प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत
( Plate tectonic theory)
यह सिद्धांत भूगर्भिक समस्याओं के समाधान के संदर्भ में क्रांतिकारी साबित हुआ क्योंकि प्रायः सभी प्रकार की धार्मिक क्रियाओं की व्याख्या की जा सकती है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का विकास 1960 के दशक में विभिन्न भूगोलवेत्ताओं एवं वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से हुआ। जिसमें यह माना गया कि स्थलमंडल अधिक घनत्व के प्लास्टिक दुर्बलता मंडल के ऊपर स्थित है लेकिन स्थिर अवस्था में यह कई भूखंडों में विभक्त है,जिनमें गति पाई जाती है और इन्हें प्लेट कहते हैं।
- प्लेटो की विभिन्न प्रकार की घटनाओं के कारण प्लेटो के सीमांत भाग में विभिन्न प्रकार की भूगर्भिक क्रियाएं घटित होती हैं। महाद्वीप एवं महासागर का निर्माण वलित पर्वत, ज्वालामुखी, भूकंप, दर्द जैसी विविध भूगर्भिक क्रियाएं प्लेटो की गतिशीलता से ही घटित होती है।
- यह सिद्धांत महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत तथा हैरी हेस के 1960 के सागर नितल प्रसरण सिद्धांत पर आधारित है। सिद्धांतों के आधार पर यह धारणा विकसित हुई कि स्थलमंडल महाद्वीपीय एवं महाद्वीपीय सागरीय गतिशील भूखंडों में विभक्त है।इसके लिए प्लास्टिक दुर्बल मंडल से उत्पन्न संवहनी उर्जा तरंगों को उत्तरदाई माना गया।
- 1965 में ट्रोजो विल्सन ने सर्वप्रथम प्लेट शब्द का इस्तेमाल किया। मोरगन ने 1968 में प्लेट विवर्तनिकी से संबंधित विभिन्न कार्यों को सैद्धांतिक रूप से प्रस्तुत किया।इसके साथ ही विभिन्न भूगर्भिक क्रिया की व्याख्या इस सिद्धांत के द्वारा की जाने लगी।
- स्थल मंडल में स्थित प्लेट महाद्वीपीय, महासागरीय तथा महाद्वीपीय सह महासागरीय प्रकार के होते हैं। इन प्लेटो में सापेक्षिक गतियां पाई जाती हैं। इसी कारण प्लेटों के सीमांत भाग में विविध प्रकार की भूगर्भिक क्रिया के घटित होती हैं। इस प्रक्रिया में प्लेटो का निर्माण एवं विनाश दोनों होता है।इन्हीं कारणों से प्लेटो की संख्या परिवर्तित होती रहती है।
- एक वृहद प्लेट विखंडित होकर कई छोटे प्लेटों में विभक्त हो सकता हैसाथ ही कई छोटे प्लेट संयुक्त होकर एक बड़े प्लेट में परिवर्तित हो सकते हैं।
- NASA नेम प्लेट की संख्या से संबंधित अपने अध्ययन में 100 से अधिक प्लेटों का होना स्वीकार किया है। इसमें सात बड़े प्लेट महत्वपूर्ण है।सामान्यतः अधिकांश भूगर्भिक क्रियाएं उन प्लेटों के सीमांत भाग में ही घटित होती हैं। प्लेटो की गतिशीलता और घनत्व भूगर्भिक क्रियाओं को व्यापकता से प्रभावित करता है।
- महासागरीय प्लेट बेसाल्ट चट्टानों की प्रधानता के कारण सर्वाधिक घनत्व ( 2.96 g/cm3) की होती है। तथा महाद्वीपीय प्लेट ग्रेनाइट की प्रधानता के कारण कम घनत्व ( 2.68 g/cm3) होता है।
- प्रशांत महासागर की प्लेट एक मात्र वृहत सागरी प्लेट है। अन्य सभी प्लेटो मैं महाद्वीप एवं महासागर दोनों के भाग सम्मिलित हैं। प्रमुख प्लेटों में 7 प्लेट निम्न है।
1- प्रशांत प्लेट
2- उत्तरी अमेरिकन प्लेट
3- दक्षिणी अमेरिकन प्लेट
4- अफ्रीकन प्लेट
5- यूरेशियन प्लेट
6- भारतीय प्लेट या इंदौर ऑस्ट्रेलियन प्लेट
7- अंटार्कटिका प्लेट।
इसके अलावा कई छोटे प्लेट हैं इनमें फिलीपींस प्लेट, अरेबियन प्लेट, कैरीबियन प्लेट, कोकोस प्लेट (पनामा के पास) ,नजका प्लेट(पेरू के पास), स्कोशिया प्लेट ( अर्जेंटीना के दक्षिण में), सोमाली प्लेट,वर्मी प्लेट इत्यादि।
इन प्लेटो के संदर्भ में ही भूगर्भिक क्रियाएं घटित होती हैं, जिसे प्लेटो की सापेक्षिक गतियों के संदर्भ में समझा जा सकता है। प्लेटो की गति तीन प्रकार की होती है।
1- अपसारी गति ( divergent motion)
2- अभिसारी गति ( convergent motion)
3- संरक्षी गति( Conservation motion)
1- अपसारी गति
( divergent motion)
अब सारी प्लेट गति के कारण जब दो प्लेटें विपरीत दिशा में विस्थापित होती हैं तब अपसारी सीमांतों के सहारे विखंडन,विस्थापन और उत्पन्न दरार के सहारे भूगर्भ के मैग्मा के सत्ता पर आने से ज्वालामुखी क्रिया घटित होती है।
भूगर्भिक काल में पंजीया का क्रमिक विखंडन, विस्थापन,महाद्वीपों का निर्माण और सागर नीतल एवं सागरों की उत्पत्ति इसी प्रक्रिया से हुई है।
- वर्तमान में यह क्रिया अटलांटिक महासागर के मध्यवर्ती भाग में घटित हो रही है, यहां स्थित मध्य अटलांटिक कटक अपसारी सीमांत पर ही स्थित है।
मध्यवर्ती कटक के क्षेत्र में प्लेटो के अपसारी गति के कारण मैग्मा के उदगार से कई सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते हैं। इन कारणों से यहां भूकंप की भी उत्पत्ति होती है। यह विश्व का तीसरा प्रमुख भूकंप एवं ज्वालामुखी क्षेत्र हैं।
अपसारी सीमंतो के सहारे जब नवीन मैग्मा का उद्गार होता है तब सतह पर जमने से बेसाल्ट की नवीन भूपटल की उत्पत्ति होती है, इसी कारण अब सारी सीमाओं को रचनात्मक या निर्माणकारी सीमांत कहते हैं। सागर नितल के बेसाल्ट की सतह की उत्पत्ति इसी प्रक्रिया से हुई जब सागर निकल के अब अपसारी सीमान्तों के सहारे नवीन मैग्मा का उद्गार होता है तब पहले से स्थित/निर्मित बेसाल्ट की सतह को यह विखंडित कर विस्थापित कर देता है। इस प्रक्रिया के क्रमिक रूप से घटित होते रहने के कारण सागर नितल की चौड़ाई में क्रमिक वृद्धि होती रहती हैं, इसे सागर नितल प्रसरण (museums floor spreading) कहते है।
मध्य अटलांटिक कटक के दोनों ओर सागर नेतल की चौड़ाई में वृद्धि इस प्रक्रिया से ही हो रही है। इसी सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य 1960 में हेरी हेस द्वारा किया गया था। जो प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का आधार भी बना।
2- अभिसारी गति ( convergent motion)
- अभिसारी प्लेट गति में दो प्लेट एक- दुसरे की ओर गति करती है, फल स्वरुप अभिसरण करता है और अभिसारी सिम आंतों के सहारे विभिन्न भूगर्भिक क्रियाएं घटित होती हैं, जिनमें भूकंप, वलित पर्वतों की उत्पत्ति, ज्वालामुखी क्रिया तथा ट्रेंच का निर्माण प्रमुख है।
- अभिसारी सीमान्तों के सहारे जब दो समान घनत्व की प्लेटों में अभिसरण की क्रिया घटित होती है, तब बालन की क्रिया दोनों प्लेटों के सीमांत भागों में घटित होती हैं। लेकिन जब दो भिन्न घनत्व की प्लेटों में अभिसरण की क्रिया घटित होती है तब कम घनत्व के प्लेट में प्रत्यावर्तन/क्षेपण की क्रिया होती है, इसके कारण ही भूगर्भिक क्रियाएं घटित होती हैं।
- विश्व के प्रायः सभी नवीन वलित पर्वत अभिसारी प्लेटों के सीमान्तोंं के सहारे कम घनत्व के प्लेट में बलन से ही उत्पन्न हुए हैं। प्रत्यावर्तन के कारण प्रत्यावर्ती प्लेट के सहारे ट्रेंच का निर्माण होता है।सागरीय प्लेटों के साथ सीमांत भागों में महासागरीय ट्रेंस के पाए जाने के यही कारण है। प्रत्यावर्ती प्लेट नीचे जाते हुए दूसरे प्लेट से घर्षण करता है, जिससे तीव्र भूकंप उत्पन्न होते हैं, ढाल युक्त क्षेत्र को बेनी आफ जोन कहते हैं।
- बेनी आफ जोन आगे अधिक तापमान के कारण प्रत्यावर्ती प्लेट का सीमांत भाग पिघलने लगता है। अर्थात प्लेट सीमांत का विनाश होता रहता है। इसी कारण अभिसारी सीमांतों को विनाशात्मक सीमांत कहते हैं।
- अब सारी सीमांत ओके जिस अनुपात में नवीन भूपटल का निर्माण होता है उसी अनुपात में अभिसारी सिम आंतों के सहारे भूपटल का विनाश होता है और एक संतुलन की दशा बनी रहती हैं।
- प्रत्यावर्ती प्लेट के अधिक गहराई पर प्लास्टिक दुर्बल मंडल में पिघलने के कारण मैग्मा के एकत्रित होने से मैग्मा का प्रवाह सतह की ओर होने लगता है। इस स्थिति में यदि यह सतह को तोड़ पाने में सक्षम होता है तब यहां ज्वालामुखी क्रिया घटित होती है। वलित पर्वतों के क्षेत्र में ज्वालामुखी पाए जाने के यही कारण है।
- विश्व में लगभग 80 से 85% ज्वालामुखी अभिसारी सीमांतों के क्षेत्र में ही मिलते हैं।
संरक्षी गति
( Conservation motion)
संरक्षी गति के कारण दो प्लेटेंएक दूसरे के समानांतर और विपरीत भी विस्थापित होती है, यह प्लेटो की अपसारी एवं अभिसारी गति का ही परिणाम होता है, इस स्थिति में ले तू के सीमांत भाग में निर्माण कार्य एवं विनाशकारी क्रियाएं घटित नहीं होती हैं, इसी कारण इसे संरक्षी सीमांत कहते हैं।
इसके सहारे भूकंप उत्पन्न होते हैं तथा रूपांतरण भ्रंश का निर्माण होता है।
कैलिफोर्निया के पास सान एण्डियांश भ्रंश इसी प्रकार का है।
अस्पष्टता: पृथ्वी पर घटित होने वाली अधिकांश भूगर्भिक क्रियाएं प्लेटो के सीमांत भाग पर ही घटित होती है।
इन क्रियाओं को ही विवर्तनिकी क्रिया करते हैं। प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत द्वारा विभिन्न भूगर्भिक समस्याओं का सर्वाधिक वैज्ञानिक समाधान प्रस्तुत किया जा सकता है। इसी कारण भू भौतिकी के क्षेत्र में इसे एक क्रांतिकारी सिद्धांत माना जाता है।हालांकि इस सिद्धांत में भी कई वैज्ञानिक समस्याएं बनी हुई है जो एक शोध का विषय है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत की चुनौतियां/सीमाएं/कमियां
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत हालांकि विभिन्न भूगर्भिक क्रियाओं की व्याख्या करने में सक्षम है लेकिन कई वैज्ञानिक कमियां एवं चुनौतियां भी बनी हुई है।
- इस सिद्धांत का मूल आधार प्लेटो की गतिशीलता को सुदूर संवेदी तकनीक से भी प्रमाणित किया जा चुका है।लेकिन इसके लिए उत्तरदाई कारकों की वैज्ञानिक व्याख्या स्पष्ट नहीं हो पाई है। प्लेटो की सापेक्षिक गति का कारण प्लास्टिक दुर्बल मंडल से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा तरंगों को माना जाता है। लेकिन इन उत्तरदाई शक्तियों का अंकन या मापन यांत्रिक विधि से नहीं हो पाई है और यह भू भौतिकी के नियम एवं तर्क पर आधारित है अतः इस दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।
- इस सिद्धांत की एक प्रमुख कमी प्लेटो की विरोधी गति की व्याख्या में असमर्थता है। बड़े प्लेट की गति की दिशा के विरोधी गति उसमें स्थिति छोटे प्लेटों में पाई जाती है।यदि तापीय ऊर्जा तरंगे ही इसके लिए उत्तरदाई है तब एक ही प्लेट के आंतरिक भाग में स्थित प्लेटों में विरोधी गति की उत्पत्ति की कारणों की व्याख्या इसमें नहीं हो पाती है।
- जैसे- भारतीय लेट में उत्तर की तुलना में उत्तर पूर्व की ओर गति अधिक पाए जाने की व्याख्या नहीं हो पाती है।इसी तरह प्रशांत प्लेट पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों सीमांत ऊपर अभिसारी सीमेंट का निर्माण करती है।यदि ऐसा है तो प्रशांत प्लेट में विखंडन होना चाहिए और मध्य में कटक जैसी स्थल आकृतियां मिलनी चाहिए लेकिन यहां अटलांटिक महासागर के समय मध्यवर्ती कटक नहीं पाए जाते हैं।
- अटलांटिक महासागर में मध्यवर्ती कटक के सहारे सागर नितल में प्रसार हो रहा है। लेकिन प्रत्यावर्तन के क्षेत्र अटलांटिक में कम मिलते हैं जबकि प्रशांत में अ
- प्रशांत में यदि कटक प्रसार के क्षेत्र का अभाव है तब प्रत्यावर्तन के क्षेत्र में भी कम होने चाहिए थे।एक प्रकार से कटक प्रसार के क्षेत्र एवं प्रत्यावर्तन के क्षेत्र में संतुलन दृष्टिगत नहीं होता है।
उपरोक्त वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत द्वारा नहीं हो पाया और यही इस सिद्धांत का आलोचना का कारण भी है।