माईलैब कोविसेल्फ
यह, हाल ही में ‘भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद’ (ICMR) द्वारा अनुमोदित भारत की पहली कोविड –19 स्व-परीक्षण (सेल्फ-टेस्टिंग) किट है।
1.इसका अर्थ है, कि कोई भी व्यक्ति खुद ही अपनी नाक से नमूनों को एकत्र कर सकता है और SARS-CoV-2 की जांच के लिए इन नमूनों का परीक्षण कर सकता है।
2.इस प्रकार की सेल्फ-टेस्ट किट को सबसे पहले, पिछले वर्ष नवंबर माह में अमेरिका ने मंजूरी दी थी। यूरोप और दक्षिण कोरिया में भी इसी तरह की किट को मंजूरी दी जा चुकी है।
कोविसेल्फ’ के बारे में
1.कोविसेल्फ’ (CoviSelf) को माईलैब डिस्कवरी साल्युशंस (MyLab Discovery Solutions) नामक पुणे स्थित एक मॉलिक्यूलर कंपनी द्वारा विकसित किया गया है।
2.इसमें ‘रैपिड एंटीजन टेस्ट’ का उपयोग किया जाता है, जिसमें वायरस की जांच करने के लिए नाक से लिए गए में नमूने का परीक्षण किया जाता है और यह 15 मिनट के भीतर परिणाम बता देता है।
3.इस परीक्षण में मुश्किल से दो मिनट का समय लगता है।
क्रियाविधि
उपयोग में आसान यह परीक्षण, माईलैब के ‘आर्टिफीसिअल इंटेलिजेंस-सक्षम मोबाइल ऐप’ के साथ जुड़ा होता है। उपयोगकर्ताओं का परीक्षण-परिणाम ‘पॉजिटिव’ आने पर इसे सीधे ICMR को भेजा जा सकता है, जहाँ से उन्हें आगे की जाने वाली कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश प्राप्त होंगे।
इसके पक्ष में तर्क
1.संक्रमण की जांच के लिए किसी अस्पताल अथवा ‘प्रयोगशाला’ जाने, या किसी तकनीशियन को घर पर बुलाने के बजाय, किसी व्यक्ति द्वारा घर पर स्वयं ही अपनी जांच करने से दूसरों में वायरस फैलने का जोखिम कम होता है।
2.इस मामले में फाहा- नमूना (Swab) लेना काफी सरल और त्वरित होता है, और इससे, परीक्षण पर होने वाले व्यय तथा ‘लैब’ में अपॉइंटमेंट बुक कराने आदि का झंझट कम होता है।
3.सेल्फ-टेस्टिंग से वर्तमान में, अपनी पूरी क्षमता के साथ 24 घंटे काम कर रही प्रयोगशालाओं पर भार कम होगा।
इसके विपक्ष में तर्क
1.इस प्रकार की गई जाचों के परिणामों की विश्वसनीयता चिंता का एक प्रमुख विषय बनी हुई है। इसमें, सही ढंग से नमूना एकत्र नहीं होने या स्वाब स्टिक के दूषित होने की संभावना अधिक होती है।
2.इसके अलावा, त्वरित एंटीजन परीक्षणों के ‘गलत – नकारात्मक’ (False Negatives) होने की संभावना अधिक होती है। यदि कोई कोविड-संक्रमित व्यक्ति लक्षणहीन (Asymptomatic) है और इसके परीक्षण का परिणाम ‘नकारात्मक’ आ जाता है, तो इससे उसे सुरक्षा की झूठी भावना मिल सकती है।
3.मोबाइल ऐप की तकनीकी त्रुटियां भी पूरी जांच और रिपोर्टिंग प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
एकल-उपयोग प्लास्टिक
- हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह विवरण दिया गया था कि एकल-उपयोग प्लास्टिक (single-use plastic) को कौन निर्मित करता है और इससे आय अर्जित करता है तथा पिछली गणना के अनुसार प्रतिवर्ष 130 मिलियन टन प्लास्टिक उत्पादन किया जाता है।
*इस रिपोर्ट का प्रकाशन ऑस्ट्रेलिया में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन मिंडेरू (Minderoo) ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान के शैक्षणिक (Academics) विभागों के साथ किया था।
प्रमुख उत्पादक - विश्व में उत्पादित एकल-उपयोग प्लास्टिक का 50% 20 बड़ी कंपनियों द्वारा बनाया जाता है।
- इसके उत्पादन में दो अमेरिकी कंपनियों के पश्चात् एक चीनी स्वामित्व वाली पेट्रोकेमिकल्स कंपनी और दूसरी बैंकॉक-स्थित कंपनी का स्थान है।
प्रमुख निवेशक - उत्पादन को बैंकों सहित वित्तीय सेवा कंपनियों द्वारा वित्तपोषित किया जाता है।
इस उद्योग में सरकारें भी बड़ी हितधारक हैं। सबसे बड़े एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक निर्माताओं में से लगभग 40% आंशिक रूप से सरकारों (चीन और सऊदी अरब सहित) के स्वामित्व में किया जाता है। - एकल-उपयोग वाला प्लास्टिक एक कुशल व्यवसाय के रूप में प्रस्थापित है तथा इसके जारी रहने का अनुमान है। अगले पाँच वर्षों में इसकी उत्पादन क्षमता में 30% वृद्धि होने का अनुमान है।
उपयोग: - इस मामले में अमीर और गरीब देशों के बीच सर्वाधिक असमानता है:
प्रत्येक वर्ष औसतन एक अमेरिकी द्वारा 50 किलोग्राम सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का उपयोग करके फेंक दिया जाता है, जबकि औसतन एक भारतीय एक अमेरिकी के बारहवें हिस्से से भी कम का उपयोग करता है।
वैश्विक पहल - यूरोपीय संघ ने वर्ष 2025 तक उपभोक्ता ब्रांडों को प्लास्टिक की बोतलों में कम-से-कम 30% पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग करने का निर्देश जारी किया।
भारतीय पहल - वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक भारत को एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से मुक्त करने हेतु देश भर में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिये एक बहु-मंत्रालयी योजना तैयार की थी।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, उत्पादों से उत्पन्न कचरे को उनके उत्पादकों और ब्रांड मालिकों को इकट्ठा करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक (Single-Use Plastics): - एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक या डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक (Disposable Plastic) ऐसा प्लास्टिक है जिसे फेंकने या पुनर्नवीनीकरण से पहले केवल एक बार ही उपयोग किया जाता है।
- एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद जैसे- प्लास्टिक की थैलियाँ, स्ट्रॉ, कॉफी बैग, सोडा और पानी की बोतलें तथा अधिकांशतः खाद्य पैकेजिंग के लिये प्रयुक्त होने वाला प्लास्टिक।
- प्लास्टिक बहुत ही सस्ता और सुविधाजनक होने कारण इसने पैकेजिंग उद्योग से अन्य सभी सामग्रियों को परिवर्तित कर दिया है, लेकिन प्लास्टिक धीरे-धीरे विघटित होता है जिसमें सैकड़ों साल लग जाते हैं।
यह एक गंभीर समस्या है। - उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्येक वर्ष उत्पादित 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे में से 43% सिंगल यूज़ प्लास्टिक है।
उपयोग - एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद संक्रमणकारी रोगों के प्रसार को भी रोकते हैं।
सिरिंज, एप्लिकेटर, ड्रग टेस्ट, बैंडेज और वार्प जैसे उपकरणों को अक्सर डिस्पोज़ेबल बनाया जाता है। - इसके अलावा खाद्य-अपशिष्टों के खिलाफ लड़ाई में भी एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों को सूचीबद्ध किया गया है, जो भोजन और पानी को अधिक समय तक ताज़ा रखता है और संदूषण की क्षमता को कम करता है।
समस्याएँ - पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होता है और आमतौर पर यह लैंडफिल में इस्तेमाल किया जाता है जहाँ यह भूमि एवं जल में प्रवेश कर धीरे-धीरे सागर में घुल जाता है।
विघटन की प्रक्रिया में यह ज़हरीले रसायनों (प्लास्टिक को आकार देने और सख्त करने के लिये इस्तेमाल होने वाले एडिटिव्स) को निष्काषित करता है जो हमारे भोजन और पानी की आपूर्ति में अपना स्थान बना लेता है।
कोविसेल्फ : सेल्फ टेस्टिंग किट
- हाल ही में कोविड -19 की जाँच के लिये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत के पहले स्व-परीक्षण (सेल्फ-टेस्टिंग) रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) को मंज़ूरी प्रदान की, जिसे कोविसेल्फ (CoviSelf) नाम दिया गया है।
- इस किट को पुणे स्थित मॉलिक्यूलर कंपनी मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशन्स (MyLab Discovery Solutions) ने विकसित किया है।
- रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) उपयोग करने के 15 मिनट के भीतर परिणाम देता है। यह परीक्षण एक मोबाइल एप CoviSelf के साथ समन्वित है, जो ICMR पोर्टल पर सकारात्मक (Positive) मामले की रिपोर्ट को सीधे फीड करने में मदद करेगा।
- ICMR ने यह परीक्षण केवल उन लोगों को करने की सलाह दी है जिनमें लक्षण हैं या वे सकारात्मक रोगियों के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के संपर्क में हैं और जिन्हें घर पर परीक्षण करने की आवश्यकता है।
- इस परीक्षण के तहत फेरीवालों, शो मालिकों या यात्रियों के लिये सार्वजनिक स्थानों पर सामान्य स्क्रीनिंग की सलाह नहीं दी जाती है।
- रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT)
यह नाक से लिये गए स्वैब (Swab) नमूने का एक परीक्षण है जो एंटीजन की पहचान करता है जो SARS-CoV-2 वायरस पर या उसके भीतर पाए जाते हैं। - यह एक प्वाइंट-ऑफ-केयर परीक्षण है, जिसका उपयोग पारंपरिक प्रयोगशाला प्रणाली के बाहर तत्काल नैदानिक परिणाम प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
- आरटी-पीसीआर (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction) की तरह रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) भी शरीर द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी (Antibodies) के बजाय वायरस का पता लगाने का प्रयास करता है।
- जबकि इसकी प्रणाली (Mechanism) भिन्न है, इन दोनों परीक्षण के मध्य सबसे प्रमुख अंतर समय का है।
- आरटी-पीसीआर परीक्षण में आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) को रोगी से एकत्र किये गए स्वैब (Swab) से निकाला जाता है फिर इसे डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिसे बाद में परिवर्द्धित (Amplified) किया जाता है।
- आरटी-पीसीआर परीक्षण में न्यूनतम 2-5 घंटे का समय लगता है, जबकि रैपिड एंटीजन टेस्ट में परीक्षण करने में अधिकतम 30 मिनट का समय लगता है।
चिंताएँ - विश्वसनीयता:
इसमें सही ढंग से नमूना एकत्र नहीं होने या स्वैब स्टिक के दूषित होने की संभावना अधिक होती है। - सुरक्षा की गलत धारणा
इसके अलावा त्वरित एंटीजन परीक्षणों के ‘गलत – नकारात्मक’ (False Negatives) होने की संभावना अधिक होती है। यदि कोई कोविड-संक्रमित व्यक्ति लक्षणहीन (Asymptomatic) है और इसके परीक्षण का परिणाम ‘नकारात्मक’ आ जाता है, तो इससे उस व्यक्ति के अंदर सुरक्षा की गलत धारणा बन सकती है। - प्रतिक्रिया उपायों को चुनौती
स्वास्थ्य पेशेवरों और प्रयोगशालाओं से व्यक्तियों के परीक्षण परिणामों की रिपोर्ट करने की ज़िम्मेदारी को स्थानांतरित किये जाने से रिपोर्टिंग में कमी आ सकती है जो संक्रमित व्यक्ति की पहचान और संपर्क के बाद संगरोध या क्वारंटाइन (Quarantine) जैसे प्रतिक्रिया उपायों को अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
ट्रांसजेंडर को तत्काल निर्वाह सहायता
कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ट्रांसजेंडर व्यक्ति को 1,500 रुपए की एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
प्रमुख बिंदु
सहायता के बारे में
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तत्काल निर्वाह सहायता प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) के माध्यम से दी जाएगी, जिसके लिये लाभार्थी राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence) में पंजीकरण करा सकते हैं।
राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD)
- NISD एक स्वायत्त निकाय है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Territory- NCT) दिल्ली सरकार के साथ 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI (Societies Act XXI of 1860) के तहत पंजीकृत है।
- यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए एक केंद्रीय सलाहकार निकाय है।
- यह सामाजिक रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान है।
- यह वर्तमान में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति रोकथाम, ट्रांसजेंडर और अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास पर केंद्रित है।
ट्रांसजेंडर से संबंधित प्रमुख पहल:
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले
राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA) बनाम भारत संघ, 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर लोगों को ‘थर्ड जेंडर’ घोषित किया था।
भारतीय दंड संहिता (2018) की धारा 377 के प्रावधानों में सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019:
- एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता है। इसमें ट्रांसमेन और ट्रांस-महिला (Transmen and Trans-Women), इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति, लिंग-क्वीर (Gender-Queers) और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति जैसे- किन्नर और हिजड़ा शामिल हैं।
- यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये एक राष्ट्रीय परिषद (National Council for Transgender persons- NCT) की स्थापना का प्रावधान करता है।
- यह अधिनियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्रमाण पत्र प्राप्त करने का अधिकार देता है।
- माता-पिता और परिवार के सदस्यों के साथ निवास का अधिकार प्रदान करता है।
- शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के खिलाफ भेदभाव को रोकता है।ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध करने पर जुर्माना के अलावा, छह महीने से दो वर्ष तक का कारावास की सज़ा हो सकती है।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल और ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृह’ की योजना है।
चीन का नया सामरिक राजमार्ग
चर्चा में क्यों
हाल ही में चीन ने भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के साथ विवादित सीमा को लेकर दूरदराज के क्षेत्रों में अपनी पहुंच को और अधिक मजबूत करने हेतु सामरिक रूप से महत्वपूर्ण राजमार्ग का निर्माण पूरा कर लिया है।
तथ्य
• यह तिब्बत के सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने के हिस्से के रूप में है।
• यह राजमार्ग ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी से होकर गुजरता है।
• यह राजमार्ग पैड टाउनशिप को न्यिगंची और मेडोग काउंटी से जोड़ता है। जिससे न्यिगंची और मेडोग काउंटी के बीच यात्रा का समय 8 घंटे कम हो जाएगा।
चीन द्वारा अन्य सामरिक निर्माण कार्य
• वर्ष 2020 रेलवे लाइन का काम शुरू किया था जो सिचुआन
प्रांत को तिब्बत में न्यिगंची से जुड़ेगा , यह रेलवे लाइन अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास है।
• वर्ष 2006 में शुरू किए गए चिंगहाई – तिब्बत रेलवे मार्ग के बाद यह तिब्बत के लिए दूसरा प्रमुख रेल लिंक है।
नए गांव का निर्माण
• जनवरी 2021 में अरुणाचल प्रदेश में बूम ला दर्रा से 5 किलोमीटर दूर चीन द्वारा 3 गांव के निर्माण किए जाने की खबरें आई थी।
• वर्ष 2020 में भूटान की सीमा के अंतर्गत 2 से 3 किलोमीटर में पांगड़ा नामक एक गांव देखा गया।
• वर्ष 2017 में TAR ( private autonomous and region) सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में 628 गांव को बसाने की योजना शुरू की गई।
भारत द्वारा उठाए गए कदम
• भारत सीमा क्षेत्र विकास ( BADP) के 10% घोष को केवल चीन की सीमा पर बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए खर्च करेगा।
• सीमा सड़क संगठन ( BRO) ने अरुणाचल प्रदेश में सुबनश्री नदी पर दापोरिजो पुल का निर्माण किया गया है।
• अरुणाचल प्रदेश में कामेंग जिले में नेचिफू में एक सुरंग की नींव रखी गई है जो यात्रा समय को कम करेगी।
• अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने चीन सीमा पर 10 शहरों के बुनियादी विकास के लिए पायलट परियोजनाओं के रूप में उन्होंने की वकालत की है।
• वर्ष 2019 में भारतीय वायु सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भारत के सबसे पूर्वी गांव विजयनगर में रनवे का उद्घाटन।
• बोगीबील पुल, जो असम को अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट से जोड़ता है। भारत का सबसे लंबा सड़क रेल पुल का उद्घाटन वर्ष 2018 में किया गया था।
सामाजिक सुरक्षा संहिता -2020
चर्चा में क्यों
अनौपचारिक कार्यबल की मदद करने में सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 की प्रभावशीलता पर कई लोगों द्वारा सवाल उठाया जा रहा है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के साथ दो अन्य पारित की गई जो –
1- व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता -2020
2- औद्योगिक संबंध संहिता- 2020
सामाजिक सुरक्षा संहिता- 2020 प्रमुख प्रावधान
• कवरेज बढ़ाया गया।
• राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण।
• सामाजिक सुरक्षा निधि
• सामान परिभाषाएं
• परामर्श का दृष्टिकोण
• व्यवसाय केंद्र
• कठोर दंड
चिंताएं
• ऑनलाइन पंजीकरण
• डिजिटल साक्षरता और कनेक्टिविटी
• अनौपचारिक क्षेत्रों में ऐसी योजनाओं को लेकर जागरूकता अभाव।
• अंतर- राज्यीय व्यवस्था और सहयोग का अभाव
• जटिल प्रक्रिया है और अतिव्यापी क्षेेत्रावाधिकार
• मातृत्व लाभ
• कर्मचारी भविष्य निधि।
• ग्रेच्युटी का भुगतान।
भारत- ओमान समझौता
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत और ओमान के सैन्य सहयोग के साथ-साथ समुद्री सुरक्षा पर भी समझौता किया है।
तथ्य
• ओमान खाड़ी देशों में भारत का रणनीतिक साझेदार है। हिंद महासागर रीम एसोसिएशन ( IORA) तथा खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) में महत्वपूर्ण वार्ताकार है।
• भारत IORA का सदस्य है परंतु GCC का नहीं।
रक्षा समझौता
• भारत के सबसे पुराने रक्षा भागीदारों में एक और समुद्री डकैती विरोधी अभियान में सहयोगी।
• भारत, ओमान की रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करता।
सैन्याअभ्यास
• सेना अभ्यास – अल नजाह
• वायु सेना अभ्यास – ईस्टर्न ब्रिज
• नौसेना अभ्यास – नसीम अल बहर
समुद्री सहयोग
• भारत अपनी तेल का 1/ 5 ओमान के हार्मुज स्ट्रेट से आयात करता है।
• ओमान द्वारा, भारतीय जहाज को दिया गया Birfe Right
• इंण्डो पेसिफिक में विकास के लिए मिलकर कार्य कर रहे।
• भारत, जिबूती में part of Dora leg में अपना अधिकार स्थापित करने सहित इस संबंध में चीन द्वारा रणनीतिक संपत्ति के अधिग्रहण से चिंतित है।
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा ( FSO , PCS- 2019 )
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
अश्वनी सिंह – प्रतियोगी
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।