12 February 2021 Current affairs

 राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (NBHM)

  चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन ,को तीन साल (2020-21 से 2022-23) के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन को स्वीकृति दी है।

  NBHM – National Beekeeping & Honey Mission

   तथ्य

  • शहद के मामले में भारत की स्थिति को सुधारने और मधुमक्खी पालन उद्योग को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन शहद मिशन की स्थापना की थी।
  • इस योजना को राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
  • एनबीएचएम का उद्देश्य ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संवर्धन और विकास है।

  अन्य सरकारी प्रयास

  • ‘हनी मिशन -‘हनी मिशन’ को गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मीठी क्रांति’ के आह्वान के साथ शुरु किया गया था
  • सरकार द्वारा दो विश्व स्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना एक एनडीडीबी, आणंद, गुजरात और दूसरी आईआईएचआर, बंगलुरू (कर्नाटक) में होगी। 

   मुख्य उपलब्धियां

  • 16 लाख हनीबी कॉलोनीज के साथ 10,000 मधुमक्खी पालकों/ मधुमक्खी पालन एवं शहद समितियां/ फर्म्स/ कंपनियां एनबीबी में पंजीकृत हो गई हैं।
  • शहद उत्पादन 76,150 मीट्रिकटन (2013-14) से बढ़कर 1,20,000 मीट्रिकटन (2019-20) हो गया है, जो 57.58 प्रतिशत बढ़ोतरी है।
  • निर्यात 28,378.42 मीट्रिकटन से बढ़कर 59,536.74 मीट्रिकटन (2019-20) हो गया है, जो 109.80 प्रतिशत बढ़ोतरी है।
  • रोल मॉडल के रूप में 16 एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्रों (आईबीडीसी) की स्थापना की गई है।

वायनाड वन्यजीव अभयारण्य 

  चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के आसपास प्रस्तावित इको-सेंसिटिव ज़ोन (Eco-Sensitive Zone-ESZ) को लेकर स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है।

   पृष्ठभूमि

  • 28 जनवरी को  इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित करने के लिए एक मसौदा अधिसूचना (Draft Notification) प्रकाशित की थी।
  • जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्रस्ताव पर जनता से आपत्ति या सुझाव आमंत्रित किए हैं। जिस पर 60 दिनों की अवधि के भीतर जनता द्वारा अपने सुझाव प्रस्तुत किए जाने हैं।
  • प्रस्तावित ईएसजेड वायनाड वन्यजीव अभयारण्य के आसपास क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को प्रभावित करेगा।

   क्या होता है ESZ?

  • पर्यावरण संरक्षण कानून,1986’ के अंतर्गत परिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील राष्ट्रीय पार्क,वन्यजीव अभयारण्य और पक्षी अभयारण्य के आस-पास के क्षेत्र को ‘इको-सेंसिटिव ज़ोन’ घोषित करता है।
  •  पहले से स्थापित औद्योगिक इकाईयों की निगरानी की जाती है।

   ESZ का महत्व?

  • यह वन्यजीव अभयारण्यों और जंगलों जैसे संरक्षित क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • इसका उद्देश्य कोर संरक्षित में मानव हस्तक्षेप के प्रभाव को कम करना है।
  • संरक्षित क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न प्रदूषण का पहुंचना कम हो जाता है।

   महत्वपूर्ण तथ्य

  • केरल का दूसरा सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है।
  • इसका क्षेत्रफल लगभग 344.44 वर्ग किमी है।
  • जंगली जानवर जैसे भारतीय बाइसन, हाथी, हिरण और बाघ यहाँ पाए जाते हैं।
  • 1973 में स्थापित।
  • वायनाड वन्यजीव अभयारण्य अब नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का एक अभिन्न अंग है।

बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 

  चर्चा में क्यों

 भारत में प्रमुख बंदरगाहों के विनियमन , संचालन और नियोजन के लिए राज्यसभा में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक , 2020 पारित किया गया है । 

  तथ्य

  • यह बिल प्रमुख बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करेगा और प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून 1963 को प्रतिस्थापित करेगा ।
  •  विधेयक के अनुसार , मौजूदा पोर्ट ट्रस्टों को प्रतिस्थापित करने हेतु प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह के लिए एक बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड गठित किया जाएगा ।
  •  बंदरगाह प्राधिकरण को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं जोकि पीपीपी वाली परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा ।
  • बंदरगाहों और पीपीपी से संबंधित रियायत पाने वालों के बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाने और संकट में पड़ी पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के लिए एक न्यायिक निर्णय करने वाला ( एडजुडीकेटरी ) बोर्ड का गठन किया जाएगा ।
  • केंद्रीय शिपिंग मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि बिल किसी भी तरह से बंदरगाहों का निजीकरण नहीं करता है । 
  • D केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2020 में विधेयक को मंजूरी दी और लोकसभा ने सितंबर 2020 में इसे पारित कर दिया था । 

      भारत में प्रमुख बंदरगाहः

  •  भारत में 13 प्रमुख बंदरगाह हैं , जिनमें से 12 सरकारी हैं और एक ( चेन्नई का एन्नोर पोर्ट ) कॉर्पोरेट है । 
  • भारत के अन्य 12 प्रमुख बंदरगाह इस प्रकार हैं : कोलकाता पोर्ट , पारादीप पोर्ट , न्यू मंगलौर पोर्ट , कोचीन पोर्ट , जवाहरलाल नेहरू पोर्ट , मुंबई पोर्ट , कांडला पोर्ट , विशाखापत्तनम पोर्ट , चेन्नई पोर्ट , तूतीकोरिन पोर्ट , मोरमुगाओ पोर्ट और पोर्ट ब्लेयर पोर्ट ।

विश्व यूनानी दिवस 

    सन्दर्भ

  • हकीम अजमल खान की जयंती मनाने के लिए हर साल 11 फरवरी को विश्व यूनानी दिवस मनाया जाता है ।
  •  यह यूनानी चिकित्सा पद्धति के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा वितरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है ।
  •  यह पहली बार 2017 में केंद्रीय अनुसंधान संस्थान यूनानी चिकित्सा ( CRIUM ) , हैदराबाद में मनाया गया था ।

    यूनानी चिकित्सा पद्धति 

  • यह ग्रीस से उत्पन्न हुआ था ।
  •  यह ग्रीक चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स और रोमन चिकित्सक गैलेन की शिक्षाओं पर आधारित है ।
  •  यह एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है , जो शरीर के सभी तंत्र और अंगों से संबंधित सभी बीमारियों का इलाज करती है । 
  • यह बीमारी के इलाज के लिए हर्बल दवाओं और विशिष्ट व्यायाम का उपयोग करता है ।

   हकीम अजमल खान 

  • वह एक प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक , विद्वान और प्रख्यात समाज सुधारक थे । 
  • विश्व यूनानी दिवस को यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है ।

हरित निर्णयों के आर्थिक प्रभाव की जांच करने हेतु नीति आयोग द्वारा एक अध्ययन

  • न्यायिक निर्णयो के अनपेक्षित आर्थिक परिणामों की जांच करने हेतु अध्ययन।
  • Consumer unity and trust society (CUTS) Center for comptetion, investment and economic regulation को अध्ययन का दायित्व सौंपा गया है। CUTS का मुख्यालय जयपुर है।

अध्ययन के लिए चुनी गई पांच परियोजनाएं निम्नलिखित हैं-

  • मोपा (गोवा में एक हवाई अड्डे का निर्माण)
  • गोवा में लौह अयस्क खनन पर रोक।
  • तमिलनाडु के थुथुकुड़ी में स्टार लाइट कॉपर प्लांट को बंद करना।
  • NGT के दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी (NCR) क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों से संबंधित निर्णय।

समय की मांग

  • न्यायपालिका के लिए मामलों का फैसला करते समय पर्यावरण इक्विटी और आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए और इसके लिए एक संस्थागत प्रणाली बनाने की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC)

  • हाल ही में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में शामिल होने की घोषणा की है।
  • UNHRC का पुनर्गठन वर्ष 2006 में इस की पूर्ववर्ती संस्था संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के प्रति ‘विश्वसनीयता के अभाव’ को दूर करने के लिए किया गया था।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में है।‌
  • वर्तमान में UNHRC में 45 सदस्य हैं, प्रत्येक सदस्य 3 वर्ष के कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया जाता है।
  • किसी देश को लगातार दो कार्यकाल (एक सीट पर) की ही अनुमति होती है।

UNHRC के कार्य- परिषद संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों की सार्वभौमिक आवाधिक समीक्षा (UPR) के द्वारा मानवाधिकार संबंधी विषयों पर गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित करता है तथा उल्लंघन पर जांच की देखरेख करता है।

चुनौतियां व सुधार की आवश्यकता है

  • इसके सदस्य देश जैसे चीन, सऊदी अरब, रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड इस परिषद के उद्देश्य के अनुरूप नहीं हैं जिस कारण इसकी प्रासंगिकता विवादास्पद बनी हुई है।
  • UNHRC की कार्यवाहियो के संदर्भ में गैर अनुपालन एक गंभीर मुद्दा है।
  • अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र की गैर-भागीदारी।

असम चाह बगीचार धन पुरस्कार मेला योजना

  • हाल ही में असम के गुवाहाटी में इस योजना के तीसरे चरण का आयोजन किया गया।

योजना

  • इस योजना की शुरुआत 2017-18 में असम सरकार द्वारा की गई थी।
  • उद्देश्य– चाय बागान क्षेत्रों में लोगों को बैंक खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित करना है।
  • योजना के तहत चाय समुदाय श्रमिकों के बैंक खातों में 2500 ₹ प्रदान किए जाएंगे।

पात्रता

1- असम के निवासी।

2- BPL श्रेणी के अंतर्गत आने वाली महिलाएं।

भारत में चाय उत्पादन

  • वैश्विक निर्यात में 14% की भागीदारी।
  • देश में उत्पादित कुल चाय का 20% निर्यात।
  • विश्व में भारत सबसे बड़ा उपभोक्ता, दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक व चौथा सबसे बड़ा निर्यातक।
  • चाय की खेती असम, दार्जिलिंग, दक्षिण भारत (नीलगिरी पहाड़ियां) हिमालय का तराई क्षेत्र।
  • उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु का पौधा।
  • तापमान- 20 डिग्री-30 डिग्री सेंटीग्रेड
  • वर्षा- 150-300 सेंटीमीटर वार्षिक
  • मृदा- अम्लीय व भुरभुरी उप मृदा।

क्लीन फ्यूल हाइड्रोजन

  • IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने औद्योगिक खपत के लिए कम लागत, स्वक्ष हाइड्रोजन ईंधन उत्पन्न करने हेतु सल्फर-आयोडीन थर्मोकेमिकल हाइड्रोजन चक्र (SI Cycle) के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया द्वारा जल को सफलतापूर्वक विभाजित किया है।
  • सामान्यत: SI Cycle मैं ऑक्सीजन से हाइड्रोजन के पृथक्करण के लिए गैर-नवीकरणीय स्रोतों जैसे- कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस की तुलना में उच्च मात्रा में ताप की आवश्यकता होती है। यह हाइड्रोजन गैस के बड़े पैमाने पर उत्पादन को आर्थिक रूप से गैर व्यवहार्य और पर्यावरण के प्रतिकूल बनाता है।
  • गहन ऊर्जा, सल्फर डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन के लिए प्रतिकूल सल्फ्यूरिक अम्ल का रूपांतरण संक्षारक कदम के रूप में उपयुक्त उत्प्रेरक डिजाइन का विकास किया जाना मुख्य उपलब्धि रही।

सल्फर आयोडीन त्रि चरणीय धर्मोकेमिकल चक्र

I चरण- l2+SO2+2H2O= 2HI + H2SO4

II चरण- 2H2SO4= 2SO2+ 2H2O + O2

III चरण- 2HI = I2+ H2

खोज का महत्व

  • हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी को बढ़ावा।
  • पेरिस जलवायु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखने में 

इंधन के रूप में हाइड्रोजन के लाभ

  • पर्यावरण के अनुकूल
  • नॉन टाॅक्सिक
  • अत्यधिक कुशल क्योंकि इसमें डीजल/गैस की तुलना में प्रत्येक Pound इंधन बहुत अधिक ऊर्जा क्षमता होती है।
  • आदर्श अंतरिक्षयान इंधन

हाइड्रोजन गैस से खतरा

  • गंदहीन और रंगहीन, जिससे रिसाव का पता लगाना दुर्गम हो जाता है।
  • हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील और वाष्पशील पदार्थ है, संभावित खतरे के रूप में ढुलाई तथा भंडारण की गंभीर चुनौती देखी जाती है।

 टीम रूद्रा

  • मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs ) 
  • अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता) 
  • डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या 
  • अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर) 
  • योगराज पटेल (VDO)- 
  • अभिषेक कुमार वर्मा (प्रतियोगी)
  • प्रशांत यादव – प्रतियोगी – 
  • कृष्ण कुमार (kvs -t ) 
  • अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
  •  मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
  • प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।

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