पाठ 4. जलवायु

पाठ 4. जलवायु

  मुख्य बिन्दु 

  •  मौसम तथा जलवायु के तत्त्व जैसे – तापमान वायुमंडलीय दाब पवन आद्रता तथा वर्षण एक ही होते है । मानसून शब्द कि व्युत्पत्ति अरबी शब्द मौसम से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है मौसम ।
  •  मानसून का अर्थ एक वर्ष के दौरान वायु कि दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन है । 
  •  भारत कि जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है । इस प्रकार कि जलवायु मुख्यतः दक्षिण तथा दक्षिण – पूर्व एशिया में पाई जाती है । 
  • किसी भी क्षेत्र कि जलवायु को नियत्रित करने वाले छ : प्रमुख कारक हैं – अक्षांश तुंगता ( ऊंचाई ) वायु दाब एवं पवन तंत्र समुंद्र से दुरी महासागरीय धाराएँ तथा उच्चावच लक्षण | 
  •  महासागरीय धाराएँ समुन्द्र से तट कि ओर चलने वाली हवाओ के साथ तटीय क्षेत्रों कि जलवायु को प्रभावित करती है उदाहरण के लिए कोई भी तटीय क्षेत्र जहाँ गर्म या ठंडी जलधाराएँ बहती है और वायु कि दिशा समुंद्र से तट कि ओर हो तब वह तट गर्म या ठंडा हो जाएगा । 
  • देश का लगभग आधा भाग कर्क वृत के दक्षिण में स्थित है जो उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र है । कर्क वृत के उत्तर में स्थित शेष भाग उपोष्ण कटिबन्धीय हैं । 
  •  भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है इसकी औसत ऊंचाई लगभग 6,000 मीटर है । 
  • भारत का तटीय क्षेत्र भी विशाल है जहाँ अधिकतम ऊँचाई लगभग 30 मीटर है । भारत में जलवायु तथा संबधित मौसम अवस्थाएँ निम्नलिखित है : –

 ( i ) वायु दाब एवं धरातलीय पवनें 

( ii ) ऊपरी वायु परिसंचरण 

( iii ) पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एवं उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात 

कोरिआलिस बल : – पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिआलिस बल कहते है इस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर विक्षेपित हो जाती है इसे फेरेल का नियम भी कहा जाता हैं । 

जेट धारा : – ये एक संकरी पट्टी में क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊँचाई 12,000 मीटर से अधिक वाली पश्चिमी हवाएं होती हैं इनकी गति गर्मी में 110 कि.मी. प्रति घंटा एवं सर्दी में 184 कि.मी. प्रति घंटा होती हैं ।

  •  बहुत – सी अलग – अलग जेट धाराओं को पहचान गया है । उनमें सबसे स्थिर मध्य अक्षांशीय एवं उपोष्ण कटिबंधीय जेट धाराएं हैं । 
  • जेट धाराएँ लगभग 270 से 300 उत्तर अक्षांशों के बीच स्थित होती हैं इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएं कहा जाता है । 
  • पूर्वी जेट धारा जिसे उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धारा कहा जाता है गर्मी के महीनों में प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर लगभग 140 उत्तरी अक्षांश में प्रवाहित होती है । दाब कि अवस्था में परिवर्तन का सबंध एलनीनो से है।

    ‌‌  एलनीनो : – ठंडी पेरू जलधारा के स्थान पर अस्थायी तौर पर गर्म जलधारा के विकास को एलनीनो का नाम दिया गया है । 

  •  एलनीनो स्पैनिश शब्द है जिसका अर्थ होता है बच्चा तथा जो कि बेबी क्राइस्ट को व्यक्त करता है , क्योंकि यह धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है । एलनीनो कि उपसिथति समुंद्र कि सतह के तापमान को बढ़ा देती है । 
  •  मानसिराम विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है तथा स्टैलेकरमाईट एवं स्टैलेकटाइट गुफाओं के लिए परसिद्ध है ।

Q2 . निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए ।

 प्रश्न -1  भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन – कौन से कारक हैं ? 

 उत्तर : ( 1 ) अक्षांश ( 2 ) ऊँचाई ( 3 ) वायुदाब एंव पवन तंत्र ( 4 ) समुद्र से दुरी ( 5 ) महासागरीय धाराएँ ( 6 ) उच्चावच लक्षण |

 प्रश्न-2  भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है ? 

 उत्तर : भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु के निम्नलिखित कारण हैं 

 ( i ) भारत की जलवायु मानसूनी पवनों से बहुत अधिक प्रभावित है । मानसून का प्रभाव उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में लगभग 20 ° उत्तर एवं 20 ° के बीच रहता है ।

 ( ii ) स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की विभेदी प्रक्रिया के कारण भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है , जबकि इसके आस – पास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता है ।

( iii ) ग्रीष्म ऋतू के दिनों में अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है ।

 ( iv ) हिन्द महासागर में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 20 ° दक्षिण अक्षांश के ऊपर उच्च दाब वाला क्षेत्र होता है । इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय मानसून को प्रभावित करती है ।

 ( v ) ग्रीष्म ऋतू में हिमालय के उत्तर – पश्चिमी जेट धाराओं का तथा भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है । 

( vi ) एलनीनो दक्षिणी दोलन की घटना सक्रीय रहती है । 

प्रश्न -3 भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों ? 

उत्तर : भारत के पर्वतीय भाग , पठारी भाग तथा कुछ उतरी मैदानी भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है । इसके निम्नलिखित कारण है।

( i ) इस भाग से कर्क वृत गुजरता है । देश का लगभग आधा 3भाग कर्क वृत के दक्षिण में स्थित है , जो उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र है ।

 ( ii ) समुद्र से दुरी होने के कारण इस क्षेत्र का दैनिक तापमान दिन में काफी बढ़ जाता है जबकि रात में अपने न्यूनतम स्तर पर होता है । यहाँ दैनिक तापान्तर भी अधिक होता है ।

 ( iii ) कर्क वृत के उत्तर में स्थित शेष भाग उपोष्ण कटिबंधीय है । इस वृत के आस पास दिन में तापमान अधिक होता है ।

प्रश्न -4  किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है ? 

उत्तर : मालाबार तट केरल के दक्षिणी तटीय तथा पूर्वी तटीय भाग है जहाँ दक्षिणी – पश्चिमी मानसूनी पवनों के कारण यहाँ भारी वर्षा होती है । 

 प्रश्न – 5 जेट धाराएँ क्या हैं तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती हैं ?

 उत्तर : जेट धाराएँ एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमंडल में 12000 मी 0 से अधिक ऊँचाई पर प्रवाहित पश्चिमी हवाएँ होती हैं । ये लगभग 27 ° से 30 ° उत्तर अक्षांशो के बीच स्थित होती है । इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ भी कहा जाता ( i ) भारत में ये जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतू को छोड़कर पुरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में प्रवाहित होती है । 3 ( ii ) इस पश्चिमी प्रवाह के कारण देश के उत्तर तथा पश्चिमी भाग में पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ आते है । ( ii ) गर्मियों में , सूर्य की आभासी गति के साथ ही उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ हिमालय के उत्तर में चली जाती है ।

 प्रश्न -6 मानसून को परिभाषित करें । मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तर : एक वर्ष के दौरान वायु की दिशा में ऋतू के अनुसार परिवर्तन को मानसून कहते है । मानसून में विराम एक परिघटना है जिसमें मानसूनी वर्षा एक समय में कुछ दिनों तक ही होती है । इनमें वर्षा रहित अंतराल भी होते हैं जब वर्षा में विराम आ जाता है । इसमें दो अवस्थाएँ होती है एक गर्त अक्ष मैदान क्र ऊपर होता जब वर्षा होती है दूसरी जब वर्षा रुक जाती है । यह तब होता है जब अक्ष हिमालय के समीप चला जाता तब मैदानों में समय तक शुष्क अवस्था रहती है । इसे ही मानसून में विराम कहते है ।

 प्रश्न -7  मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला क्यों समझा जाता है ? 

 उत्तर : ( i ) भारत का प्रत्येक भाग चाहे वो जम्मू – कश्मीर से तमिलनाडू हो या गुजरात से पूर्वोत्तर भारत हो सभी मानसून का बेसब्री से प्रतीक्षा करते है । यह उनके जान – जीवन से जुड़ा चीज है ।

          ( ii ) मानसून की प्रत्येक स्थितियां जैसे मानसून का समय से आना , समय से पहले चले जाना , लम्बे समय तक रहना , अचानक गायब हो जाना आदि यहाँ के लोगों के जान जीवन को प्रभावित करता है । ( li ) भारत में वर्षा के जल का वितरण और कृषि प्रक्रिया पूर्णत : मानसून पर निर्भर है यही कारण है कि मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला समझा जाता है ।

 Q3 . उत्तर – भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा क्यों घटती जाती है ? 

 उत्तर : उत्तर – भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटने का निन्मलिखित कारण है । ( i ) भारत में वर्षा का वितरण मुख्यतः देश के आकार द्वारा नियंत्रित होती है । यह पवनों के प्रवेश और मार्ग पर निर्भर करता है । ( ii ) दक्षिणी – पश्चिमी मानसून बंगाल की खाड़ी से प्रवेश कर भारत उतरी पूर्वी भाग में अधिक वर्षा लाती है , यह अपने साथ अधिक मात्रा में जलवाष्प और नमी लाती है । आगे बढ़कर जब यह उत्तर – पश्चिम की ओर जाती है तो जलवाष्प और नमी की मात्रा घटती जाती है । जिससे इन क्षेत्रों में वर्षा कम होता है ।

 Q4 . कारण बताएँ । 

( i ) भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन क्यों होता है ?

 उत्तर : भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन के निम्नलिखित कारण है ।  विभिन्न मौसमों में वायु दाब और पवन तंत्र भिन्न होता है । शीत ऋतू में हिमालय के उत्तर में उच्च दाब होता है । इस क्षेत्र की ठंडी शुष्क हवाएँ दक्षिण में निम्न दाब वाले महासागरीय क्षेत्र के ऊपर बहती है ।

 ( ii ) ग्रीष्म ऋतू में , आंतरिक एशिया एवं उत्तर – पूर्वी भारत के ऊपर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसके कारण गर्मी दिनों में वायु की दिशा पूरी तरह से परिवर्तित हो जाती है । ( iii ) वर्षा ऋतू में , दक्षिण में हिन्द महासागर के उच्च दाब वाले क्षेत्र से बहते हुए वायु भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थित निम्न दाब की ओर बहने बहने लगती है जिसे दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी पवनें कहा जाता है । यही कारण है कि वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन होते रहते है । 

( ii ) भारत में अधिकतर वर्षा कुछ ही महीने होती है ? 

उत्तर : भारत में वर्षा का प्रमुख कारण यहाँ बहने वाली मानसूनी पवनें होती हैं जो वर्ष के कुछ ही महीने जून से सितम्बर तक ही बहती है । ( ii ) इन महीनों में भारत का स्थलीय भाग बहुत गर्म होता है और महासागरीय भाग कम गर्म होता है जिससे हिन्द महासागर के ऊपर उच्च दाब उत्पन्न होता है और वायु के इस उच्च दाब से इस उपमहाद्वीप के स्थल के निम्न दाब की ओर बहने के कारण यह अपने साथ बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प और नमी लाती है जो इन दिनों में वर्षा का प्रमुख कारण होती है।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

 प्रश्नः जलवायु किसे कहते है ?

 उत्तर : एक विशाल क्षेत्र मे लम्बे समय तक समयाविधि ( 30 वर्ष से अधिक ) में मौसम की अवस्थाओ का कुल योग ही जलवायु है ।

 प्रश्न : मानसून किसे कहते है ?

उत्तर– मानसून का अर्थ है एक वर्ष के दोरान वायु कि दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन है । 

प्रश्नः मौसम और जलवायु के मुख्य अव्यय कौन – कौन से है ? 

उत्तर– ये तत्व है : – 1. तापमान 2. वायुमंडलीय दाब 3. पवन 4. आर्द्रता 5. वृष्टि । प्रश्न : भारत कि जलवायु को मानसूनी जलवायु क्यों कहा जाता है ? 

उत्तर– भारत कि जलवायु को मानसूनी जलवायु कहने के निम्नलिखित कारण है : 1. भारत 200 उ और 200 द के बिच उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है ।

 2. भारत का उतर कि और आधा भाग उपोषण क्षेत्र में पड़ता है । यहाँ उतर पूर्वी व्यापारिक पवने बहती है । 

3. यहाँ दाब और सतही पवने उपरितन संचार पश्चिमी विक्षोभ और उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की दशाएँ है ।

 4. यहाँ एल नीनो दक्षिणी दोलन की घटना सक्रिय रहती है । 

प्रश्न : भारत के कौन से स्थान में विश्व की अधिकतम वर्षा होती है ? 

उत्तर– असम राज्य के मसिंरम में | 

प्रश्न : भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक कौन – कौन से है ? 

उत्तर– भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित है : ( 1 ) अक्षांश ( 2 ) ऊँचाई ( 3 ) वायुदाब एव पवन तंत्र ( 4 ) समुद्र से दूरी ( 5 ) महासागरीय धाराएँ ( 6 ) उचचावल लखण 

प्रश्न : भारत में जलवायु संबंधित मौसमी अवस्थाएँ किन वायुमंडलीय अवस्थाओ से संचालित होती है ? 

उत्तर– भारत में जलवायु संबंधित मौसमी अवस्थाएँ निम्नलिखित वायुमंडलीय अवस्थाओ से संचालित होती है : ( 1 ) वायुदाब एव धरातलीय पवने ( 2 ) ऊपरी वायु परिसंचरण ( 3 ) पश्चिमी चक्रवाती विक्षोब एंव उष्णकटिबंधीय चक्रवात |

 प्रश्न : कोरिआलिस बल क्या है ? 

उत्तर– पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिआलिस बल कहते है । 

प्रश्नः जेट धाराएँ कितने डिग्री अक्षांशो के बीच स्थित होती है ? 

उत्तर -270 से 300 अक्षांशो के बीच । 

प्रश्नः जेट धाराएँ क्या है ? ये भारत की जलवायु को किस तरह प्रभावित करती है ? उत्तर– ये क्षोभमंडल में 12000 मीटर कि ऊँचाई पर प्रभावित पवने है । वस्तुतः ये अत्याधिक ऊँचाई पर बहने वाली पश्चिमी जेट पवने है । ग्रीष्म में इनका वेग लगभग 110 किलोमीटर प्रति घंटा और शीत ऋतू में इनका वेग 184 किलोमीटर प्रति घंटा रहता है । ये मध्य अक्षांश तथा उपोष्ण क्षेत्र के ऊपर चलती रहती है । ये धाराएँ 270 से 300 उतर अक्षांश में बहती है । ये पश्चमी विक्षोभ को उत्पन्न करती है । ऐसे विक्षोभ भारत के उतर और उतरी – पश्चिमी भागो में बनते है । इन्हें उपोष्ण जेट धाराएँ कहा जाता है ।

प्रश्न : जेट धाराएँ क्या है ? 

उतर– ये एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमंडल अत्याधिक ऊँचाई वाली पश्चिमी हवाएं है । प्रश्नः पश्चिमी चक्रवात विक्षोभ क्या है ?

 उतर– सर्दी के महीनो में उत्पन्न होने वाला पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ भूमध्य सागरीय क्षेत्र से आने वाली पश्चिमी प्रवाह के कारण होता है । इन्हें ही पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ कहते है । 

प्रश्रः मानसून का प्रवाह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में लगभग कितना रहता है ?

 उत्तर– मानसून का प्रवाह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में लगभग 20 ° उतर एव 200 दक्षिण के बीच रहता है । 

प्रश्न : अंतः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है ?

 उत्तर– विषुवतीय अक्षांशो में विस्तृत गर्त एव निम्न दाब के क्षेत्र को ही अंत : उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र कहते है । 

प्रश्नः एलनीनो किसे कहते है ?

 उत्तर – ठंडी पेरू जल धारा के स्थान पर स्थाई तौर पर गर्म जल धारा के विकास को एलनीनो कहते है । 

प्रश्न : भारत में जलवायु का आगमन कब होता है ?

 उत्तर– भारत में जलवायु का आगमन जून के आरंभ से लेकर मध्य सितम्बर के बीच होता है ।

 प्रश्न : कल वैसाखी किसे कहते है ? 

उत्तर– तीव्र हवाओ के साथ गरज वाली मुसलाधार वर्षा भी होती है तथा इसके साथ प्रायः हिमवृष्टि भी होती है । वैशाख के महीने में होने के कारण इसे कल वैशाखी कहते है । 

प्रश्नः पश्चिमी विक्षोभ क्या है ? 

उत्तर– ये पश्चिमी और पूर्वी जेट धाराओ द्वारा लगाये गए विक्षोभ है , ये देश के उतर और उतर – पश्चिमी भागो में अपना प्रभाव डालते है ।

 प्रश्न : भारत के द्वीप समूहों में कब वर्षा होती है ?

 उतर– अप्रैल के प्रथम सप्ताह में यह मई माह के प्रथम सप्ताह तक वर्षा प्राप्त करते है ।  प्रश्न : भारत की जलवायु कैसी है ? 

उत्तर : भारत की जलवायु को मानसूनी जलवायु है । 

प्रश्न : मानसूनी जलवायु विश्व के किन भागों में पाई जाती है ?

 उत्तर : मानसूनी जलवायु जलवायु मुख्यतः दक्षिण तथा दक्षिण – पूर्व एशिया में पाई जाती है । 

प्रश्न : भारत जलवायु समान्य प्रतिरुप में एकरूपता होते हुए भी देश की जलवायु – अवस्था में प्रादेशिक भिन्नताएँ हैं । स्पष्ट कीजिए ।

 उत्तरः ( 1 ) गर्मियों में , राजस्थान के मरुस्थल में कुछ स्थानों का तापमान लगभग 50 ° से ° तक पहुँच जाता है , जबकि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में तापमान लगभग 20 ° से रहता है । सर्दी की रात में , जम्मू – कश्मीर में द्रास का तापमान .45 ° से . तक हो सकता है , जबकि तिरुवनंतपुरम् में यह 20 ° से हो सकता है ।

प्रश्न : किसी क्षेत्र की जलवायु को नियंत्रण करने वाले कारकों के नाम लिखिए । 

उत्तर : ( i ) अक्षांश : पृथ्वी के गोलाई के कारण , पृथ्वी पर पड़ने वाली सौर ऊर्जा की मात्रा अक्षांशों के अनुसार अलग – अलग होती है । तापमान विषुवत वृत से ध्रुवों की ओर घटता जाता है । 

( ii ) तुंगता ( ऊँचाई ) : जब कोई व्यक्ति पृथ्वी की सतह से ऊँचाई की ओर जाता है , तो वायुमंडल की सघनता कम हो जाती है तथा तापमान घट जाता है । इसलिए पहाड़ियाँ गर्मी के मौसम में भी ठंडी होती हैं । 

( iii ) वायु दाब एवं पवन तंत्र : किसी भी क्षेत्र का वायु दाब एवं पवन तंत्रा उस स्थान के अक्षांश तथा ऊँचाई पर निर्भर करती है । इस प्रकार यह तापमान एवं वर्षा के वितरण को प्रभावित करता है । 

( iv ) समुद्र से दुरी : समुद्र का जलवायु पर समकारी प्रभाव पड़ता है , जैसे – जैसे समुद्र से दुरी बढती है यह प्रभाव कम हो जाता है एवं लोग विषम मौसमी अवस्थाओं को महसूस करते है ।

 ( v ) महासागरीय धाराएँ : महासागरीय धाराएँ समुद्र से तट की ओर चलने वाली हवाओं के साथ तटीय क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित करती हैं । उदाहरण के लिए , कोई भी तटीय क्षेत्रा जहाँ गर्म या ठंडी जलधाराएँ बहती हैं और वायु की दिशा समुद्र से तट की ओर हो , तब वह तट गर्म या ठंडा हो जाएगा ।

 ( vi ) उच्चावच लक्षण : ऊँचे पर्वत ठंडी अथवा गर्म वायु को अवरोधित करते हैं । यदि उनकी ऊँचाई इतनी हो कि वे वर्षा लाने वाली वायु के रास्तों को रोकने में सक्षम होते हैं , तो ये उस क्षेत्रा में वर्षा का कारण भी बन सकते हैं । पर्वतों के पवनविमुख ढाल सूखे रहते हैं । प्रश्न : महाद्वीपीय अवस्था से आप क्या समझते हैं ? 

उत्तरः समुद्र का जलवायु पर समकारी प्रभाव पड़ता है , जैसे – जैसे समुद्र से दुरी बढती है यह प्रभाव कम हो जाता है एवं लोग विषम मौसमी अवस्थाओं को महसूस करते है । इसे महाद्वीपीय अवस्था कहते हैं |

Leave a Reply