हिंदी साहित्य का इतिहास

हिंदी साहित्य का इतिहास

TET में हिंदी के पाठ्यक्रम
1- व्याकरण
2- सामान्य हिंदी
3- काव्यशास्त्र
4- हिंदी साहित्य का इतिहास
हिंदी साहित्य का इतिहास
हिंदी साहित्य में घटने वाली घटनाओं, कवियों एवं उनकी रचनाओं को क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित करना हिंदी साहित्य का इतिहास कहलाता है।
हिंदी साहित्य इतिहास लेखन की परम्परा
• हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ किसके द्वारा लिखा गया – गार्सा द तासी
• पहले इतिहास ग्रंथ का नाम क्या था – इस्त्वार-द-ला-लितरेत्यूर एन्दुई ए एन्दुस्तानी’

• पहले इतिहास ग्रंथ की भाषा है – फ्रेंच
परम्परा
• हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ विद्वान गार्सा द तासी महोदय ने ” इस्त्वार-द-ला-लितरेत्यूर- एन्दुई-ए – एन्दुस्तानी ” नाम से फ्रेंच भाषा में लिखा।
वर्णानुक्रम पद्धति ( अल्फाबेट मेथड) कबीर कुंवर नारायण
• हिंदी भाषा में हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास शिव सिंह सेंगर द्वारा ” शिव सिंह सरोज ” के नाम से लिखा गया।
• वास्तविक अर्थों में हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास जॉर्ज ग्रियर्सन महोदय ने ” द मॉडर्न वर्नाक्यूलर लिटरेचर हिंदुस्तान ” नाम से लिखा। जो अंग्रेजी भाषा में था । बंगाल के ” एशियाटिक सोसाइटी ” पत्रिका के अतिरिक्तांक के रूप में लिखा।

मिश्र बंधु

श्याम बिहारी मिश्र

सुखदेव बिहारी मिश्र

गणेश बिहारी मिश्र
मिश्र बंधु विनोद
• 1913 ईस्वी में प्रकाशित हुआ।
• 5000 कवियों का वर्णन किया है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
• 1893 ईस्वी में काशी में ” काशी नागरी प्रचारिणी सभा “
• 1929 ईस्वी में काशी नागरी प्रचारिणी सभा बनारस द्वारा प्रकाशित कराए जा रहे ग्रंथ ‘ हिंदी शब्द सागर ‘ भूमिका के रूप में शुक्ल जी का इतिहास ग्रंथ ” हिंदी साहित्य का विकास” यह नाम से लिखा गया । बाद में काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने इस भूमिका को स्वतंत्रता पुस्तकाकार रूप में ” हिंदी साहित्य का इतिहास ” के नाम से प्रकाशित कराया।
• शुक्ला जी का इतिहास ग्रंथ अब तक का सबसे चर्चित इतिहास ग्रंथ है।
• डॉ रामकुमार वर्मा – हिंदी साहित्य का लोचनात्मक इतिहास

• गणपति चंद्रगुप्त – हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास
• नलिन विलोचन शर्मा – हिंदी साहित्य का इतिहास दर्शन
• पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी – हिंदी साहित्य विमर्श हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामांकरण
काल विभाजन ( आचार्य रामचन्द्र शुक्ल)
शुक्ल जी ने संपूर्ण हिंदी साहित्य इतिहास को चार भागों में बांटा।
1- वीरगाथा काल ( आदिकाल) – 1050 से 1375 विक्रम संवत
2- भक्ति काल – 1375 से 1700 विक्रम संवत
3- रीतिकाल – 1700 से 1900 विक्रम संवत
4- आधुनिक काल – 1900 विक्रम संवत से अब तक

आदिकाल – (1050 से 1375 विक्रम संभव)
आदिकाल का नामकरण -:

  • जार्ज ग्रियर्सन – चारण काल
  • मिश्र बंधुओं – आरंभिक काल
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल – वीरगाथा काल
  • डॉ रामकुमार वर्मा – वीरगाथा काल
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी – बीजवपन काल
  • राहुल सांस्कृत्यायन – सिद्ध सामंत काल ( दोहरा नामकरण किया)
  • आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी – आदिकाल ( सर्वमान्य हुआ)
  • डॉ राम कुमार वर्मा – संधि काल व चारण काल
  • डॉक्टर धीरेंद्र वर्मा – अपभ्रंश काल
  • डॉ गणपति चंद्रगुप्त – प्रारंभिक काल
  • विश्वनाथ प्रसाद मिश्र – वीर काल
  • सुमन राजे – आधार काल
    आदिकाल का विभाजन
    1- रासो साहित्य ( वीर रस प्रधान)
    2- धार्मिक साहित्य ( सिद्ध,नाथ, जैन)
    3- अन्य कवि
    विद्यापति अमीर खुसरो। रासो साहित्य
    वह साहित्य जो वीर रस प्रधान है तथा चारण कवियों द्वारा लिखा गया है।
    प्रमुख रासो ग्रंथ
    1- पृथ्वीराज रासो
    कवि – चंद्रवरदाई
    नायक – पृथ्वीराज चौहान
    नायिका – संयोगिता
    विभाजन – 69 समय में
    • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने पृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कथा चंद्रवरदाई को प्रथम महाकवि माना है।
    • वीर रस व श्रृंगार रस में।

2- बीसलदेव रासो
कवि – नरपति नाल्ह
नायक – विसलदेव/विग्रहराज
नायिका – राजमती ( भोजराज की पुत्री)
• इस ग्रंथ में विग्रहराज व राज मती के विवाह उनके बिछड़ने व उनके पुनर्मिलन की कथा है।
• बीसलदेव रासो श्रृंगार रस प्रधान एकमात्र रासो ग्रंथ है।
• इसमें वियोग वर्णन हेतु बारहमासे का प्रयोग है। जो कार्तिक माह से प्रारंभ होता है।
• आषाढ़ में पद्मावत शुरू होता है।

3- परमाल रासो
कवि – जगनिक
नायक – आल्हा रुदल
रस – वीर रस
• सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथ।

भक्ति कालीन धार्मिक साहित्य
आदि काल में भारतीय समाज में सिद्ध, नाथ व जैन संप्रदाय अधिक प्रभावि थे।
• आदिकाल में सबसे पहले सिद्धांत के रूप में सरहपा का नाम लिया जाता। अन्य नाम सरोजवज्र, राहुलभद्र, सरहपाद
• राहुल सांकृत्यायन के अनुसार सरहपा हिंदी के प्रथम कवि हैं।
• सरहपा की रचना दोहा कोश ( फुटकल दोहो का संग्रह) है।
• समय 769 इसवी है।
• देवसेना कृत ” श्रावकाचार ” को हिंदी का पहली रचना माना गया।
अन्य प्रमुख सिद्ध कवि – कण्हपा, लुईपा, शबरपा, डोम्भिपा।

नाथ साहित्य
• सिद्धों की परम्परा
• संप्रदाय के संस्थापक – गोरखनाथ जी
• गोरखनाथ जी के गुरु – मत्स्येंद्रनाथ या मछन्दरनाथ
• गोरखनाथ जी ने साधना के साथ ही साथ नाथ संप्रदाय में योग मार्ग का मिश्रण किया।
• नाथो का प्रभाव पश्चिमी भारत पर था।
• सिद्धों का प्रभाव पूर्वी भारत पर था।
• नाथों की संख्या 9 और सिद्धों की संख्या 84 है।

जैन संप्रदाय
जो महावीर स्वामी के अनुयाई थे उन्हें जैन कहां गया।
• आदिकाल के सर्वप्रथम जैन आचार्य स्वयंभू हैं।
• स्वयंभू की रचना- उपमचरिउ
• उपमचरिउ मैं पांच कांड म राम कथा वर्णित है। अरण्यकांड और किष्किंधा कांड को छोड़कर 5 कांड इसमें शामिल है।
• कुछ कांड के नाम बदल दिए गए हैं।
• बाल कांड का नाम विद्याधर कांड।
• अब्दुर्रहमान की रचना – संदेश रासक ( विक्रमपुर की वियोगिनी की कथा है)
• आदिकाल का एक अन्य चित्रित ग्रंथ बसंत विलास है। इसमें बसंत ऋतु का स्त्री पर प्रभाव वर्णित है।
• आदिकाल में सर्वाधिक चर्चित जैन संप्रदाय रहा है।
• पुष्पदंत – महापुराण

विद्यापति
• मिथिला के निवासी
• अन्य नाम – मैथिल कोकिल,
• 2 राजाओं के दरबार में रहे – शिव सिंह एवं कीर्ति सिंह
• रचनाएं – कीर्तिलता, कीर्तिपताका, पदावली ( विद्यापति की पदावली)
• रामचंद्र शुक्ल जी ने विद्यापति को श्रृंगारी कवि कहा है।

अमीर खुसरो
• एटा जिले के पटियाली गांव के निवासी थे।
• वास्तविक नाम – अबुल हसन
• गुरु – निजामुद्दीन औलिया
• अमीर खुसरो ने स्वयं को तूती- ए – हिंद ( हिंद का तोता) कहा।
• अपनी भाषा को हिन्दवी कहा।

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