रूसी भूगोलवेत्ता

रूसी भूगोलवेत्ता

रूसी भूगोलवेत्ता

परिचय-
रूस विश्व का विशालतम आकार वाला देश है। इसके विभिन्न भागों में प्रकार की भौगोलिक विशेषताएं पायी जाती हैं। इन विविधताओं तथा रूस के विविध क्षेत्रों में स्थित संसाधनों के वाणिज्यिक उपयोग को दृष्टिगत रखते हुए रूस में भूगोल का विकास विज्ञान के रूप में हुआ। रूस के सम्राट पीटर महान एवं उसके पश्चात हुए भौगोलिक सर्वेक्षण एवं मूल्यांकन में भूगोल के विकास में उल्लेखनीय भूमिका अदा की। रूसी विज्ञान अकादमी द्वारा विश्व में सबसे पहले भूगोल की एक स्वतंत्र विभाग के रूप में स्थापना की।
सोवियत रूस के प्रमुख भूगोलवेत्ता-
•लोमोनोसोव
•डोकुचायेव
•गैरासिमोव
•अनुचिन
•पीटर क्रोपोत्किन
•वाइकोव
•अलेंक्सिबले
•सेमेनोव

रूसी भूगोलवेत्ताओं के योगदान को अग्रलिखित शीर्षकों के द्वारा समझा जा सकता है।
1-समग्र विज्ञान के रूप में भूगोल – रूस में भूगोल का विकास समग्र विज्ञान के रूप में हुआ। वहां कभी भी द्वैतवाद की समस्या उत्पन्न नहीं हुई। अनुचिन एकीकृत भूगोल के समर्थक थे।
2- मार्क्सवादी भूगोल- रूस में भौगोलिक चिंतन का मूल आधार मार्क्सवादी विचारधारा रही है। मार्क्सवादी चिंतन की मूल मान्यता यह है कि समस्त भौगोलिक समस्याओं का समाधान मार्क्सवादी विचारधारा के आधार पर किया जा सकता है। मार्क्सवाद समस्त आर्थिक सामाजिक संबंधों को निर्धारित करने में आर्थिक व्यवस्था को प्रमुख कारण मानते हैं।

भौतिक भूगोल- रूस की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण रूस में भौतिक भूगोल का पर्याप्त विकास हुआ। लोमोनोसोव, वाइकोव, पीटर क्रोपोत्किन रूस के प्रमुख भूगोलविद है। लोमोनोसोव संसार के प्रथम भू आकृति विज्ञानी थे। इन्होंने अंर्तजनित एवं वहिर्जनित शक्तियों को सम्मिलित प्रभाव से स्थल रूपों के विकास का होना बताया। आइसवर्ग(ICEBERG) के विषय में पहली बार उन्होंने जानकारी दी।

पारिस्थितिकी भूगोल- वर्तमान रूसी भूगोलवेत्ता पर्यावरण समस्याओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वे समाज एवं प्रकृति के मध्य संबंधों को खोजने प्रयत्नशील है।

आर्थिक भूगोल- चुकी रूसी भूगोलवेत्ता मार्क्सवादी चिंतन के अनुयायी थे। इसलिए वे समस्त नीतियों का केंद्र बिंदु अर्थव्यवस्था को मानते हैं। सर्वप्रथम लोमोनोसोव सोवियत रूस में आर्थिक भूगोल के विस्तृत अध्ययन को आरंभ कराया। लोमोनोसोव ने Economic geography शब्द का प्रयोग किया। लेनिन को आर्थिक निश्चयवादी माना जाता है।

व्यावहारिक भूगोल- रूस में भूगोल का आधार कभी भी सैद्धांतिक नहीं रहा। वहां सदैव व्यवहारिक पक्ष को महत्व प्रदान किया गया। रूस में द्वैतवाद की समस्या उत्पन्न ना होने का एक मुख्य कारण व्यवहारिक भूगोल ही था।

प्रादेशिक भूगोल- रूस में आर्थिक विकास के उद्देश्य से नियोजन प्रदेशों पर विशेष बल दिया है। यही कारण था कि प्रदेश एवं प्रादेशिकरण को भौगोलिक अध्ययन के प्रमुख विषय वस्तु के रूप में शामिल किया गया।

अन्य-
डोकुचेमोव ने “zone and space in time” सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इन्होंने ही “integrated natural complex”के अध्ययन का विचार सर्वप्रथम संसार के समक्ष रखा। इसके अंतर्गत उन्होंने बताया कि प्रकृति के तत्व निरंतर आपस में प्रतिक्रिया करते हैं। अलेक्सविले के अनुसार “भूगोल संबंधों के संबंध का विज्ञान है।”
गैरासिमोन ने “complex integral region”की संकल्पना का प्रतिपादन किया।
उल्लेखनीय है कि सोवियत संघ में समस्त पृथ्वी के अध्ययन को Zemlevedenive तथा प्रादेशिक अध्ययन को landshoftovedenige कहा जाता है।


पारिस्थितिकी भूगोल- वर्तमान रूसी भूगोलवेत्ता पर्यावरण समस्याओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वे समाज एवं प्रकृति के मध्य संबंधों को खोजने प्रयत्नशील हैं।

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