भाषा – भाषा शब्द भास् धातु से बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ “विचार प्रकट करना” हैं।
मूल भाषा संस्कृत है।
विचार – मनुष्य के मन की अध्वन्यात्मक इकाई होती है। या मनुष्य के मन का वह भाव जिसमें आवाज नहीं होता।
- विचारों का आदान-प्रदान जिस माध्यम से होता है उसे भाषा कहते हैं।
- भाषा एक ऐसे साधन है जिसके द्वारा एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह, जो एक दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह तक अपने विचारों का आदान-प्रदान/विचार विनियम /विचार-विमर्श करता है।
भाषा की विशेषताएं
- भाषा अर्जित संपत्ति है – व्यक्ति समाज में रहकर बोलना सीखता है बोलने की योग्यता जन्मजात होती है, लेकिन क्या बोलना है कैसे बोलना है कब बोलना है यह सब व्यक्ति समाज में रहकर सीखता है या अनुकरण करता है।
- भाषा एक सामाजिक प्रक्रिया है – भाषा को हम एक ही दिन में नहीं सीख/बोल सकते यह धीरे-धीरे समाज में रहकर आती है।
भाषा का अंतिम स्वरूप नहीं होता है – हिंदी का विकास 1050 विक्रम संवत माना जाता है। यदि किसी भाषा का अंतिम स्वरूप होता तो वह परिवर्तित होता ही नहीं होता।
भाषा परिवर्तनशील है – इसमें सुधार हो सकता है।
भाषा का मानक रूप होता है – व्याकरण और लिपि होती है ।
कटिन से सरल की तरफ अग्रसर होती है – जब सीखेंगे तो सरल होती जाएगी।
भाषा को सीखने के लिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
किसी व्यक्ति को भाषा सीखने के लिए तीन प्रकार की योग्यता होनी चाहिए।
(i) जिज्ञासा
(ii) अनुकरण
(iii) अभ्यास
थार्नडाइक ने कहा है “घोड़े को आप पानी तक तो ले जा सकते हैं लेकिन पानी वह तभी पिएगा जब घोड़ा चाहेगा “
भाषा का विकास क्रम ( व्यक्ति में)
सुनना – बोलना – पढ़ना – लिखना
- मारिया मांटेसरी ने सुनना, बोलना, लिखना, पढ़ना बताया है।
भाषा के प्रकार
(i) मौखिक भाषा
(ii) लिखित भाषा
(iii) सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा – जब व्यक्ति अपने विचार का आदान-प्रदान बोलकर करता है और सामने वाला उन्हें सुनकर ग्रहण करता है। जैसे – रेडियो से समाचार सुनना, नेता द्वारा सभा संबोधित करना, टेलीफोन पर बात करना।
लिखित भाषा – जब व्यक्ति अपने विचार का आदान-प्रदान लिखकर करता है और सामने वाला उसे पढ़कर ग्रहण करता है। जैसे – पत्र पत्रिकाएं, पाठ्य – पुस्तकें, समाचार – पत्र
सांकेतिक भाषा – जब व्यक्ति अपने विचारों का आदान-प्रदान न तो बोल कर करता है और न ही लिखकर करता है केवल इशारे से करता है। जैसे – मैच के अंपायर, रेफरी, यातायात पुलिस।
- सबसे सरल भाषा में मौखिक भाषा होती है क्योंकि उच्चारित शब्द / वर्णों का अर्थ सामने वालें के सुनकर आ जाता है।
- सबसे कठिन भाषा सांकेतिक भाषा होती है क्योंकि संकेत निश्चित नहीं होते हैं।
- लिखित भाषा सरल और कठिन दोनों होता है। रॉकी जो पढ़े होंगे उनके लिए सरल और जो निरक्षर होंगे उनके लिए कठिन होगा।
गाड़ियों का हार्न बजाना , सड़क किनारे बने संकेत चिन्ह, चिड़ियों का चहचहाना, पटाखे की आवाज, सिटी की आवाज ये सांकेतिक भाषा होते हैं क्योंकि जब तक हमें सार्थक वाणी का उच्चारण सुनने को नहीं मिले वह सांकेतिक भाषा होंगे।
हिंदी का ऐतिहासिक स्वरूप
- जगत जननी भाषा संस्कृत को कहा जाता है।
- संस्कृत का रूप (i) वैदिक रूप (ii) लौकिक रूप
- वेदों, पुराणों और उपनिषदों को जिस में लिखा गया है वह वैदिक रूप में है।
- लोगों द्वारा बोले जाने वाली संस्कृत लौकिक रूप में है।
- भाषा के लौकिक रूप में परिवर्तन होता है।
- लौकिक रूप में लिखे गए ग्रंथ – रामायण, महाभारत
- अलौकिक रूप में धीरे-धीरे परिवर्तित होकर पाली भाषा आया।
- पढ़ने और लिखने में कठिन था इसलिए इसका विकास नहीं हुआ।
- पाली भाषा से एक नई भाषा का जन्म हुआ प्राकृत भाषा। प्राकृत भाषा का धीरे-धीरे रूप बदला और दूसरी भाषा का जन्म हुआ अपभ्रंश भाषा। अपभ्रंश भाषा का एक रूप है शौरसेनी अपभ्रंश और इसी से हिंदी का जन्म हुआ है।
भौगोलिक दृष्टिकोण से
- हिंदी भारत में मध्य भाग ( गंगा, का मैदानी भाग) में बोली जाती है। राजस्थान,झारखंड बिहार ,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा छत्तीसगढ़ दिल्ली अंडमान निकोबार।
संवैधानिक रूप से
भारत के संविधान में अनुसूची-8 में 22 भाषाओं का उल्लेख उसमें एक भाषा हिंदी है।
- सुविधा हिंदी को राजभाषा का दर्जा देता है। ( भाग-17, अनुछेद 343-351)
बोली या भाषा – दोनों ही विचार अभिव्यक्ति के साधन है। दोनों में क्षेत्र का अंतर होता है। बोली का क्षेत्र छोटा होता है जैसे-जैसे बोली का क्षेत्र व्यापक होता चला जाता है वह भाषा हो जाता है।
मातृभाषा – वह भाषा जो जन्म लेने वाली माता के मुख से सीखते हैं वह मातृभाषा होती है। मातृभाषा सबसे सम्मानित भाषा होती है इस भाषा का विकास परिवार और समाज से होता है विचार अभिव्यक्ति की सबसे सशक्त भाषा होती है।
राजभाषा – किसी भी देश की प्रशासन की भाषा होती है हमारे देश की राजभाषा हिंदी है।
राष्ट्रभाषा – किसी देश की अधिकांश या संपूर्ण जनता द्वारा प्रयोग किए जाने वाले भाषा को राष्ट्रभाषा कहते हैं।