मुख्य बिंदु :
- प्राकृतिक घटनाएँ , जैसे – बाढ़ या सुनामी , जब किसी घनी आबादी वाले गाँव या शहर को प्रभावित करते हैं तभी वो आपदा बनते हैं । संसाधन , आपदा एवं विनाश का अर्थ केवल मानव के लिए ही महत्त्वपूर्ण है । जनसख्याँ से सबंधित तीन प्रमुख बातें है : –
( i ) जनसख्याँ का आकार एवं वितरण ( लोगों कि संख्या कितनी है तथा वे कहाँ निवास करतें हैं ? )
( ii ) जनसंख्या वृद्धि एवं जनसख्याँ परिवर्तन कि प्राक्रिया ( समय के साथ जनसंख्या में वृद्धि एवं इसमें परिवर्तन कैसे हुआ ? )
( iii ) जनसख्या के गुण या विशेषताएँ ( उनकी उम्र , लिंगानुपात , साक्षरता स्तर , व्यावसायिक संरचना तथा स्वास्थ्य कि अवस्था क्या है ? )
- घनत्व के आधार पर भारत में जनसंख्या वितरण : प्रति इकाई क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं ।
- भारत विश्व के घनी आबादी वाले देशों में से एक है ।
- 2001 कि जनगणना के अनुसार देश कि सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहाँ कि कुल आबादी 1,660 लाख है ।
- उत्तर प्रदेश में देश कि कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है ।
- हिमालय क्षेत्र के राज्य , सिक्किम कि आबादी केवल 5 लाख ही है तथा लक्ष्यद्वीप में केवल 60 हजार लोग निवास करतें है ।
- भारत कि लगभग आधी आबादी केवल पांच राज्यों में निवास करती है | ये राज्य हैं – उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , बिहार , पशिचम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश |
- क्षेत्रफल कि दृष्टि से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है , जिसकी आबादी भारत कि कुल जनसंख्या का केवल 5.5 प्रतिशत है
- केवल बांग्लादेश तथा जापान का जनसंख्या घनत्व भारत से अधिक है ।
- 2001 में भारत का जनसंख्या घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग कि.मी.था । जहाँ पश्चिम बंगाल का जनसंख्या घनत्व 904 व्यक्ति प्रति कि.मी.है। अरुणाचल प्रदेश में यह 13 व्यक्ति प्रति कि.मी.है।
- असम एवं अधिकतर प्रायद्वीपय राज्यों का जनसंख्या घनत्व मध्यम है । पहाड़ी , कटे – छंटे एवं पथरीले भूभाग , मध्यम से कम वर्षा , छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती है ।
- उत्तरी मैदानी भाग एवं दक्षिण में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है , क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है तथा परियाप्त मात्रा में वर्षा होती है ।
- जनसंख्या एक परिवर्तन प्रक्रिया है । आबादी कि संख्या , वितरण एवं संघटन में लगातार परिवर्तन होता है । यह परिवर्तन तीन परिक्रियाओं – जन्म , मृत्यु एवं प्रवास के आपसी संयोजन के प्रभाव के कारण होता है ।
- जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है , किसी विशेष समय अन्तराल में , जैसे 10 वर्षों के भीतर , किसी देश राज्य के निवासियों कि संख्या में परिवर्तन ।
- जनसंख्या के परिवर्तन को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है । पहला सापेक्ष वृद्धि तथा दूसरा , प्रति वर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के दूवारा |
- प्रत्येक वर्ष या एक दशक में जनसंख्या , कुल संख्या में वृद्धि का परिणाम है । पहले कि जनसंख्या ( जैसे 1991 कि जनसंख्या ) को बाद कि जनसंख्या ( जैसे 2001 कि जनसंख्या ) से घटा कर इसे प्राप्त किया जाता है । इसे निरपेक्ष वृद्धि कहा जाता है ।
- जनसंख्या में होने वाली परिवर्तन कि तीन मुख्य प्रक्रिया है -जन्म दर , मृत्यु दर एवं प्रवास । जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच का अंतर जनसंख्या कि प्राकृतिक वृद्धि है
- भारत में एक वर्ष प्रति हजार व्योक्तियों में जितने जीवित बच्चों का जन्म होता है , उसे जन्म दर कहते हैं । यह वृद्धि का एक प्रमुख घटक है क्योंकि भारत में हमेशा जन्म दर मुत्यु से अधिक रहा है ।
- एक वर्ष में प्रति हज़ार व्यक्तियों में मरने वालों कि संख्या को मृत्यु दर कहा जाता है ।मृत्यु दर में तेंज गिरावट भारत कि जनसंख्या में वृद्धि कि दर का मुख्य कारण है ।
- जनसंख्या वृद्धि का तीसरा घटक है प्रवास लोगो का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं । प्रवास आंतरिक ( देश के भीतर ) या अंतराष्ट्रीय ( देशों के बीच ) हो सकता है ।
- भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों कि ओर होता है , क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अपकर्षण कारक प्रभावी होते हैं । ये ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी कि प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का कर्षण प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है ।
- किसी राष्ट्र कि आबादी को सामान्यत : तीन वर्गों में बाटा जाता है :
( i ) बच्चे ( सामान्यत : 15 से कम ) : ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील नहीं होते हैं तथा इनको भोजन , वस्त्र एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराने कि आवश्यकता होती है ।
( ii ) व्यस्क ( 15 से 59 वर्ष ) : ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील तथा जैविक रूप से प्रजननशील होते हैं । यह जनसंख्या का कार्यशील वर्ग है ।
( iii ) वृद्ध ( 59 वर्ष से अधिक ) : ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील या अवकाश प्राप्त हो सकते हैं । ये स्वैच्छिक रूप से कार्य कर सकते हैं , लेकिन भर्ती परिक्रिया के द्वारा इनकी नियुक्ति नहीं होती है ।
- लिंग अनुपात : प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं कि संख्या को लिगं अनुपात कहा जाता है । यह जानकारी किसी दिए गए समय में , समाज में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच समानता कि सीमा मापने के लिए एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक सूचक
- साक्षरता दर : साक्षरता किसी जनसंख्या का बहुत ही महत्त्वपूर्ण गुण है स्पष्टतः केवल एक शिक्षित और जागरूक नागरिक ही बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय ले सकता है तथा शोध एवं विकास के कार्य कर सकता है । साक्षरता स्तर में कमी आर्थिक प्रगति में एक गंभीर बाधा है ।
(i) 2001 कि जनगणना के अनुसार एक व्यक्ति जिसकी आयु 7 वर्ष या उससे अधिक है जो किसी भी भाषा को समझकर लिख या पढ़ सकता है उसे साक्षर कि श्रेणी में रखा जाता है ।
- व्यवसायों को सामान्य : प्राथमिक , द्वितीयक एवं तृतीयक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है :
( i ) प्राथमिक : इनमें कृषि , पशुपालन , वृक्षा रोपण एवं मछली पालन तथा खलन आदि क्रियाएँ शामिल है ।
( ii ) द्वितीयक : इनमें क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग भवन एवं निर्माण कार्य आते है ।
( iii ) तृतीयक : इनमें क्रियाकलापों में परिवहन , संचार , वाणिज्य , प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं
- भारत में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है ।
- भारत कि जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है । यह भारत कि कुल जनसंख्या का पांचवां भाग है ।
- किशोर प्रायः 10 से 19 वर्ष कि आयु वर्ग के होते हैं । ये भविष्य के सबसे महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन है ।
- किशोरों के लिए पोषक तत्वों कि आवश्यकताएँ बच्चों तथा वयस्कों से अधिक होती है ।
- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 , 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने , शिशु मृत्यु दर को प्रति 1,000 में 30 से कम करने , व्यापक स्तर पर टिकारोधी बिमारियों से बच्चों को छुटकारा दिलाने , लड़कियों कि शादी कि उम्र को बढाने के लिए प्रोत्साहित करने तथा परिवार नियोजन को एक जन केन्द्रित कार्यक्रम बनाने के लिए नीतिगत ढांचा प्रदान करती है ।
- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 और किशोर / किशोरियों कि पहचान जनसंख्या के उस जनसंख्या के उस प्रमुख भाग के रूप में कि , जिस पर बहुत ध्यान देने कि आवश्यकता है ।
- पौषनिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त इस नीति में अवांछित गर्भधारण और यौन – संबंध से प्रसारित बिमारियों से किशोर / किशोरियों कि संरक्षा जैसी अन्य महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं पर भी जोर किया गया है ।
- राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 इसके द्वारा ऐसे कार्यक्रम चलाए गए जिनका देर से विवाह और देर से संतानोंउत्प्ती को प्रोत्साहित करना , किशोर / किशोरियों को असुरक्षित यौन संबंध के कुप्रभावों के बारे में शिक्षित करना , गर्भ – निरोधक सेवाओं को पहुँच और खरीद के भीतर बनाना , खाद्य संपूरक और पौषनिक सेवाएँ उपलब्ध करवाना और बाल – विवाह को रोकने के कानूनों को सुदृढ़ है ।
- किसी भी राष्ट्र के लिए वहाँ के लोग , बहुमूल्य संसाधन होते है । एक शिक्षित एवं स्वस्थ राष्ट्रीय जनसंख्या ही कार्यक्षम शक्ति प्रदान करती है । . . .
टीम रूद्रा
मुख्य मेंटर – वीरेेस वर्मा (T.O-2016 pcs )
अभिनव आनंद (डायट प्रवक्ता)
डॉ० संत लाल (अस्सिटेंट प्रोफेसर-भूगोल विभाग साकेत पीजी कॉलेज अयोघ्या
अनिल वर्मा (अस्सिटेंट प्रोफेसर)
योगराज पटेल (VDO)-
अभिषेक कुमार वर्मा (प्रतियोगी)
प्रशांत यादव – प्रतियोगी –
कृष्ण कुमार (kvs -t )
अमर पाल वर्मा (kvs-t ,रिसर्च स्कॉलर)
मेंस विजन – आनंद यादव (प्रतियोगी ,रिसर्च स्कॉलर)
प्रिलिम्स फैक्ट विशेष सहयोग- एम .ए भूगोल विभाग (मर्यादा पुरुषोत्तम डिग्री कॉलेज मऊ) ।