सतत विकास-
“अंतिम वृक्ष को काट लिए जाने के बाद……
अंतिम नदी को विषाक्त करने के बाद……..
अंतिम मछली पकड़ लिए जाने के बाद……
हम पाएंगे कि पैसे को खाया नहीं जा सकता है।”
सतत विकास की आवश्यकता को बेहतर ढंग से निरूपित करती यह पंक्तियां यह संदेश देती हैं की आर्थिक प्रगति तभी संपोषणीय हो सकती है जब पर्यावरण और विकास में बेहतर संतुलन हो।
पर्यावरणीय संसाधनों का अति दोहन तथा जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व स्तर पर घटित होने वाले चरम घटनाओं के कारण सतत विकास का मुद्दा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का विषय बना है। सतत विकास शब्द का प्रयोग पहली बार IUCN ने अपनी रिपोर्ट “विश्व संरक्षण रणनीति”में किया था।
WECD (World Commision On Environment And Development) ने “our common future” नामक रिपोर्ट में SDG को परिभाषित किया। इस रिपोर्ट के अनुसार सतत विकास ऐसा विकास है जो आने वाली पीढ़ियों के हितों से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकता को पूरा करता है। उल्लेखनीय है कि our common future को ब्रटलैंड रिपोर्ट (1987) भी कहा जाता है।
सतत विकास के उद्देश्य
1- गरीबी निवारण एवं सतत विकास
2- पर्यावरणीय अनुकूलन मानव गतिविधियां
3- ऊर्जा दक्षता
4- प्राकृतिक एवं मानव निर्मित संसाधनों का संरक्षण
5- उत्पादन अवसरों का विकास
6- नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भरता
सतत विकास के मूलभूत विचार
1- नवीकरणीयता
2- प्रतिस्थापन
3- अंतर निर्भरता
4- अनुकूलनशीलता
5- संसाधन प्रतिबद्धता
सतत विकास के मानक
- अंतरपीढ़ीगत समता
- अन्तरापीढ़ीगत समता
- वहन क्षमता
सतत विकास प्राप्त करने के लिए रणनीतियां
1- ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोत जैसे- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 2015, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा
2- स्वच्छ घरेलू इंधन जैसे- प्रधानमंत्री उज्जवल योजना
3- पारंपरिक ज्ञान एवं व्यवहार
4- जनसंख्या वृद्धि को कम करना
5- पर्यावरण हितैषी नवीन तकनीकी का उपयोग जैसे- मिशन इनोवेशन 2015
पारिस्थितिकी संरक्षण- उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित सतत विकास लक्ष्य के 17 लक्ष्यों एवं 169 उपलक्ष्यों में ऊपर बताए गए सतत विकास से संबंधित मूलभूत विचारों, मानकों तथा युक्तियों को यथोचित स्थान दिया गया है जैसा कि सतत विकास के 17 लक्ष्यों को देखने से स्पष्ट होता-
1- NO POVERTY
2- ZERO HUNGER
3- GOOD HEALTH AND WELL BEING
4- QUALITY EDUCATION
5- GENDER EQUALITY
6- CLEAN WATER AND SANITATION
7- AFFORDABLE AND CLEAN ENERGY
8- DECENT WORK AND ECONOMIC GROWTH
9- INDUSTRY INNOVATION AND INFRASTRUCTURE
10- REDUCED INEQUALITIES
11- SUSTAINABLE CITIES AND COMMUNITIES
12- RESPONSIBLE CONSUMPTION AND PRODUCTION
13- CLIMATE ACTION
14- LIFE BELOW WATER
15- LIFE ON LAND
16- PEACE JUSTICE AND STRONG INSTITUTION
17- PARTNERSHIPS FOR THE GOLS
सतत विकास लक्ष्य में उल्लेखित लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने के लिए एक रूपरेखा तैयार किया है। सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के क्रम में नीति आयोग के संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर भारत की प्राथमिकताओं के अनुरूप अपना सूचकांक सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक तैयार किया है। जिसके अंतर्गत उन्होंने इस वर्ष सतत विकास लक्ष्य के 17 में से 16 लक्ष्य को शामिल किया है। नीति आयोग ने विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन को आधार बनाते हुए उन्हें अग्रलिखित वर्गों में स्थान दिया है।
आकांक्षी- 0-4
परफार्मर- 50-64 बिहार (50)
फ्रंटरनर- 65-99
अचीवर- 100
इस वार्षिक आकलन के पीछे नीति आयोग ने दो उद्देश्य को चिन्हित किया है-
1- सतत विकास लक्ष्य के प्रगति में राज्यों की स्थिति का आकलन
2- इसके माध्यम से राज्यों के मध्य विकास की दिशा प्रतिस्पर्धा और परस्पर सहयोग को बढ़ाना।
इसी तरह भारत सरकार ने पर्यावरणीय अधिनियम 2006 जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NACCC-2008) तथा अनेक कल्याणपरक योजना के माध्यम से भारत सरकार सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में तेजी से काम कर रही हैै।
निष्कर्ष- सतत विकास लक्ष्य वर्तमान मानव सभ्यता के लिए एक अनिवार्य लक्ष्य होना चाहिए। हर व्यक्ति के सतत विकास लक्ष्य के विषय में समझ होनी चाहिए और यह संकल्प लेना चाहिए कि हमें जिस हालत में पृथ्वी मिली है उससे बेहतर हालत में भविष्य की पीढ़ियों के लिए छोड़ कर जाना है।