवेव के कारण कोरल रीफ परिस्थितिकी तंत्र को वर्ष 2015 के बाद प्रमुख विरंजक घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
- जब कोरल तापमान, प्रकाश या पोषण तो तू जैसी स्थितियों में परिवर्तन के कारण तनाव का सामना करते तो वे अपने उत्तरों में रहने वाले सहजीव , जूजैथिली को बाहर निकाल देते हैं, जिससे वे पुरी तरह सफेद हो जाते हैं। इस घटना को प्रवाल विरंजन कहा जाता है।
- यह आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर पूर्वी तट पर 1400 मिल तक फैला हुआ है।
- इसे हुआ है अंतरिक्ष से देखा जा सकता है और यह जीवो द्वारा बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
- ये समुद्री पौधों की विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाले सूक्ष्मजीव होते हैं, जो कि समुद्र में रहते हैं। चूना पत्थर ( कैल्शियम कार्बोनेट) से निर्मित इसका निचला हिस्सा ( कैल्शियम) काफी कठोर होता है, जो प्रवाल भित्तियों की संरचना का निर्माण करता है।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज
- मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज ( monoclonal antibodies) कृत्रिम रूप से निर्मित एंटीबॉडी होती है। जिसका उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली की सहायता करना है।
- प्रयोगशाला में श्वेत रक्त कोशिकाओं को एक विशेष एंटीजन के संपर्क में लाने पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज का निर्माण किया जाता है।
- यह विशेष एंटीजन प्रतिरक्षा प्रक्रिया प्रेरित करने वाले रोगाणु का प्रोटीन होता है।
गेन – ऑफ – फंक्शन रिसर्च
- gain of function research वायरस में उत्परिवर्तन का कारण बनने वाली परिस्थितियों में सूक्ष्म जीवों के बुद्धिमान प्रजनन पर केंद्रित अनुसंधान है।
- इसमें रोगाणुओं के साथ इस तरह से हेरफेर किया जाता है, की इनके लिए किसी कार्य जैसे कि प्रसार में वृद्धि, इम्यूनोजेनिसिटी, प्रतिरक्षाजनत्व आदि शामिल है।
- इस तरह के प्रयोग से वैज्ञानिकों को उभरती संक्रामक बीमारियों की बेहतर भविष्यवाणी करने और पीके और चिकित्सीय उपचार विकसित करने का अवसर प्रदान करते हैं।
जम्मू कश्मीर में परिसीमन
- जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल 6 मार्च को केंद्र शासित प्रदेश के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने के लिए जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग का गठन किया गया था।
- परिसीमन आयोग के आदेशों को कानून के समान शक्तियां प्राप्त होती हैं और इन्हें किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- परिसीमन आयोग अधिनियम 2002 के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त परिसीमन आयोग में 3 सदस्य ( उच्चतम न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश, पदेन सदस्य के रूप में नियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त अथवा इनके द्वारा नामित निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य निर्वाचन आयुक्त शामिल होते हैं) होते हैं।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।