आधुनिक भौगोलिक अध्ययन में जर्मन भूगोलवेत्ताओं का अग्रणी स्थान रहा है। हम्बोल्ट , रिटर , रैटजेल जैसे महान भूगोलवेत्ता जिन्होंने भूगोल को एक विषय के रूप में पहचान दिलाया वे जर्मनी के ही थे। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि भौगोलिक अध्ययन में जर्मन भूगोलवेत्ताओं के योगदान को जाने बिना हमारा ज्ञान भूगोल के संदर्भ में अपूर्ण रहेगा।
प्रमुख जर्मन भूगोलवेत्ता
हम्बोल्ट, रिटर , रैटजेल , ऑस्कर पेशेल , रिचथोफेन , ऑटो श्ल्यूटर , कार्ल ट्राल , अल्ब्रेक्ट पेंक , वाल्थर पेंक, हुबर , क्रिस्टालर ,लाश , वान थ्युनेन , पश्शार्गे , सुपन ।
हम्बोल्ट
परिचय – अलेग्जेंडर वान हम्बोल्ट शास्त्री युग (Classical Age) के महान भूगोलवेत्ता थे। आधुनिक भूगोल की स्थापना में हम्बोल्ट का अतुलनीय योगदान होने के कारण उन्हें आधुनिक भूगोल का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने भूगोल को धार्मिक आडंबरो, रूढ़ीवादी परंपराओं तथा आस्था आदि से निकाल कर उन्हें वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने का प्रयास किया। उन्होंने भूगोल को अनेक उपागमो ,विधि तंत्रों तथा खोजो द्वारा समृद्ध आधार प्रदान किया। भूगोल में उनके योगदान को निम्नांकित शीर्षकों के माध्यम से समझा जा सकता है।
प्रमुख पुस्तकें
- कासमास ( क्रमबद्ध भूगोल की एक महत्वपूर्ण पुस्तक)
- एशिया सेंट्रले
- view on nature
- जिओग्नाजिया
हम्बोल्ट एक खोज यात्री –
हम्बोल्ट ने अनेक महाद्वीपों जैसे दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका आदि महाद्वीपों की सघन यात्राएं की। एडिंज पर्वत की चढ़ाई के दौरान उन्होंने सर्वप्रथम वायुदाब मापी का उपयोग किया। देशांतर रेखाओं को निश्चित करने के क्रम में उन्होंने क्रोनोमीटर (कालमापी) का प्रयोग किया । पेरू के पास दक्षिण से उत्तर बहने वाली ठंडी जलधारा का पता लगाया इसी कारण उस जलधारा को पेरू अथवा हम्बोल्ट की धारा कहते है।
विधि तंत्र एवं उपागम –
- व्यक्तिगत प्रेक्षण
- रेखा चित्रणविधि(cartography method)
- तुलनात्मक विधि ( comparative method)
- क्रमबद्ध विधि (systematic method)
- आगमनात्मक विधि के समर्थक।
हम्बोल्ट की प्रमुख भौगोलिक संकल्पनाएं –
- मानव गृह के रूप में भूतल
- स्थानिक वितरण का विज्ञान
- भूगोल भौतिक और मानवीय संबंधों का अध्ययन
- सामान्य भूगोल ही आधुनिक है।
- तथ्यों की विसमांगता
- पार्थिव एकता
कुछ अन्य विशिष्ट तथ्य
- जलवायु के तत्वों का अध्ययन करने के लिए सर्वप्रथम ‘climetology’ शब्द का उपयोग किया। वे पृथ्वी को एक जैविक व अविभाज्य इकाई मानते थे। इसी कारण इन्होंने मानव तथा प्रकृति के संबंधों के संदर्भ में “Hanging together” शब्द का प्रयोग किया।
- वे प्रकृति की एकता में विश्वास रखते थे।
- उन्होंने भूगोल के लिए जियोग्नाजिया शब्द का उपयोग किया।
- उन्होंने ध्रुवीय क्षेत्रों के विशिष्ट स्थलाकृतियों के लिए परमाफ्रास्ट शब्द का उपयोग किया।
- उन्होंने पहली बार समताप रेखाओ वाले विश्व के मानचित्र का निर्माण किया।
- मानव प्रजाति के संदर्भ में उनका मानना था कि सभी प्रजातियां एक ही स्थान से उत्पन्न हुई है और कोई भी प्रजाति एक दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है।
- वातावरणीय तथा अनुवांशिक अल्प कारणों से प्रजाति विविधता दिखाई पड़ती है।
- अमेजन तथा कोरोनीको मुहाने की उन्होंने खोज की।
- कास्मोग्राफी के अंतर्गत युरेनोग्राफी ( ब्रह्मांड विज्ञान) तथा ज्योग्राफी की विषय वस्तु का अध्ययन किया जाता है।
निष्कर्ष –
- भौगोलिक चिंतन के इतिहास का एक मत से हम्बोल्ट को आधुनिक भूगोल का संस्थापक मानते हैं। हर्टशोन ने उन्हे तुलनात्मक प्रादेशिक भूगोल का मार्ग दृष्टिता माना है।
- क्रमबद्ध तथा प्रादेशिक भूगोल को एक दूसरे के पूरक मानने के कारण इन्हें समन्वयकारी दृष्टिकोण वाला माना जाता है।
रिटर –
परिचय –
कार्ल रिटर हम्बोल्ट के समकालीन भूगोलवेत्ता रहे हैं हम्बोल्ट के साथ कार्ल रिटर को भी आधुनिक भूगोल के आधार स्तंभ का दर्जा प्रदान किया गया है। प्रादेशिक भूगोल के क्षेत्र में इनके विशिष्ट उपलब्धियों के कारण इन्हें प्रादेशिक भूगोल का जनक कहा जाता हैै।
पुस्तक
- अर्ड कुण्डे ( भूविज्ञान)
- लैण्डसकुण्डे ( प्रादेशिक भूगोल)
उनके प्रमुख विचार –
- पार्थिव एकता
- ईश्वर परख विचार
- संपूर्ण की संकल्पना
- प्रादेशिक उपागम
- प्रादेशिक भूगोल एवं क्रमबद्ध भूगोल
- प्रगतिशील विचार
- नियतिवादी
जिस प्रकार शरीर की रचना आत्मा के लिए हुई है उसी प्रकार पृथ्वी का निर्माण मानव के लिए हुआ है।
रिटर की अध्ययन व विधि वर्णन –
- अनुभवीक विधि
- तुलनात्मक विधि
- विश्लेषण व संश्लेषण विधि
- मानचित्रण विधि
- प्रादेशिक विधि
कुछ अन्य विशिष्ट तथ्य –
- उद्देश्यवादी या ईश्वरवादी भूगोलवेत्ता ।
- Arm chair भूगोलवेत्ता ।
- इनके अनुसार कोई भी मानव प्रजाति श्रेष्ठ नहीं है।
- विविधता में एकता विचार के समर्थक।
हम्बोल्ट व रिटर का तुलनात्मक अध्ययन –
समानताएं –
- दोनों भूगोलवेत्ता संपूर्ण की संकल्पना में विश्वास रखते हैं।
- इनके अनुसार पृथ्वी के किसी भू-भाग का अध्ययन पृथक व एकांकी रूप में न करके संपूर्ण रूप में किया जाना चाहिए।
- पार्थिव एकता सिद्धांत तथा सार्वभौमिक एकता का सिद्धांत इनके विचार के केंद्र बिंदु में हैं।
- दोनों की मृत्यु एक ही साल (1859) में हुआ था।
- दोनों भूगोलवेत्ताओ को आधुनिक भूगोल के संस्थापकों में स्थान दिया जाता है।
असमानताएं –
- हम्बोल्ट क्रमबद्ध विधि के समर्थक जबकि रिटर प्रादेशिक विधि के समर्थक हैं।
- हम्बोल्ट की पार्थिव एकता की संकल्पना धार्मिक अथवा मानव केंद्रित नहीं थी अपितु समस्त प्रकृति के संतुलित एकता के संदर्भ में थी जिसका अंग स्वयं मानव भी था।
- रिटर की पार्थिव एकता की संकल्पना ईश्वरपरख दृष्टिकोण वाली था।
- हम्बोल्ट प्राकृतिक विज्ञान के अध्येयता तथा खोज यात्री थे जबकि रिटर को “Arm chair” भूगोलवेत्ता कहा जाता है।
- हम्बोल्ट के अनुसार भूगोल एक प्रकृति विज्ञान है जबकि रिटर के अनुसार भूगोल को मानव विज्ञान का विषय मानते थे।
- हम्बोल्ट ने प्रकृति की रचना में ईश्वरीय शक्ति को महानता नहीं दिया है । जबकि रिटर ईश्वरवादी भूगोलवेत्ता थे इन्होंने प्रकृति की रचना में ईश्वरीय परियोजना को महत्ता दी है।
निष्कर्ष –
- निष्कर्षत: हम्बोल्ट तथा रिटर के बिना आधुनिक भूगोल की कल्पना नहीं की जा सकती । इन दोनों भूगोलवेत्ताओ ने अपने समय में जहां भूगोल के आधार स्तंभ के रूप में कार्य किया वहीं वर्तमान भूगोल पर भी उनका प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। भविष्य में भी भूगोल इनके प्रभाव से अछूता नहीं है।
रैटजेल –
परिचय –
रैटजेल जर्मनी के तीसरे प्रमुख (हम्बोल्ट व रिटर के पश्चात) भूगोलवेत्ता थे । रैटजेल ने अपने कार्यों के द्वारा भौगोलिक अध्ययन में मानव को अध्ययन के प्रमुख विषय वस्तु के रूप में केंद्रीय स्थान दिलाया है इसीलिए इनको मानव भूगोल का पिता भी कहा जाता हैै।
प्रमुख पुस्तकें-
- एंथ्रोपोजियोग्राफी (मानव भूगोल)
- वाल्कर कुण्डे ( मानव जाति का)
- पृथ्वी और जीवन- एक तुलनात्मक अध्ययन
- राज्य, व्यापार और युद्ध का भूगोल
- चीन उत्प्रवास
- पोलिटिश्चे ज्योग्राफी (राजनीतिक भूगोल)
रैटजेल की प्रमुख संकल्पनाएं –
1 – नियतिवादी की संकल्पना –
रैटजेल आधुनिक भूगोल नियतिवाद के संस्थापक भूगोलवेत्ता थे। इन्होंने अपनी पुस्तक एंथ्रोपोजियोग्राफी के प्रथम खंड (1882) में डार्विन के विकासवाद की संकल्पना की पुष्टि की।उल्लेखनीय है कि डार्विन के विकासवाद की संकल्पना में प्राकृतिक चयन की बात की गई है इसके अंतर्गत प्रजातियों की उन्नति व विलोपन पर प्रकृति के प्रभाव को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। रैटजेल नें भी प्रकृति को मानव के प्रत्येक गतिविधि का नियंता माना है। उल्लेखनीय है कि नियतिवाद संकल्पना से यह तात्पर्य है कि मानव प्रकृति का एकमात्र घटक है। हालांकि एंथ्रोपोजियोग्राफी के द्वितीय खंड में वे मानव के प्रभाव को भी स्वीकार करने लगे थे।
पार्थिव एकता का सिद्धांत –
रैटजेल पार्थिव एकता अथवा अंतर्संबंध अथवा सार्वभौमिक एकता के संदर्भ में पूर्णतया विश्वास रखते थे ।वह इस सिद्धांत को मानव भूगोल की आधारशिला मानते थे। इसके अंतर्गत वे विश्व को उनेक व्यक्तिगत तत्वों के रूप में नहीं बल्कि सभी तत्वों की समष्टि (Marco) के रूप में देखते थे। उनके अनुसार प्रकृति के सभी तत्व एक दूसरे से संबंधित हैं तथा प्रत्येक भू दृश्य पर प्रकृति के सभी तत्व का मिलाजुला प्रभाव देखा जा सकता है।
राज्य का जैविक सिद्धांत –
इन्होंने अपनी पुस्तक राजनीतिक भूगोल में राज्य के जैविक सिद्धांत का समर्थन किया। उन्होंने राज्य को एक जैविक इकाई माना। उनके अनुसार राज्य को भी अन्य जैविक इकाइयों के भाति सतत गतिशील रहना चाहिए क्योंकि ठहराव मृत के समान है अन्य जीवो की तरह राज्य को भी अपनी आत्म रक्षा करने का अधिकार है राज्य के विकास एवं विस्तार की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने Lebnasreum (शरण स्थल) की संकल्पना का विकास किया उनके अनुसार राज्य का पड़ोसी क्षेत्र पर अधिकार कर लेना प्रकृति के अनुरूप एक विकास की प्रक्रिया है इसमें किसी प्रकार की अनैतिकता नहीं होती है उल्लेखनीय है कि Lebnasreum संकल्पना के आधार पर ही भू राजनीति संकल्पना का विकास हुआ जो बाद में अंतरराष्ट्रीय माहाशक्तियों के बीच संबंधों को निर्धारित करने वाली महत्वपूर्ण एक विचारधारा बन गई ।
सांस्कृतिक भू दृश्य की संकल्पना –
जर्मनी में भू दृश्य के लिए Landshoft शब्द का उपयोग किया गया है। रैटजेल संस्कृतिक भू दृश्य की संकल्पना के समर्थक थे। उनके अनुसार मानव ने प्रकृति के साथ अनुकूलन करते हुए कृत्रिम अथवा मिश्रित भू दृश्यों का निर्माण किया है।
अन्य तथ्य
- रैटजेल का मूल दर्शन स्पेंसर के योग्यतम की उत्तरजीविता (survival of the fittest -1876) ।
- इनको राजनीतिक भूगोल का पिता कहा जाता है।
- रैटजेल के राज्य के जैविक सिद्धांत नामक दर्शन ने जर्मन को 1930 के दशक में प्रभावित किया।
- मानव और उसके विकास के लिए तीन कारणों को उत्तरदायी माना।
1 lage (Situation)
2 Raum (Space)
3 Rahman (limit)
फर्डीनण्ड वान रिचथोफेन –
पुस्तक – चीन का भूगोल
इन्होंने भूगोल को क्षेत्रवर्णनी विज्ञान (Chorological science ) बताया जिसके अंतर्गत पृथ्वी के तल की क्षेत्रीय भिन्नताओ (Aerial variation) का अध्ययन किया जाता है।इन्होंने सामान्य (क्रमबद्ध) एवं प्रादेशिक भूगोल के अध्ययन को स्पष्ट किया । तथा प्रादेशिक भूगोल के अध्ययन को उन्होंने chorology नाम दिया। इन्होंने विश्व को उनके आकार के आधार पर उक्त नामों से संबोधित किया।
- एर्डटले – विश्व के प्रमुख प्रभाग
- लैण्डर – प्रमुख देश
- लैंड सॉफ्टेन – लघु प्रदेश अथवा भू दृश्य
- आर्लिच कैटेन – स्थानिक बस्तियां
अल्फ्रेड हेटनर
पुस्तकें –
- भूगोल का विधि तंत्र
- रूस का भूगोल
- प्रादेशिक भूगोल के आधार
- तुलनात्मक प्रादेशिक भूगोल
उनके अनुसार भूगोल एक भू विस्तारिय अथवा क्षेत्र विवरण विज्ञान (Chorological science) है। इसके अंतर्गत क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है। इन्हें प्रख्यात विधितंत्र वेत्ता (Methologist) माना जाता है। इन्होंने अर्ड कुण्डे के स्थान पर लैंडर कुण्डे शब्द का उपयोग किया। ये प्रादेशिक तथा सामान्य भूगोल दोनों के समर्थक थे। हालांकि उनके अनुसार भूगोल एक प्रादेशिक विज्ञान (Edeographic) है न कि सामान्य भूगोल (monothetic ) । इनके अनुसार भूगोल पृथ्वी तल का क्षेत्रीय विज्ञान ( chorological science of earth surface) है।
अल्ब्रेक्ट पेंक
पुस्तक- The Alps in the ice age
स्थलाकृतिक मानचित्र पर इनका कार्य असाधारण है। वह प्रथम विद्वान थे जिन्होंने यह बताया कि किसी स्थान की वर्षा की प्रभाव उत्पादकता उस स्थान के नदी प्रवाह तथा वाष्पीकरण से ज्ञात किया जा सकता है। इनके अनुसार जलवायु संबंधी आंकड़ों के उपलब्ध न होने के बावजूद किसी क्षेत्र विशेष के भू दृश्य के अध्ययन के द्वारा उस क्षेत्र का जलवायु वर्गीकरण किया जा सकता है।
वाल्थर पेंक –
पुस्तक –
- अपरदन चक्र की संकल्पना
- ढाल विश्लेषण
- समानांतर निवर्तन का सिद्धांत
वानथ्युनेन –
पुस्तक – कृषि स्थानीकरण का सिद्धांत
किस्ट्रॉलर
पुस्तक – केंद्र स्थल सिद्धांंत(Central place theory)
वेबर
पुस्तक – औद्योगिक स्थानीयकरण सिद्धांत
अन्य तथ्य
- लैंडशाफ्ट शब्द लैंडस्केप की तुलना में ज्यादा व्यापक है क्योंकि इसके अंतर्गत प्राकृतिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के साथ मानवीय क्रियाकलापों को शामिल किया जाता है।
- भू राजनीति शब्द का प्रयोग स्वीडन के जेलेन ने किया था। तथा कार्ल हाउशोफर, सूपन आदि जर्मन भूगोलवेत्ताओं का भू-राजनीति संकल्पना के विकास के प्रमुख स्थान है।
- हाउशोफर ने भू-राजनीति की विचारधारा का वर्णन अपने पुस्तक मीन-कैंप में किया है।
- प्रशांत महासागर की सीमाओं की भू-राजनीति, भू-राजनीति की कोण शिलाऐं इनकी अन्य प्रमुख पुस्तकें है।
- जेट्सक्रिफ्ट आफ ज्योग्राफी इनकी प्रमुख पत्रिका है।
- लैंड सॉफ्ट शब्द का प्रयोग पश्शार्गे ने किया था।